चारा घोटाला आखिरकार राजद सुप्रीमो एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक करियर को ले डूबा. चारा घोटाले ने लालू को अब पूरी तरह से बेचारा बना दिया है. चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू को दोषी करार दिया और लालू रांची स्थित बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार पहुंच गए. वहां लालू नई पहचान है, कैदी नम्बर-3351. ऐसा पहली बार हुआ जब सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद लालू के पांव लड़खड़ा गए. उस समय उनके पुत्र तेजस्वी यादव ने उनके पास खड़े थे और उन्होंने अपने पिता को सहारा दिया, अन्यथा वे कोर्ट संभवत: रुम में ही गिर जाते.
फैसले के समय लालू प्रसाद के चेहरे पर उस समय मुस्कान दिखी, जब अदालत ने इसी मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व पशुपालन मंत्री विद्यासागर निषाद, लोक लेखा सम्पत्ति के पूर्व अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित छह आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. लेकिन कुछ ही मिनट बाद जब कोर्ट ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, पूर्व सांसद आरके राणा सहित 16 को दोषी करार दिया, तब लालू बेहस उदास हो गए. राजद नेताओं का आरोप है कि नरेन्द्र मोदी, सुशील मोदी और नीतीश कुमार के इशारे पर सीबीआई काम कर रही है और इन्हें जान-बूझकर फंसाया जा रहा है.
लालू के पुत्र और राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का कहना है कि सुशील मोदी और नीतीश कुमार भी कई घोटालों में शामिल हैं, तो इनलोगों के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई क्यों नहीं करती. उनका कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. राजद सुप्रीमो का कहना है कि वे गंगा की तरह निर्मल और स्वच्छ हैं. वे इस तथ्य का हवाला दे रहे हैं कि घोटाले की जांच का आदेश उन्होंने ही दिया था, लेकिन उल्टा उन्हें ही फंसा दिया गया. लालू ने कहा कि सीबीआई मुझे वीरप्पन समझती है. उन्होंने कहा कि जिस आपूर्तिकर्त्ता ने मलाई खाई, इसे रिहा कर दिया गया.
हमने आरोपियों पर केस किया, तो हमें ही आरोपी बना दिया गया. हमें राजनीतिक विरोधियों ने फंसा दिया और हमें बदनाम किया गया. मेरे घर से ससुराल तक जमीन को खोद-खोदकर धन निकालने की कोशिश की गई, लेकिन सीबीआई को कुछ भी नहीं मिला. सीबीआई ने आय से अधिक सम्पत्ति का भी केस किया, पर सीबीआई हार गई. लालू का मानना है कि मोदी को अगर डर है तो हमसे ही. हमारी पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है और अगले लोकसभा चुनाव में गठबंधन भाजपा का सफाया कर देगा. भाजपा को यही डर सता रहा है और इसी कारण सीबीआई को हथकंडा बनाकर मुझे जेल भेजा गया. लालू ने कहा कि मुझे अदालत पर भरोसा है और हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
खारिज हो गए लालू के सभी तर्क
चारा घोटाले के सभी मामलों को नौ माह के अंदर ही समाप्त करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में सीबीआई की चार विशेष अदालतें चारा घोटाला की सुनवाई कर रही हैं. घोटालों की सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद सहित अन्य अभियुक्तों को सशरीर हाजिर रहने का आदेश दिया गया था. लेकिन लालू प्रसाद ने अपने राजनीतिक जीवन का हवाला देते हुए इसमें छूट देने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने उनकी मांग खारिज कर दी.
चारा घोटाले के चारो मामलों में, जिनमें लालू प्रसाद आरोपी हैं, उसमें झारखंड उच्च न्यायालय ने आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में मुकदमा नहीं चलाने का आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को निरस्त करते हुए इस मामले में आपराधिक षड्यंत्र की धाराएं भी जोड़ने का निर्देश दिया था. इस कारण लालू का भविष्य भंवर में फंसता दिख रहा है. जिस अदालत में यह मामला चल रहा है, उसके जज के व्यवहार को दुराग्रह से प्रेरित बताते हुए लालू प्रसाद ने उच्च न्यायालय से कहा था कि उनके गवाहों को अपमानित किया जा रहा है और इस जज से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है, इसलिए जज को बदला जाय. लेकिन उच्च न्यायालय ने लालू के इस अपील को खारिज कर दिया था. लालू प्रसाद ने उच्च न्यायालय से यह अनुरोध भी किया था कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत से यह मामला स्थानान्तरित किया जाय.
