अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कोर्ट मेंबर और एनडीए में शामिल जेडीयू के मुख्य महासचिव केसी त्यागी ने 2 दिसंबर को एनएससी क्लब अलीगढ़ में कुलाधिपति, उपकुलाधिपति और कोषाध्य़क्ष के चुनाव की मीटिंग में हिस्सा लेने के बाद दिल्ली वापसी पर चौथी दुनिया से बात करते हुए कहा कि एएमयू से मुस्लिम और बीएचयू से हिन्दू शब्द निकालने का प्रस्ताव उचित नही है. उन्होंने कहा कि एएमयू और बीएचयू के संस्थापकों ने दोनों संस्थानों में जो परम्परा कायम की थी, उनका इन संस्थानों से बुनियादी संबंध है और उन्हें हर हाल में कायम रहना चाहिए.
याद रहे कि पिछले साल यूजीसी की एक समिति ने ऑडिट रिपोर्ट में यह प्रस्ताव रखा था, जिसकी एएमयू रजिस्ट्रार ने कुछ महीने पहले अपने जवाब में इसकी सख्त मुखालिफत करते हुए इस तरह की सोच को स्थापना के उद्देश्य के विरुद्ध बताया था.
केसी त्यागी ने बताया कि कल एएमयू में कोर्ट की मीटिंग में जिस तरह से एकमत से डॉ सय्यदना सैफुद्दीन, इब्ने सईद खां ऑफ नवाब छतारी को लगातार दूसरी बार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का कुलाधिपति और उपकुलाधिपति और जिलुर रहमान को यूनिवर्सटी का कोषाध्य़क्ष बनाया गया है, वह मिसाली है और एएमयू के सम्मान को बढ़ाता है.
कोर्ट मीटिंग में केसी त्यागी के अलावा यूपी के पूर्व मंत्री डॉ. अम्मार रिजवी, कमाल फारूकी, डॉ. मेराजुद्दीन अहमद, सिराज कुरैशी, एमएस खान, जफर इकबाल, डॉ. जफर महमूद, मौलना फजलुरहमान समेत एक सौ से ज्यादा लोगों ने शिरकत की. रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद(आईपीएस) ने मीटिंग की अध्यक्षता की. इस दौरान एजेंडे के 16 बिन्दुओं पर विचार विमर्श किया गया.