जेंटलमेंस गेम कहलाने वाले क्रिकेट में चीटिंग अब आम बात हो गई है. चकिंग चीटिंग का एक मुख्य भाग बन गया है. लेकिन आईसीसी ने अब चकिंग पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है. इसके लिए उसने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. उसके इस रुख की सभी सराहना कर रहे हैं. सराहना करने वालों में अंपायर डैरेल हेयर भी शामिल हैं जिन्होंने 1995 में मुरलीधरन की कई गेंदों को चकिंग बताकर नो-बॉल करार दिया था. इसके साथ ही जिन खिलाड़ियों के ऊपर पर गाज गिर रही है उनके संदिग्ध एक्शन के बावजूद लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने पर भी सवाल उठ रहे हैं. आईसीसी ने संदिग्ध एक्शन वाले या कहें चकिंग करने वाले खिलाड़ियों पर नज़र रखने और रिपोर्ट करने को कहा था. मेलबर्न में हुई मीटिंग के बाद आईसीसी ने अपने बयान में कहा था कि वह संदिग्ध एक्शन के गेंदबाजों की संख्या में हो रही वृद्धि की वजह से चिंतित है. मैदान पर चकिंग करने वाले गेंदबाजों के खिलाफ कठोर निर्णय नहीं लेने की वजह से अंपायरों की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं. ऐसा लग रहा है अंपायर निष्पक्ष निर्णय नहीं ले रहे हैं उनके ऊपर दबाव रहता है. आईए जानते हैं कि इस समस्या ने विकराल रूप कैसे ले लिया.
चकिंग एक बार फिर से चर्चा का विषय है. पिछले महीने भारत में संपन्न हुए चैंपियंस लीग टी-20 टूर्नामेंट के दौरान समय सुनील नारायण, मोहम्मद हफीज, अदनान रसूल, सूर्यकुमार यादव और प्रेनेलन सुब्राएन आदि गेंदबाजों के संदेहास्पद गेंदबाजी एक्शन की अंपायरों ने शिकायत दर्ज कराई. इससे पहले सितंबर महीने में बांग्लादेश के वेस्टइंडीज के दौरे के दौरान बांग्लादेशी तेज गेंदबाज अल-अमीन हुसैन को भी संदिग्ध एक्शन के लिए रिपोर्ट किया गया था. आईसीसी चकिंग करने वाले गेंदबाजों की संख्या में लगातार हो रही बढोत्तरी की वजह से चिंतित है और वह इस पर रोक लगाने के लिए तेजी से काम कर रही है. इस साल जुलाई के बाद से आईसीसी पांच स्पिनर्स को चकिंग करने के आरोप में गेंदबाजी करने से रोक चुकी है. इनमें श्रीलंका के सचित्र सेनानायके, पाकिस्तान के सईद अजमल, न्यूजीलैंड के केन विलियम्सन, जिम्बाब्वे के प्रोस्पर उत्सेया और बांग्लादेश के सोहाग ग़ाज़ी आदि गेंदबाज शामिल हैं.
