पांच राज्यों में हुई भाजपा की बुरी हार से सभी बड़े नेता चिंतित हैं. अब सभी राज्यों में और केंद्र में भी सांगठनिक स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा शुरू होगी. बड़े नेता यह भी पता करने की कोशिश करेंगे कि अपने कद्दावर मुख्यमंत्रियों और कई बड़े नेताओं के रहते पार्टी इतनी बुरी हार कैसे हारी. इस बार न तो पार्टी अध्यक्ष का चाणक्य वाला दिमाग दिखा और न ही प्रधानमंत्री मोदी जादुई असर.
15-15 साल से जिन राज्योंं में भाजपा सरकार में थी, वहां के मंत्रियों तक को करारी हार का मुंह देखना पड़ा. राजस्थान में तो कह सकते हैं कि लोकतंत्र में रोटेशन बने रहने की परंपरा है, लेकिन मध्य प्रदेश में तो हार मिली ही. छत्तीसगढ़ में तो भाजपा को अब तक की सबसे करारी हार मिली है. तेलंगाना और मिजोरम में तो भाजपा बस खाता ही खोल पाई. अब 12 राज्यों में भाजपा की सरकार बची है.
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