लेकिन अदालत में लालू की इस मांग वाली याचिका भी खारिज हो गई. उसके बाद सुनवाई जारी रही और अब फैसले के बाद लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में जेल के दीवारों के अंदर पहुंच गए. यह मामला देवघर जिला कोषागार से जुड़ा हुआ है, जहां नब्बे लाख रुपए की अवैध निकासी कर ली गई थी. चारा घोटाले के एक अन्य मामले में भी जनवरी, 2018 के अंत तक फैसला आना है. इस मामले की भी सुनवाई पूरी हो चुकी है. यह मामला चाईबासा कोषागार से जुड़ा हुआ है, जहां पशुपालन विभाग के नाम पर 35 करोड़ रुपए से भी अधिक की निकासी कर ली गयी थी. इसमें भी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद आरोपी हैं. इन चारों मामलों में अगर लालू दोषी करार दिए गए, तो इन्हें कम से कम सात साल तक सलाखों के पीछे रहना पड़ सकता है.
जांच तो कराई लेकिन फाइल दबा दी
उनका कहना है कि उन्होंने सीआईसी से पूरे मामले की जांच कराई थी. तत्कालीन आरक्षी महानिरीक्षक डीएन सहाय ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा था कि इस तरह का कोई घोटाला नहीं हुआ है. डीएन सहाय ने यह भी लिखा था कि इस मामले की जांच लोक लेखा समिति भी कर रही है. ऐसे में दूसरी एजेंसी जांच नहीं कर सकती. मुख्य सचिव वीशस दूबे को भी जांच के लिए कहा गया था, पर सच्चाई इससे इतर है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि लालू प्रसाद ने जांच के आदेश तो दिए, लेकिन जब जांच की फाइल आई, तो लालू प्रसाद ने अपने ही आदेश को पलट दिया और दो साल तक फाईल दबाकर रखे रहे.
भाजपा नेता सरयू राय ने 1994 में ही इस ओर इशारा किया था कि लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली सरकार में पशुपालन विभाग से आदेश लिखाकर करोड़ों की अवैध निकासी कर ली जाती थी. तत्कालीन वित्त सचिव की वीएस दूबे ने भी यह लिखा है कि आवंटन 20-25 करोड़ रुपए का था, पर फर्जी आवंटन के आधार पर अरबों रुपयों की अवैध निकासी हो रही है. इसके बाद लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री के ताकत का इस्तेमाल करते हुए पूरी संचिका ही दबा दी. घोटालेबाज लूट में व्यस्त थे और पूरा माफिया गिरोह व्यवस्था पर हावी था. तीन वर्षों तक सीएजी की रिपोर्ट भी नहीं आने दी गई.
चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने फर्जी आवंटन के आधार पर अवैध निकासी की जांच के बारे में लिखा, इसके बाद वीएस दूबे ने भी फर्जी आवंटन के सहारे अवैध निकासी की जानकारी सरकार को दी. देवघर के तत्कालीन उपायुक्त सुखदेव प्रसाद ने भी जांच के संबंध में राज्य सरकार को लिखा, लेकिन उसके बाद उनका स्थानान्तरण ही कर दिया गया. उसके बाद भाजपा नेता सरयू राय एवं रविशंकर प्रसाद ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल किया. उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने इस जांच का जिम्मा लिया, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. पता चला कि फर्जी आवंटन के आधार पर 1990 से 96 के बीच 950 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई.
