घर की चारदीवारी से लेकर बाहरी दुनिया तक अब महिलाएं अपने सफलता का परचम लहरा रही हैं. महिलाएं शिक्षा, चिकित्सा, पुलिस बल एवं अर्द्धसैनिक बल समेत अन्य क्षेत्रों में परचम लहरा रही हैं. महिलाओं ने राजनीतिक क्षेत्र में भी धमाकेदार प्रवेश किया है. हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव इसका जीवंत उदाहरण है. साथ ही जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर पूरी तरह से महिलाओं ने कब्जा कर लिया है. भारत-नेपाल सीमा से लगे उत्तर बिहार के लगभग आधा दर्जन जिलों में महिलाओं ने पुरुषों को काफी पीछे छोड़ दिया है. राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ रही हिस्सेदारी कितनी महत्वपूर्ण और कारगर साबित होगी, इसकी राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है. दलगत राजनीति से अलग रहे नवनिर्वाचित पार्षर्दों को लगभग सभी राजनीतिक दल अपने पार्टी का सदस्य बता रहे हैं. लेकिन अधिकांश पार्षदों ने यह साफ कर दिया है कि उनके लिए पार्टी महत्व नहीं रखती है, बल्कि क्षेत्र के विकास को तरजीह देना उनकी प्राथमिकता है. अब देखना है कि नवनिर्वाचित पार्षद विकास के वादे को पूरा करते हैं या नहीं.
उत्तर बिहार में बाढ़, अपराध व नक्सली समस्या की वजह से चर्चा में रहने वाले शिवहर जिले में कुल सात सीटों पर जिला परिषद का चुनाव हुआ था जिसमें केवल दो सीटों पर जीत हासिल करने वाली महिलाओं ने जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा ली है. जबकि उपाध्यक्ष के पद पर पुरुष पार्षद को मौका मिला है. इस सीट पर कई दावेदार थे, लेकिन राजनीतिक उलट फेर के बाद पिपराही की पूर्व प्रमुख सह नवनिर्वाचित पार्षद नीलम देवी को अध्यक्ष पद का ताज मिला है. इन्हें जिला पदाधिकारी राजकुमार ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. सीतामढ़ी जिले की कुल 38 सीटों पर हुए चुनाव में 19 सीटों पर महिलाओं ने बाजी मारी है. इस जिले में अध्यक्ष पद के लिए उमा देवी निर्वाचित हुई हैं. जिला परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर जिले के कई चर्चित नेता काफी सक्रिय रहे और पर्दे के पीछे से जोड़-तोड़ की राजनीति में अपना अहम योगदान दिया. जिले की राजनीति में सक्रिय रहने वालों की माने तो जिले के दो पूर्व सांसदों के अलावा वर्तमान सांसद से लेकर पूर्व मंत्री व विधान पार्षद तक अपनी राजनीतिक पारी खेलने में लगे रहे. इस दौरान जातिवाद से लेकर पार्टी स्तर के अलावा अन्य चुनावी जरूरतों का भी ध्यान रखा.
दरभंगा जिले में संपन्न 46 सीटों पर चुनाव के बाद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर महिलाओं ने ही कब्जा जमाया है. यहां से गीता देवी अध्यक्ष, तो ललिता देवी उपाध्यक्ष बनी है. मधुबनी से जिला परिषद अध्यक्ष पद की कुर्सी शीला मंडल को मिली है. समस्तीपुर जिले में जिला परिषद के अध्यक्ष सीट को महिला अतिपिछड़ा के लिए आरक्षित किया गया था. कुल 51 सीटों में से 50 सीटों पर चुनाव खत्म होने के बाद 29 सीटों पर महिलाओं ने सफलता पाई है. लगातार तीन बार जिला परिषद चुनी गई प्रेमलता निर्विराध अध्यक्ष चुनी गईं. प्रेमलता पिछले चुनाव में महज एक वोट से उपाध्यक्ष का चुनाव हार गई थीं. अबकी बार पूर्व अध्यक्ष विजय लक्ष्मी देवी के पति सह पूर्व लोजपा विधायक विश्वनाथ पासवान के अलावा कई अन्य राजनीतिक धुरंधरों ने प्रेमलता को सफलता दिलाने में अहम योगदान दी है. जबकि उपाध्यक्ष के चुनाव में पहली बार जिला परिषद का चुनाव जीतकर आने वाले अनिल कुमार सिंह को सफलता प्राप्त हुई. वे 28 मतों से विजयी घोषित किए गए. मुजफ्फरपुर जिला परिषद अध्यक्ष पद पर इंद्रा देवी, तो मोतिहारी में प्रियंका जायसवाल को सफलता मिली. सबसे अहम सवाल यह है कि निर्वाचित अध्यक्ष जिले में विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में खुद अपनी भागीदारी देंगी या उनके कार्य का संचालन उनके प्रतिनिधयों द्वारा किया जाएगा. अब आम लोगों के बीच यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ लोगों का कहना है कि जिनके परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है उनको तो कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वैसी महिलाएं अपना कार्य खुद भी कर सकती हैं. लेकिन जो महिलाएं पहली बार जिला परिषद अध्यक्ष बनी हैं, उनको कुशल राजनीतिक व्यक्ति की आवश्यकता होगी. यह एक ऐसा मौका है जो महिला प्रतिनिधियों को जनता बीच के बेहतर साबित कर सकता है. अन्यथा उनकी तमाम सक्रियता धरी की धरी रह जाएगी और जिला परिषद कार्यालय कमीशनखोर व दलालों का अड्डा बनकर रह जाएगा. जिले में विकास योजनाओं के सही कार्यान्वयन के लिए महिला प्रतिनिधियों को खुद पर भरोसा कर आगे आना होगा. यह महिलाओं के लिए अध्यक्ष पद पर कायम होने के बाद कठिन परीक्षा से कम नहीं होगा.