हम बहुत तकलीफ़ के साथ यह रिपोर्ट लिख रहें हैं। १८ से २४ अप्रैल २०१६ में चौथी दुनिया ने अपनी लीड स्टोरी में, जिसका नाम था ‘बेहोश प्रधानमंत्री’ निचे मोटे में था ‘भारत सरकार की जासूसी’, यह हमने बहुत सोच समझ कर स्टोरी की थी।
काफ़ी रीसर्च इसके ऊपर हुई थी। सेना की, और जासूसी ऐजेंसियों की ख़बरों के आधार पर यह स्टोरी, हमारे इन्वेस्टिगेटर एडिटर ने की थी। उसमें हमने कहा था, ’हचिसन – शाओमी ने कराई भारतीय सेना और सुरक्षा तंत्र की जासूसी। यह हमने प्रथम प्रष्ट पर ही लिखा था।
दूसरा लेख हमने लिखा, ‘भारतीय सेना ने स्मार्टफ़ोन पर और स्मार्ट ऐप्स पर लगाई पूर्ण रोक’।
तीसरे लेख में हमने विषय पकड़ा, ’ISI को पठानकोट बेस की महत्पूर्ण सूचनाये चीन ने दी थी’। आप ध्यान दीजिये पठानकोट पर जो इतना बड़ा हमला हुआ था, हमने उसके बारे भारत सरकार को लीड दी थी। हमने ये साफ़ लिखा था की, ISI को पठानकोट की महत्पूर्ण सुचना चीन ने दी थी, इसका मतलब, यहाँ की जासूसी चीन के द्वारा हो रही थी और चीन पाकिस्तान को सुचना दे रहा था।
हमने यह भी लिखा की ‘थल, वायु और नवसेना में नहीं होगा किसी भी स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल’, डिफ़ेंस ने यह आदेश दिया था इसलिए हमने ये लिखा, लेकिन वहाँ फ़ोन का इस्तेमाल होता रहा।
फिर हमने हैडिंग में यह लिखा की ‘वायुसेना की रिपोर्ट पर भी सोई रही नरेंद्र मोदी की सरकार’। उस समय वायुसेना तीनो सेनाओं में पहली थी, जिसने सरकार को एक रिपोर्ट दी थी की आप चीनी फ़ोन का इस्तेमाल रोकिये, हमारे देश की जासूसी हो रही है। पर २०१६ में हमारी केंद्र सरकार सोई रही । डिफ़ेन्स ने अर्ध सैनिक बलों से भी इसका कड़ाई से पालन करने के लिए कहा था, लेकिन अरध सैनिक बलों में भी इसका कड़ाई से पालन नहीं हुआ।
हम इस सवाल को आज इस लिए उठा रहें हैं, कि आज देश में जो भी हो रहा है,जिस तरह से apps पर बंदिश लगा रहें हैं, जिस तरह से मोबाइल फ़ोन का ज़िक्र कर रहें हैं, लकिन बहुत सफ़ाई से नहीं कर रहें हैं। एक बार सरकार ने यह ५९ Apps की लिस्ट निकाली , की इनको हम प्रतिबंदित करते हैं, फिर उसके बाद सरकार ने अपना स्टेप बदल दिया और उन्होंने एक नोटिस जारी कर दिया की क्यों ना आप को प्रतिबंदित कर दिया जाये। आप के जो app हैं, वह भारत के सुरक्षा और सम्प्रदा के ख़िलाफ़ हैं । यह डाईलूट करने की कोशिश हुई लेकिन मुझे नहीं लगता की देश के लोगों ने इन Apps को कहीं से भी हटाया गया है। अगर सरकार एक बार चेकिंग करती तो सरकार के पास यह जानकारी आजाए, यह एक छोटा टेक्निकल एक्सपर्टीज़ है की आप देख सकते हैं की देश में कितने मोबाइल के ऊपर चीनी app अभी भी चल रहें हैं । मेरा ख्याल है ८०% मोबाइल में ये अभी भी चल रहा है।
सरकार को २०१६ में हमारे द्वारा दी गयी इस जानकारी को कुछ भी तरज़ी नहीं दी गई । हलाकि हमारे दफ़्तर में IB और सीबीआई के लोग आए और कहा यह जानकारी आपको कहाँ से मिली? हमने उनसे कहा की यह जानकारियाँ तो आपके पास होनी चाहिये थीं। हमें कहाँ से मिली यह हम आपको जानकारी नहीं दे सकते, लेकिन यह जानकारी है और इस जानकारी के साथ हम खड़े है। उन्होंने कहा की ‘आप बिलकुल सही कह रहें हैं, हमे इसकी जानकारी नहीं थी’। वो शायद ३ या ४ अफ़सर थे, वह हमारे यहाँ से चले गए। उसके बाद इस कांड में कुछ नहीं हुआ क्योंकि ये सब अभी २०२० तक चलता रहा। हमने उस समय बहुत सारी चीज़े उस स्टोरी में कहीं थी।
“एक वैम्पोआ है– भारत के लिए एक खतरनाक वैम्प की तरह है” यह हमने स्टोरी की थी। उसमे रॉ के अधिकारी से हमको जानकारी मिली थी जिसको हम आपको बताना चाहेंगे।वो जो रॉ के अधिकारी थे, उन्होंने बताया कि हचिसन वैम्पोआ कंपनी भारत के लिए खतरनाक वैम्प हैं।हचिसन वैम्पोआ और शाओमी काफ़ी क़रीब हैं । और एशिया में साजा कारोबार करते हैं । हच के नाम से भारत में हचिसन का कारोबार था लेकिन उसने भारत में व्यापार का अधिकार वोडाफ़ोन को बेच डाला। भारत सरकार ने कभी इसकी छान बीन नहीं कराइ की संचार का सहारा लेकर हचिसन कंपनी भारत में क्या क्या धंदे करती रही और अचानक काम समेट कर क्यों चली गयी?