आईसीसी के इन कदमों को पूर्व आस्ट्रेलियाई अंपायर डैरल हेयर ने देरी से उठाया गया कदम बताया है. उनका आरोप है कि दब्बू अम्पायरों की वजह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चकिंग करने वाले गेंदबाजों को बढ़ावा मिला है. उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने चकर्स पर कार्रवाई करने में 20 साल का विलंब कर दिया है. इसलिए यह समस्या वकराल रुप ले चुकी है. इस वजह से दुनियाभर में संदिग्ध एक्शन वाले गेंदबाजों की एक पूरी पीढ़ी ही तैयार हो गई है. आईसीसी को चकिंग के खिलाफ शुरुआत तकरीबन 20 साल पहले ही कर देनी चाहिए थी. उनके पास वर्ष 1995 में चीजों को ठीक करने का एक बेहतरीन मौका था, लेकिन उसने वह मौका गंवा दिया. मैदान पर अपने विवादास्पद और साहसिक फैसलों के लिए मशहूर रहे अंपायर डैरल हेयर ने वर्ष 1995 में मेलबर्न टेस्ट के दौरान मुथैया मुरलीधरन पर मेलबर्न में चकिंग का आरोप लगाया था और तीन ओवर में उनकी सात गेंदों को नो-बॉल करार दिया था. हैयर का कहना है कि आईसीसी को उसी समय मुरली के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी. मुथैया मुरलीधरन की गेंदों को नो बॉल देने का विवाद इतना बढ़ गया था कि श्रीलंका के तत्कालीन कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने हेयर के निर्णय का विरोध किया था और टीम को लेकर पवेलियन चले गए थे. इसके बाद आईसीसी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि अंपायर पहले भी उनके एक्शन के बारे में संदेह जता चुके थे. वर्ष 1999 के विश्वकप में हेयर के श्रीलंका के मैचों में अंपायरिंग नहीं करने पर रजामंदी हुई थी. हेयर को मुरलीधरन के एक्शन को गलत बताने की वजह से जान से मारने की धमकी मिली थी. 2011 में अंपायरिंग से संन्यास लेने के बाद भी लगातार हेयर मुरलीधरन के एक्शन पर सवाल खड़े करते रहे थे. इसके बाद वर्ष 1999 मुरलीधरन के गेंदबाजी एक्शन को ऑस्ट्रेलिया के रास एमर्सन ने एडीलेड में रिपोर्ट किया था. इसके बाद मुरली का बायोमैकेनिकल परीक्षण किया गया. आईसीसी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर उनके एक्शन को सही ठहरा दिया था. रिपोर्ट में कहा गया कि उनके हाथ में पहले से ही कुछ कमी है इस वजह से गेंदबाजी के दौरान नियमित रूप से उनका हाथ मुड़ा रहता है. इसके बाद आईसीसी ने एक एक्सपर्ट पैनल का गठन किया. उस पैनल की अनुशंसा के आधार पर गेंदबाजों को 15 डिग्री तक बांह मोड़कर गेंदबाजी करने की अनुमति दे दी गई. इसके बाद मुरलीधरन पर कार्रवाई के करने वाले एमर्सन के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया उससे दूसरे अंपायर भी गलत एक्शन के खिलाफ रिपोर्ट करने से कतराने लगे. एमर्सन उस मैच के बाद कभी अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग नहीं कर पाए. यह आईसीसी का चकिंग को लेकर अपनाया गया दोहरा रवैया था. उसने खिलाड़ियों पर लगाम कसने के बजाए अंपायरों पर ही लगाम कस दी.
सकलैन और मुश्ताक अहमद के पाकिस्तान में उदय के साथ ही वहां की युवा पीढ़ी उन्हीं का अनुसरण करने लगी. लेग स्पिन क्रिकेट की सबसे मुश्किल विधाओं में से एक है और ऑफ स्पिन सबसे सरल. इस वजह से पाकिस्तान में शोएब मलिक से लेकर सईद अजमल तक अधिकांश गेंदबाज सकलैन की तरह गेंदबाजी करते दिखाई देने लगे. हालांकि, सकलैन पर कभी चकिंग का आरोप नहीं लगा. नई पीढ़ी के गेंदबाजों ने कुछ नया करने के चक्कर में अपने गेंदबाजी एक्शन को ही बिगाड़ लिया और चकिंग करने लगे. पाकिस्तान के कई गेंदबाजों शब्बीर अहमद, शोएब अख्तर, मोहम्मद हफीज, शोएब मलिक, रियाज अफरीदी और शाहिद अफरीदी के नाम संदिग्ध गेंदबाजी ऐक्शन में आ चुका है.