यह सारा पैसा पशुओं के चारा, दवा और पशुओं की खरीद को लेकर दिखाया गया था. सीबीआई ने इस संबंध में 55 प्राथमिकी दर्ज की और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, डॉ जगन्नाथ मिश्र सहित एक दर्ज राजनेताओं सहित आधा दर्ज दर्ज से भी अधिक आईएएस अधिकारियों को तो आरोपी बनाया ही, 500 से भी अधिक लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. जिसमें अधिकार पशुपालन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी एवं आपूर्तिकर्त्ता थे. इस समय स्कूटर और मोटरसाईकिल पर गाय, सांड, बकरी और चारा ढोये गये थे. चारा और दवा के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध निकासी की गई थी. इस पूरे घोटाले के किंगपीन पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय निदेषक श्याम बिहारी सिन्हा माने जाते थे. चारा घोटाले के मामले में राजद सुप्रीमो सातवीं बार जेल गये हैं.
23 तारी़ख भूल नहीं पाते लालू प्रसाद
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि 23 तारीख को ही लालू यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया और वो भी 23 तारीख ही थी, जब 20 साल पहले सीबीआई ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव, डॉ जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा, डॉ आरके राणा सहित 55 लोगों के खिलाफ चारा घोटाले में पहला आरोप पत्र दाखिल किया था. इसके बाद लालू यादव ने पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत में समर्पण कर दिया था. पहले उन्हें बेऊर जेल ले जाया गया, फिर बाद में बीएमपी पांच के गेस्ट हाइस में कैम्प जेल बनाकर रखा गया. 135 दिन जेल में रहने के बाद 12 दिसम्बर 1997 को जब लालू यादव जेल से रिहा हुए, तो इसी शान शौकत से बाहर निकले. हाथी पर सवार होकर हजारों कार्यकर्त्ताओं के जुलूस की शक्ल में इनका काफिला एक अणे मार्ग पहुंचा. इनकी पत्नी राबड़ी देवी इस समय मुख्यमंत्री थी. उन्होंने लालू का स्वागत किया था.
गंगा में नहाने से पाप धुले न धुले, भाजपा में जाने से धुल जाएगा : तेजस्वी
फैसले के दिन पिता के साथ साए की तरह लगे रहे तेजस्वी यादव ने धैर्य नहीं खोया. अदालत जाने के पहले और दोषी तय होने के बाद भी वे मुखर रहे. राजनीतिक प्रतिद्वदियों को भी उन्होंने निशाने पर लिया, तो वहीं राजद के उत्तराधिकारी के तौर पर भी दिखे. कदम-कदम पर उन्होंने आक्रामक तेवर दिखाकर राजद कार्यकर्त्ताओं में जोश भरा. तेजस्वी यादव बोले कि गंगा में नहाने से पाप धुले न धुले, भाजपा में शामिल होते ही सारे पाप धुल जाएंगे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसकी बानगी हैं. सृजन घोटाला नीतीश कुमार के कार्यकाल की ही देन है, लेकिन सरकार उस पर मौन है. तेजस्वी ने सधे शब्दों के बाण छोड़े.
उन्होंने कहा कि भाजपा नीतीश और आरएसएस ने एक साजिश के तहत लालू को जेल भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जिन्होंने अपनी मर्जी पूरा करने के लिए महात्मा गांधी तक की हत्या कर दी, उनके लिए लालू यादव क्या चीज हैं? लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि लालू यादव एक व्यक्ति नहीं विचारधारा हैं. दलितों, गरीबों, समाज के हर अंतिम व्यक्ति की लड़ाई और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने की वजह से इन्हें बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है. हम किसी भी साजिश को किसी कीमत पर कामयाब नहीं होने देंगे. तेजस्वी ने कहा कि बिहार की जनता इस साजिश को अच्छी तरह समझती है. वह इसका मुंहतोड़ जवाब देगी. मैं खुद 14 जनवरी के बाद एक-एक गांव और मोहल्लों में जाकर लोगों को जागृत करने का काम करूंगा, ताकि पूरे देश में लालू की ताकत का एहसास हो. बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद है. गुजरात चुनाव के नतीजों से तिलमिलाई सरकार लालू से दहशत में है. यही वजह है कि भाजपा ने उन्हें जेल भेजने का काम किया है.