हचिसन कंपनी अरबो रुपए का कैपिटल गेन टैक्स हड़प कर चली गयी। इस पर किसी को कोई दर्द ही नहीं हुआ। ऐसी ताक़तें भारत की रिड में किस हद तक घुसपैठ कर चुकी है, इससे आसानी से समजा जा सकता है। हचिसन वैम्पोआ के मालिक, ली–का–शिंग के चीन के सरकार , चीन की सत्ता और चीन की सेना यानी PLA से गहरे सम्बंद है । ली–का–शिंग की कंपनी हचिसन वैम्पोओ , चीन सेना की साइबर रेजिमेंट के साथ मिलकर साइबर वॉर्फ़ेर और साइबर जासूसी के शेत्र में काम करती रही है।
चीन के कम्युनिस्म का सच यही रहा है की चीन की सेना दुनिया भर में फैली कयी नामी कॉर्पोरेट कंपनियों की मालिक है या हचिसन वैम्पोआ जैसे कॉर्पोरेट घरानो के साथ मिलकर करती है। इस तरह चीन की सेना दुनिया भर में जासूसी भी करती है और धन भी कमाती है। हचिसन वैम्पोआ और चीन की सेना ने पाकिस्तान , श्रीलंका , बांग्लादेश समेत दुनिया के तमाम देशों के बंदरगाह अपने हाथ में ले रखें हैं । बंदरगाहों का काम हचिसन पोर्ट होल्डिंग HPH के नाम से किया जा रहा है। बंदरगाहों के ज़रिये हथ्यारों की आमदरफ्त बेधड़क तरीक़ों से होती रही है। हचिसन वैम्पोआ लिमिटेड के चेयरपर्सन, ली–का –शिंग, सेना के लिए बड़े कारोबारों में बिचोले की भूमिका भी अदा करते हैं ।
अमेरिका की हियूज कारपोरेशन और चीन– हांगकांग सॅटॅलाइट, चीन सेट के बीच हुए कई बड़े सॅटॅलाइट करारों में, ली–का–शिंग ने अहम् भूमिका अदा की थी। यहाँ तक की चीन सेट और एशिया सेट में अपना धन भी लगाया। चीन सेट और एशिया सेट कम्पनियाँ, चीन सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की कम्पनियाँ हैं । इसी तरह, चीन ओसिन्स शिपिंग कंपनी भी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की है जिसमे हचिसन – वैम्पोओ लिमिटेड का धन लगा हुआ है। लीबिया , ईरान , ईराक़ और पाकिस्तान समेत कई देशों में आदुनिक हथ्यारों की तस्करी कॉस्को की लिप्तता कई बार उजागर हो चुकी है। खुक्यात आर्म्स डीलर और अत्याधुनिक हत्यार बनाने वाली चीन की पॉलिटेक्नोलॉजी कंपनी के मालिक वांग–जुंग और हचिसन कंपनी के मालिक
ली–का–शिंग के नज़दीकी सम्बंद हैं । पॉलिटेक्नोलोजी का संचालन भी PALA द्वारा ही होता है। चीन के प्रतिश्ठित चीन इंटरनेशनल ट्रस्ट इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन में, वांग–जुंग और ली–का–शिंग दोनों मुख्यत हस्तिया बोर्ड के ममेम्बर हैं।
हमने उस समय बहुत विस्तार से बताया था की चीन कितना खतरनाक है, लेकिन सरकार ने इसके ऊपर ध्यान नहीं दिया। हमने शिओमि और रेडमी स्मार्टफ़ोन पर पाबन्दी की जो मांग की थी उसे तो छोड़िये, उसके नए नए संस्करण और मॉडल बाजार में उतारे गए हैं । बड़े ज़ोर–शोर से इन फ़ैनस के विज्ञापन भी दिखाय जा रहें हैं । हचिसन और शिओमि की एशिया की साझीदारी के बड़े बड़े समाचार प्रकाशित कराये जा रहैं हैं । यह सब हमारी सरकार के जानकारी में हमारे देश में हुआ। स्मार्टफ़ोन और एप्लीकेशन के लिए जासूसी की बात खुलने पर पता चला की स्मैश ऐप जैसे मैसेंजर एप्लीकेशन के ज़रिये यूज़र का पूरा डाटा ख़ुफ़िया एजेंसी पाकिस्तान