किसी भी व्यक्ति की उसके जीवन के प्रति प्राथमिकताओं से ही उसका चरित्र और प्रवृत्तियां अभिव्यक्त होती हैं ।यह तथ्य सरकार पर भी लागू होता है ।सरकार की प्राथमिकता में कौन सा वर्ग है ? पूंजीपति वर्ग है या गरीब ,मेहनतकश जनता ? सरकार की प्राथमिकता में जो भी वर्ग होता है ,उस वर्ग के चरित्र का ही पर्याय सरकार का भी चरित्र और प्रवृत्तियां होती हैं ।
सरकार द्वारा सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का ढिंढोरा पीटना दरअसल एक भ्रामक प्रक्रिया है ।इसकी आड़ में अंततः गरीब ,मेहनतकश जनता का शोषण होता है ।
वर्तमान में कोरोना के संक्रमण से उत्पन्न घनघोर संकट के समय में अभी भी केंद्र सरकार की प्राथमिकता में निजी क्षेत्र के हितों की रक्षा करना ही है ।गरीब ,लाचार ,मेहनतकश जनता घनघोर दुर्दशा की शिकार है ,लेकिन अभी तक सारे देश में चिकित्सा सेवाओं का राष्ट्रीयकरण नहीं किया गया ।अभी तक सभी निजी अस्पतालों का सरकार ने अधिग्रहण नहीं किया ।जनता लुटने और मरने के लिए मजबूर हैं ।
अभी तक श्वेत पत्र भी जारी नहीं किया ।यह स्थितियां केंद्र सरकार के चरित्र और प्रवृत्तियों को अभिव्यक्त कर रही हैं ।
जिस जनता ने वोट दिया ,उसी जनता की मौतों के भी वास्तविक आंकड़ों को छिपाना अक्षम्य है ।
इतिहास में यह समय भला किस तरह दर्ज होगा ?