यहां एक बात समझने की है कि आखिर चकिंग की इस परंपरा की शुरूआत हुई केसै? किन खिलाड़ियों को इसके लिए मूल रूप से ज़िम्मेदार माना जा सकता है? आखिरकार ऑफ स्पिनर पर ही चकिंग के आरोप क्यों लगते हैं? पूर्व पाकिस्तानी स्पिनर सकलैन मुश्ताक ने दूसरा गेंद की खोज की थी. इसके बाद ही मुथैया मुरलीधरन और हरभजन सिंह जैसे गेंदबाजों पर दूसरा फेंकने के एक्शन की वजह से चकिंग के आरोप लगे. दरअसल, ऑफ-स्पिनरों द्वारा फेंकी जाने वाली दूसरा गेंद सबसे ज्यादा निशाने पर रहती है, क्योंकि इसी गेंद को फेंकने के दौरान गेंदबाज की कोहनी सबसे ज्यादा मुड़ती है.आखिर अचानक से चकिंग के आरोप गेंदबाजों पर कैसे लगने लगे. साफ-सुथरे या कहें क्लीन एक्शन के गेंदबाज के सफल गेंदबाजों की कमी कैसे हो गई ये समझ में नहीं आया. लेकिन इसी दौरान इंग्लैंड के ग्रीह्म स्वान जैसे ऑफ स्पिनर ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. गेंदबाजों के चकिंग करने के सबसे ज्यादा आरोप एशियाई देशों के खिलाड़ियों खासकर पाकिस्तानी गेंदबाजों पर लगे हैं. राजेश चौहान का करियर भी चकिंग के आरोप की वजह से खत्म हो गया. सकलैन और मुश्ताक अहमद के पाकिस्तान में उदय के साथ ही वहां की युवा पीढ़ी उन्हीं का अनुसरण करने लगी. लेग स्पिन क्रिकेट की सबसे मुश्किल विधाओं में से एक है और ऑफ स्पिन सबसे सरल. इस वजह से पाकिस्तान में शोएब मलिक से लेकर सईद अजमल तक अधिकांश गेंदबाज सकलैन की तरह गेंदबाजी करते दिखाई देने लगे. हालांकि, सकलैन पर कभी चकिंग का आरोप नहीं लगा. नई पीढ़ी के गेंदबाजों ने कुछ नया करने के चक्कर में अपने गेंदबाजी एक्शन को ही बिगाड़ लिया और चकिंग करने लगे. पाकिस्तान के कई गेंदबाजों शब्बीर अहमद, शोएब अख्तर, मोहम्मद हफीज, शोएब मलिक, रियाज अफरीदी और शाहिद अफरीदी के नाम संदिग्ध गेंदबाजी ऐक्शन में आ चुका है. आईसीसी का 15 डिग्री तक कोहनी को मोड़ने की अनुमति देना क्रिकेट के लिए आत्मघाती साबित हो गया. शोएब अख्तर, लसिथ मलिंगा और मुरलीधरन जैसा कोई भी गेंदबाज पारंपरिक क्रिकेट का हिस्सा नहीं हो सकता था क्योंकि उनका गेंदबाजी एक्शन ठीक नहीं था. 15 डिग्री की आड़ में क्रिकेट को बहुत नुक्सान हुआ है. पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी ने चकिंग करने वाले गेंदबाजों का मुखर होकर विरोध करते रहे हैं. मुथैया मुरलीधरन के बारे में उन्होंने कभी सही राय नहीं रखी. उन्होंने हमेशा कहा कि वह चकर हैं. वह हमेशा मुरलीधरन की आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने तो उनकी दूसरा पर प्रतिबंध लगाने के लिये आईसीसी से अपील भी की थी. बेदी ने कहा था कि मुरलीधरन के हाथ की विसंगति को मान्यता देकर आईसीसी ने उनका हौवा बनाने में मदद की है. जबकि सच्चाई तो यह है कि वे एक धोखेबाज खिलाड़ी हैं, जो गेंद को गोले की तरह फेंकते हैं. सईद अजमल के संबंध में भी आईसीसी के देरी से फैसला लेने की बेदी ने आलोचना की और कहा कि आईसीसी ने इस मामले में काफी देरी कर दी और अब वह स्कूली बच्चे की तरह व्यवहार कर रहा है. यह