की ISI को मुहैया कराया जा रहा था। स्मैश ऐप का सर्वर जर्मनी में था जिसे कराची में रहने वाला पाकिस्तान का एजेंट साजिद राणा PBXMOBIFLEX.COM के नाम से चला रहा था। इस एप्लीकेशन की तकनीक चीन द्वारा डेवेलप की गयी थी। इससे इतना शातिराना तरीके से तैयार किया गया था की उसे डाउनलोड करते ही यूज़र के फ़ोन में दर्ज सारे डिटेल्स SMS , रिकार्ड्स , फोटो , वीडियो यहाँ तक की किन लोगो से उनकी बाते हो रही है उनकी पूरी रिकॉर्डिंग भी सरवर को मिल जाती था। इस तरह शिओमी और रेडमी फ़ोन द्वारा भी यूज़र डाटा में स्तापित सरवर को भेजे जा रहे थे।
मैं इस पूरी स्टोरी को यहाँ इसलिए दुबारा आपके सामने रखने की कोशिश कर रहा हूँ, ताकि आप देखें हमने भारत सर्कार को २०१६ में जो सूचनाईए दी थी भारत सरकार ने उसके ऊपर कोई काम नहीं किया बल्कि भारत सरकार से जुड़े लोग चीन से स्पोंसरशिप तलाश करने लगे और उनसे पैसे लेने लगे। अब राजनैतिकियो में कौन–कौन पैसे ले रहा है यह एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाने वाले लोग इस बात को खोल रहें हैं । कोई कोंग्रेस को खोल रहा है, कोई बीजेपी को खोल रहा है, कोई PM केयर फंड को खोल रहा है , कोई RSS को खोल रहा है। हो सकता है की वियक्तिगत भी बड़े फ़ायदे किसी ने लिए हों, पर मुझे सिर्फ़ इतना लगता है की क्या हमारे बिच में से देश का कॉनसेप्त ख़तम हो गया है?
जब हमने कहा की पठानकोट जैसे आतंकी हमलो में श्याओमी और रेडमी स्मार्टफ़ोन की वजह से जासूसी हुई, सरकार ने उसके ऊपर कोई दयँ नहीं दिया। हमसे आकर जानकारी भी ली, लेकिन उस जानकारी के ऊपर कोई काम नहीं किया और अब एक नाटक हो रहा है इनको बंद करने का और मैं इस बात पर बिलकुल निश्चित हूँ की किसी भी तरह से हम चीन से दूर नहीं जा सकते। चीन के जितनी बड़ी कंपनियाँ हैं, वह भारत में इतना इन्वेस्ट कर चुकीं हैं, कि भारत सरकार उससे बहार नहीं जा सकती। बैंक ऑफ़ चीन हमारे यहाँ काम कर रहा है। हमारे यहाँ हर शेत्र में चीन का ६० से ७० % ड़खल है। हमारा बज़ार ६० % चीन के हाथों में है। हमारे यहाँ पर हर चीज़ो में चीन कंपनियों का इन्वेस्टमेंट है। यहाँ तक की PAYTM अलीबाबा के क़ब्ज़े वाली कंपनी है जिससे भारत सरकार की सहमति से पहले वह भारतीय सहमित वाली कंपनी थी। PAYTM भारत सरकार की सहमति से और उनकी राय से अलीबाबा को इसमें शामिल किया गया। हमारा पूरा फ़ाइनेंशियल कंण्ट्रोल इस समय अलीबाबा के पास है। बैंको में सारे सरवर चीन के लगे हुए हैं । सूचना के सारे सरवर चीन के लगे हुए है। सेना में चीन बुलेट प्रूफ़ जैकेट का ही इस्तेमाल नहीं हो रहा है, बल्के सेना में चीन का फ़ोन है जो डे–टू –डे की जानकारी चीन में दे रहा है और चीन पाकिस्तान को दे रहा है। और अब मेरा ख़्याल है की चीन , पाकिस्तान और नेपाल मिलकर भारत को तीनो तरफ़ से घेर रहें हैं ।
