उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव कई किस्म के रिकॉर्ड कायम करने वाला चुनाव भी साबित हुआ. विधानसभा चुनाव में उतरा हर तीसरा उम्मीदवार बलात्कार, हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों का अभियुक्त था. उत्तर प्रदेश में इस बार कुल प्रत्याशियों में से 30 प्रतिशत करोड़पति प्रत्याशी थे. उत्तराखंड भी पीछे नहीं रहा.
उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कुल 4,853 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा. उनमें से 4,823 उम्मीदवारों के हलफनामों के आधार पर 859 उम्मीदवारों, यानी करीब 18 प्रतिशत प्रत्याशियों ने खुद ही यह बताया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. 15 प्रतिशत उम्मीदवारों यानि, 704 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. विडंबना यह है कि 30 उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपना शपथपत्र भी ठीक से नहीं भरा और आयोग ने भी उसे अस्पष्ट माना.
इसके बावजूद उन उम्मीदवारों ने बाकायदा चुनाव लड़ा और आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की. इनमें बसपा के नकुल दुबे समेत कई प्रत्याशी शामिल हैं. बहरहाल, यह भी साफ हुआ कि इस बार के चुनाव में करीब 1,457 उम्मीदवार ऐसे थे, जो करोड़पति और अरबपति हैं. आप इसी से समझें कि प्रत्याशियों की औसत सम्पत्ति ही 1.91 करोड़ रुपये की आंकी गई है.
अपराधियों को चुनाव लड़वाने में समाजवादी पार्टी व कांग्रेस गठबंधन पहले नंबर पर रहा. सपा-कांग्रेस मिला कर उनके 69 प्रतिशत प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले हैं. सपा के 37 प्रतिशत और कांग्रेस के 32 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. बहुजन समाज पार्टी दूसरे नंबर पर रही, जिसके 40 प्रतिशत प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि के थे. बसपा के 400 उम्मीदवारों में से 150 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के थे. भाजपा के 36 प्रतिशत प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसके अलावा बसपा के 31, सपा के 29, भाजपा के 26 और कांग्रेस के 22 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर (संज्ञेय) अपराध के मामले दर्ज हैं.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का कोई भी ऐसा चरण नहीं रहा, जिसमें अपराधी या धनपति उम्मीदवारों की खासी तादाद नहीं थी. 11 फरवरी को हुए पहले चरण के चुनाव में 302 करोड़पति उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले 168 प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि के थे. पहले चरण में कुल 836 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें बसपा के 73 में से 66, भाजपा के 73 में से 61, सपा के 51 में से 40, कांग्रेस के 24 में से 18, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के 57 में से 41 और 293 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 43 उम्मीदवार करोड़पति थे.
पहले चरण में चुनाव में उतरे उम्मीदवारों की औसत सम्पत्ति 2.81 करोड़ रुपये है. पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले आपराधिक छवि के 168 प्रत्याशियों में से 143 उम्मीदवारों पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध समेत कई गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि इस चरण में चुनाव लड़ने वाले 186 उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग के समक्ष पैन का ब्यौरा भी पेश नहीं किया था.
दूसरे चरण के चुनाव में कई रोचक और हैरत में डालने वाले तथ्य सामने आए. दूसरे चरण का चुनाव लड़ने वाले बसपा के 67 प्रत्याशियों में से 25 (37 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. सपा के 51 प्रत्याशियों में से 21 (41 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. भाजपा के 67 प्रत्याशियों में से 16 (24 प्रतिशत) और कांग्रेस के 18 प्रत्याशियों में से छह (33 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. दूसरे चरण में चुनाव मैदान में उतरे 206 निर्दलीय प्रत्याशियों में से 13 (6 प्रतिशत) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं.
दूसरे चरण के 107 आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों में से 66 प्रत्याशियों पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे संगीन मामले दर्ज हैं. इन 66 प्रत्याशियों में बसपा के 17 प्रत्याशी (25 प्रतिशत), भाजपा के 10 प्रत्याशी (15 प्रतिशत), सपा के 17 प्रत्याशी (33 प्रतिशत), कांग्रेस के 4 प्रत्याशी (22 प्रतिशत), रालोद के 52 प्रत्याशियों में से 6 प्रत्याशी (12 प्रतिशत) और 12 निर्दलीय प्रत्याशी (6 प्रतिशत) शामिल हैं.
दिलचस्प यह है कि दूसरे चरण में चुनावी मैदान में उतरे 277 यानि 39 फीसदी उम्मीदवार पांचवीं से 12वीं कक्षा पास थे. 310 उम्मीदवार स्नातक थे. 11 उम्मीदवार तो बिल्कुल ही निरक्षर थे. चुनाव के तीसरे चरण में 250 करोड़पति उम्मीदवार मैदान में थे. तीसरे दौर में 110 उम्मीदवार ऐसे थे जिनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. 250 करोड़पति प्रत्याशियों में बसपा के 56 प्रत्याशी, भाजपा के 61, सपा के 51, कांग्रेस के 7, रालोद के 13 और 24 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल थे.
तीसरे चरण के 208 प्रत्याशियों ने अपने पैन का ब्यौरा ही नहीं दिया. आपराधिक पृष्ठभूमि के 110 प्रत्याशियों में से 82 के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं. इन 110 प्रत्याशियों में 21 भाजपा के, 21 बसपा के, पांच रालोद के, 13 सपा के, पांच कांग्रेस के और 13 निर्दलीय हैं. चौथे चरण के मतदान में 189 करोड़पति उम्मीदवार मैदान में थे हैं.
116 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे. 189 करोड़पतियों में बसपा के 45, भाजपा के 36, सपा के 26, कांग्रेस के 17, रालोद के 6 और 25 निर्दलीय शामिल हैं. आपराधिक पृष्ठभूमि के 116 उम्मीदवारों में से भाजपा के 19, बसपा के 12, रालोद के 9, सपा के 13, कांग्रेस के 8 और 24 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं. पांचवें चरण में चुनावी मैदान में उतरे 612 उम्मीदवारों में से 117 यानि 19 प्रतिशत प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले थे. 168 यानी 27 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति थे.
आपराधिक छवि वाले 117 प्रत्याशियों में बसपा के 23, भाजपा के 21, रालोद के 8, सपा के 17, कांग्रेस के 3 और 19 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं. इसी तरह छठे चरण में चुनाव में उतरे 635 उम्मीदवारों में से 20 फीसदी यानि 126 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज थे. आखिरी सातवें चरण में भी राजनीतिक दलों के आपराधिक, दागी और करोड़पति उम्मीदवारों कमी नहीं थी. आखिरी चरण में 115 प्रत्याशी दागी और आपराधिक छवि वाले थे. वहीं 535 में से 132 उम्मीदवार करोड़पति की हैसियत वाले थे.
उत्तराखंड का भी यही रहा हालः पर्वतीय प्रदेश में हुए चुनाव में भी 200 से ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. विधानसभा चुनाव में डटे 637 उम्मीदवारों में से 91 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें 54 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. पांच उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज है.
पांच उम्मीदवारों पर हत्या प्रयास और पांच उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं. उत्तराखंड में भाजपा के 70 उम्मीदवारों में से 19 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. कांग्रेस के सात उम्मीदवारों पर आपराधिक केस हैं. बसपा के चार उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले हैं. 200 करोड़पति उम्मीदवारों में कांग्रेस के 52, भाजपा के 48 और बसपा के 19 उम्मीदवार शामिल हैं.