नई दिल्ली: दलितों की बात करकर हमेशा बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हमेशा हमलावर रहने वाले भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर रावण ने बड़ा ऐलान किया है। अब वो कह रहे की वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे। चंद्रशेखर का दावा है कि, उन्होंने ये फैसला इस लिए लिया है ताकि वोटों का बिखराव नहीं हो। तो जानकर ये कह रहे की चंद्रशेखर रिस्क लेने वालों में से नहीं हैं, उन्हें ये आभास है की अगर ऐसा करेंगे तो वो हारेंगे और इससे उनके राजनितिक करियर को बड़ा झटका लगेगा। हालाँकि रावण ने ये फैसला अपने चुनाव की घोषणा करने के करीब एक महीने बाद ही लिया है।
भीम आर्मी के प्रमुख चन्द्रशेखर ने बुधवार को अपने फैसले से यू-टर्न लेते हुए कहा कि बीजेपी को हराने के लिए दलित वोट संगठित रहना चाहिए और उनका संगठन सपा-बसपा-रालोद गठबंधन का समर्थन करेगा। गौरतलब है कि चन्द्रशेखर के इस यू-टर्न से कुछ ही दिन पहले बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने उन्हें बीजेपी का एजेंट बताते हुए उन पर दलित वोट बांटने का आरोप लगाया था।
दलित संगठन के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने यह भी कहा कि यदि सपा-बसपा-रालोद गठबंधन सतीश चन्द्र मिश्रा को वाराणसी सीट से टिकट देती है तो भीम आर्मी गठबंधन का समर्थन करेगी। मिश्रा बसपा के महासचिव और पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं। चन्द्रशेखर ने कहा कि यदि सपा-बसपा गठबंधन वाराणसी से मिश्रा को उम्मीदवार बनाता है तो उन्हें अगड़ी जातियों का भी कुछ वोट मिल सकता है। इससे पहले चन्द्रशेखर ने मिश्रा पर मायावती को गुमराह करने और दलित संगठन के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया था।
मायावती की आलोचनाओं पर चन्द्रशेखर ने कहा, ”मैं 16 महीने तक जेल में था। जेल में रहते हुए मैं रोज सोचता था कि बहनजी हमारा पक्ष लेंगी, हमारे लिए लड़ेंगी लेकिन उन्होंने एक शब्द नहीं बोला। रिहाई के बाद मैंने उन्हें फोन करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।” उन्होंने कहा, ”हमारे अपने लोग हमें बीजेपी का एजेंट बता रहे हैं, लेकिन मैं अभी भी चाहता हूं कि वह (मायावती) प्रधानमंत्री बनें। मैं मायावती के साथ यह वाकयुद्ध अब हमेशा के लिए खत्म करना चाहता हूं। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमने बीजेपी के लिए भीम आर्मी का गठन नहीं किया है।”