तब हो रहा है जब सईद अजमल ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कई विकेट हासिल कर लिए हैं. उसे आईसीसी को इस ऑफ ब्रेक गेंदबाज द्वारा लिए गए विकेटों का परीक्षण करना होगा. सईद अजमल के निलंबन के संबंध में हेयर ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि उन्हें इतने लंबे समय तक गेंदबाजी कैसे करने दी गई जबकि वह गेंदबाजी के दौरान अपने हाथ को 45 डिग्री से भी अधिक मोड़ते थे. नियामानुसार गेंदबाज को केवल 15 डिग्री तक बांह मोड़ने की इजाजत है. इससे पता चलता है कि अंपायर वाकई में कमजोर हुए हैं. अजमल ने पिछले तीन साल में बेहतरीन गेंदबाजी की है 2011, 2012 और 2013 में अंतरराष्ट्रीय मैचों में क्रमश: 89, 95 और 111 विकेट लिए. 1 जनवरी 2009 के बाद से वह 205 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 442 विकेट लेकर दुनिया के सबसे सफल गेंदबाज रहे हैं.
कुछ पूर्व खिलाड़ी आईसीसी के इस कदम को ही संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं. ऐसे खिलाड़ियों में रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अखतर भी शामिल हैं. पूरे करियर में शोएब के गेंदबाजी एक्शन की दो बार रिपोर्ट की गई थी लेकिन वह पाक साफ होकर बाहर आए थे.
अचानक चकिंग के खिलाफ आईसीसी की तेजी पर शोएब का कहना है कि मुझे इस बात से हैरानी हो रही है कि मैच अधिकारी अचानक ही संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन के लिए कई गेंदबाजों की रिपोर्ट करने लग गए हैं. वर्तमान खिलाड़ी आईसीसी के फैसले से खुश दिख रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के आक्रामक बल्लेबाज ग्लैन मैक्सवेल ने चकिंग को लेकर आईसीसी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की और कहा कि भले ही आईसीसी की ओर से थोड़ी देर हो चुकी है लेकिन उनके इस निर्णय से मौजूदा क्रिकेट में अधिक संख्या में पारंपरिक ऑफ स्पिन गेंदबाज देखने को मिलेंगे. इससे मैदान में गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बढ़ेगा.
आईसीसी के कदम को एक कदम आगे और दो कदम पीछे कह सकते हैं. अगर वो गेंदबाजी को साफ सुथरा बनाना चाहता है तो उसकी पहल ठीक है, लेकिन उसके पूर्व में उठाए कदमों से क्रिकेट को बहुत नुक्सान हुआ है. खिलाड़ी भी लंबी असतीन की शर्ट पहनकर बांह मोडते हैं ताकि वो पकड़े ने जाएं. बढ़ती तकनीक के इस दौर में कुछ भी छिपा नहीं रह गया है. चकिंग करने वाले खिलाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए आईसीसी को अंपायरों को छूट देनी चाहिए जिससे कि वो मैदान में कड़े कदम उठा सकें. अगर ऐसा होता है तो खिलाड़ी चकिंग को लेकर ज्यादा गंभीर होंगे. चकिंग के लिए नो-बॉल दिए जाने के बाद गेंदबाज को ग्राउंड अंपायर के फैसले के विरुद्ध अपील करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. साथ ही आईसीसी को 15 डिग्री वाले नियम को तत्काल खत्म कर देना चाहिए. कुछ इस तरह के कदम उठाकर ही आईसीसी क्रिकेट को चकिंग के जाल से मुक्तकरा पाने में सफल हो पाएगी.