चार लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे आ चुके हैं और इनसे साफ हो गया है कि एकजुट विपक्ष भाजपा को चुनौती दे सकता है. 14 उपचुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों के खाते में महज चार सीटें आई हैं, जबकि विरोधी दल 10 सीटें पाने में कामयाब हो गए हैं. जिन चार लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें से तीन पर पिछली बार भाजपा जीती थी, जिसमें से केवल एक पर ही इसबार उसे जीत मिली. सपा और बसपा समर्थित राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार ने उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट भाजपा से छीन ली. वहीं, कांग्रेस समर्थित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया सीट भी भाजपा से छीन ली.

कैराना में भाजपा को घेरने के लिए 5 दल लामबंद थे. यहां अंत में लड़ाई गन्ना बनाम जिन्ना हो गई. यह सीट भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई थी और यहां से भाजपा ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया था. मृगांका का मुकाबला आरएलडी की तबस्सुम हसन से था. इसके अलावा भाजपा सांसद चिंतामण वनगा के निधन से खाली हुई महाराष्ट्र की पालघर सीट पर भी उपचुनाव हुआ. यहा इसबार भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना ही भाजपा को टक्कर दे रही थी. यहां भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली. वहीं भंडारा-गोंदिया में एनसीपी ने भाजपा से सीट छीन ली. मौजूदा मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के इस्तीफ से खाली हुई नगालैंड की एक सीट पर सिर्फ दो ही उम्मीदवार थे. तीन बार से इस सीट पर एनपीएफ को जीत मिली है.

10 विधानसभा सीटों की बात करें, तो इनमें से तीन पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और पांच पर अन्य क्षेत्रीय दलों को जीत हासिल हुई. 2014 के बाद से अब तक के उपचुनावों पर गौर करें, तो आम चुनाव के बाद देश में बीते चार साल में 27 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें से भाजपा को सिर्फ 5 पर जीत हासिल हुई, वहीं उसने अपनी जीती हुई 8 सीटें गंवा दी.

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