उन्हें जासूसी के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है । उन्हें चीन की तरफ़ से उन्ही उपकरणों ज़रिये सुचना मिल रही है जिन उपकरणों से भारत सरकार ने बड़ी शान के साथ हिंदुस्तानी लोगो के हाथों में उपलब्ध कराया। चीन फ़ोन हर भारतीय के हाथ में, मुकेश अम्बानी की कंपनी JIO फ़ोन ने दे दिया। अडानी साहब चीन से ९ हज़ार करोड़ या ९० हज़ार करोड़ का एक फाइनेंशियल डील कर चुके हैं। तो, जब हमारे यहाँ के बड़े पूंजीपति और हमारे यहाँ के ही बड़ी अदिकारी चीन के दिए हुए स्पोंसरशिप से या चीन के दिए हुए फाइनेंशियल के लिए काम करेंगे, तो हम चीन से कैसे लड़ पाएंगे।
आखिर में, मैं एक सवाल खड़ा करता हूँ अमिताभ बच्चन , सलमान ख़ान , शाहरुख ख़ान जैसे लोग चीन के प्रोडक्ट का प्रचार कर रहें हैं । किसी ने नहीं कहा है की हम इन प्रोडक्ट्स को छोड़ेंगे। उसी तरीके से BCCI जो क्रिकेट के टूर्नमेंट कराती है उसके ज़िम्मेदार है। वो चीन की स्पोंसरशिप नहीं छोड़ रही है। सरे शोर के बावजूद नहीं छोड़ रही है।
प्रधान मंत्री आज ३ तरीक़ को सीमा का दौरा कर कर रहें हैं और उस जगाह गए है, गलमां घाटी में जहा पर हमारे २० जावानो की शहादत हुई।वह शायद वहाँ घायल जवानो से बात चित भी करके आएंगे। पर प्रश्न दूसरा है । प्रश्न यह है, कि हमारे यहाँ उनका टेंट लग कैसे गया? हमारी ज़मीन पर हमारी सेना वह थी, सारे उपकरण थे, लेकिन उनका टेंट हमारे यहाँ लग गया जिसे उखाड़ने के लिए हमारे मंत्री जनरल V K Singh कहतें हैं की ‘उस टेंट को देखने, की उसमे क्या रखा है, विसपॉर्ट हो गया, जिसकी वजह से झड़प हो गयी’। लेकिन दूसरी ख़बर आयी है की हमारे आँख की आगे देखते देखते चीन ने अपना एयरबेस बना लिया। गलवान वैली में ही यह एयरबेस कैसे बना इस ख़बर को विदेशी समाचार एजेंसियों ने तो सब के सामने रखा, लेकिन हमारे देश में इस ख़ बर को क्यों दबा दिया गया?
अब हमारा सवाल है, क्या सचमुच चीन ने वहां एयरबेस बना लिया है? अगर बना लिया है तो, हमे यह मान्ना चाहिए की सिफ़ गलवान वैली ही नहीं, लद्दाख भी आज ख़तरे में है। इसकी रक्षा करने की ज़िम्मेदारी देश की सरकार की है , देश के लोगों की है , देश के प्रधानमंत्री की है। पर अगर टेलीविज़न चैनलों के ज़रिये यह लड़ाई लड़ी जाएगी, तो मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम ग़लत ख़बरों के आधार पर खुश होते रहेंगे और हमारे वाइटल पॉइंट्स की सुरक्षा हमे जहां कड़ी करनी चाइए वह सुरक्षा हम कड़ी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि टेलेविज़न चैनल सरकार की सुचना की आधार पर काम और अपनी कल्पना की ऊपर ज्यादा ख़बरे दे रहे है। सारी ख़बरे ऐसी आ रहीं हैं, जैसे यह ज़ीरो पॉइंट पर हों । सब लेह–लद्दाख के होटलों में बैठे हों।
बहराल मैं पत्रकारों के ख़िलाफ़ नहीं जा रहा हूँ। जो देश भक्त पत्रकार है उनका एक नज़रिया है, जो देशद्रोही पत्रकार है उनके एक नज़रिया है। पर मैं सिर्फ़ यह मांग दुबारा करता हूँ की हमने जो २०१६ में जो स्टोरी की थी ‘बेहोश प्रधान मंत्री’ उससे हम दुबारा पूरा का पूरा छाप रहें हैं और हम चाहेंगे की देशवासी देखें ,की हमने जो लिखा २०१६ से २०२० तक कितना सही साबित हुआ और २०२० में भी सरकार उसका नोटिस नहीं ले रही है। हमारे देश की जासूसी जैसे हो रही थी, अभी भी वैसे ही होती जा रही है।