गांधी की कर्मभूमि पश्चिम चम्पारण में शराबबंदी को लेकर कार्रवाई पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो रही है. शराब के धंधेबाजों पर हाथ डालते ही इनके समर्थक गोलबंद हो हिंसा पर उतारू हो पुलिस व उत्पाद विभाग की टीम पर टूट पड़ रहे हैं. ऐसी हिंसक झड़प में जान तक चली जा रही है. अभी हाल में 4 जुलाई को उत्पाद विभाग की टीम शराब के कारोबारियों की धर-पकड़ में भड़की हिंसा के बाद एक युवक की मौत हो गई. मृतक सन्नी कुमार (23) बसंतपुर का रहने वाला था. इस क्रम में उत्पाद विभाग के दारोगा सुनील कुमार समेत चार सैप जवान घायल हो गए. सन्नी बसंतपुर पंचायत के दबंग मुखिया पंकज बरनवाल का भतीजा था.
छह बहनों के बीच सन्नी अपने पिता का इकलौता पुत्र था. सन्नी की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने बंसतपुर मोड़ के समीप घंटो बेतिया-नरकटियागंज पथ को जाम कर बवाल काटा. वाहनों में भी तोड़ फोड़ किए गए. आधे दर्जन थानों की पुलिस गुस्साए लोगों को नियंत्रित करने में लगी रही. बाद में एसपी जयंतकांत को घटनास्थल पर पहुंचना पड़ा. उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत कर उत्पाद विभाग की टीम पर हत्या की एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया.
मृतक के पिता प्रदीप प्रसाद के द्वारा उत्पाद विभाग की टीम के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई. घटनास्थल से एसएलआर के दो खोखे बरामद किए गए. इधर आक्रोशित ग्रामीण व मृतक के परिजन सीधे-सीधे उत्पाद विभाग पर फायरिंग करने व युवक की हत्या का आरोप लगा रहे हैं. इनका कहना है कि सन्नी प्रतिदिन सुबह बाइक से बसंतपुर मोड़ जाता था. वहां बाइक खड़ी कर टहलता था. 4 जुलाई की सुबह भी सन्नी मोड़ पर गया, जहां वह उत्पाद विभाग की टीम की गोली का शिकार हो गया.
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर उत्पाद विभाग के दरोगा सुनील कुमार का कहना है कि ‘गुप्त सूचना पर वे सैप जवानों के साथ अलसुबह शराब पकड़ने सतवरिया बसंतपुर मोड़ पर पहुंचे. तभी एक युवक 20-25 लीटर शराब के साथ बाइक पर सवार हो कर आते दिखा. उसे रोककर पूछताछ की ही जा रही थी कि 60-70 लोग हथियारों के साथ आ पहुंचे और उत्पाद विभाग की टीम पर टूट पड़े. वे हथियार भी छीनने लगे. हमारे मैगजिन आदि जमीन पर गिर गए.
बाइक को भी हमलाावरों ने छीन लिया. इसी बीच तेज पटाखे की आवाज आई. हमलोग किसी तरह जान बचाकर भागे.’ दरोगा सुनिल कुमार ने उत्पाद टीम की ओर से गोली चलाने की बात से इंकार किया है. निष्पक्ष जांच के लिए एसपी जयंतकांत ने पांचों जवानों के एसएलआर को पुलिस लाइन में जमा कराया है. हथियार विशेषज्ञ जांच करेंगे कि जमा किए गए राइफल से गोली चली है या नहीं. पुलिस ने जो दो खोखे बरामद किए है, वे 7.62 एमएम के हैं, जिनका इस्तेमाल रायफल में किया जाता है.
कतिपय लोगों की गलत कारगुजारी के कारण शराब बंदी के बाद से ही बसंतपुर गांव शराब के धंधे के लिए चर्चित रहा है. अवैध शराब के इन धंधेबाजों ने एक नेटवर्क बना लिया है. जिसके कारण पुलिस व उत्पाद विभाग को कईबार छापेमारी में पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है. इसके पूर्व नरकटियागंज के पूर्व एसडीपीओ अमन कुमार के नेतृत्व में साठी समेत आधा दर्जन थाने की पुलिस जब यहां दलबल के साथ पहुची थी, तो उसे भी जबर्दस्त विरोध का सामना पड़ा था. जब पुलिस दर्जनों शराब की भटि्ठयों को ध्वस्त कर शराब बनाने वाले उपकरणों को जब्त कर ले जाने लगी, तो औरतों और बच्चों को आगे कर पुलिस टीम को घेरने की कोशिश की गई थी. पुलिस टीम पर ईंट आदि भी बरसाए गए थे, जिसमें कई पुलिस के जवान घायल भी हुए. बाद में बेतिया पुलिस लाइन से भारी संख्या में पुलिस बल को भेजकर स्थिति को काबू में किया गया.
शराबबंदी के बाद इसके पक्ष में थरूहट क्षेत्र की महिलाएं गोलबंद होकर घूम-घूमकर शराब की दुकाने तोड़ रही थीं और गांव में शराबियों को पकड़कर उनकी पिटायी कर रही थीं. लेकिन अब यहां का भी मंजर बदल गया है. यहां भी अब शराबबंदी की कार्रवाई में पुलिस को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. गत 10 जून को सहोदरा थाने की पुलिस को सूचना मिली कि पिपरा कॉलोनी में देसी शराब का बड़े पैमाने पर निर्माण कर इसे बेचा जा रहा है.
पुलिस की टीम सहोदरा थानाध्यक्ष कृष्णमुरारी गुप्ता के नेतृत्व में पिपरा कॉलोनी निवासी चिरैया देवी के घर जब छापेमारी करने लगी, तो उनपर शराब के धंधेबाजों के समर्थकों ने हमला कर दिया. पुलिस टीम पर पथराव हुआ और मिर्च पाउडर डाला गया. उसके बाद अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाया गया, फिर रानी कुमारी की शराब के साथ गिरफ्तारी हुई. पुलिस ने इस मामले में प्रहलाद चौधरी, चिरैया देवी, झमेली देवी, रम्भा देवी, गायत्री देवी समेत एक दर्जन लोगों को नामजद किया है.
शराब के धंधेबाज गांवों में बेरोजगार युवक व महिलाओं को जोड़कर अपने नेटवर्क को मजबूती दे रहे हैं. इस धंधे में ऊंचा मुनाफा भी आकर्षित कर रहा है. जिसके कारण शराब माफियओं के पक्ष में लोग गोलबंद हो रहे हैं. पिछले दिनों मझौलिया के सेनवरिया गांव में पुलिस व उत्पाद विभाग की टीम ने संयुक्त कार्रवाई कर 7 ड्राम स्प्रीट पकड़ा. इस धंधे के मुख्य आरोपी अवधेश यादव को तत्कालीन थानाध्यक्ष सुनील कुमार ने पकड़ लिया, लेकिन जब पुलिस की टीम उसे जीप में बैठा कर थाना लाने लगी, तो अमवा सरेह के समीप भारी संख्या में ग्रामीणों व महिलाओं ने उन्हें घेर लिए.
उन्होंने हमला कर गिरफ्तार अवधेश यादव को मुक्त करा लिया. हमले में तीन-चार कांस्टेबल भी घायल हुए. इस मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों को नामजद किया गया है. इसी तरह, बैरिया प्रखंड के तमौलिया एवं सिरिसिया मठिया टोला में भी शराब के कारोबारियों के विरूद्ध पुलिस व उत्पाद विभाग की टीम को अपनी कार्रवाई में झटका लगा. धंधेबाजों के समर्थकों के उग्र होने पर पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा.