बीती आठ फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर बुंदेलखंड से आए लोगों ने अपनी समस्याओं को लेकर धरना दिया. बुंदेलखंड सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा द्वारा समाजवादी नेता रघु ठाकुर के नेतृत्व में आयोजित इस धरने में सरकार से मांग की गई कि जल संकट का स्थायी समाधान निकाल कर बुंदेलखंड को अकाल मुक्त बनाया जाए. धरने में बुंदेलखंड के विभिन्न ज़िलों से आए लोगों ने कहा कि यदि सरकारें बुंदेलखंड की समस्याओं को लेकर वाकई संजीदा हैं, तो सबसे पहले उन्हें जल संकट का समाधान करना होगा.
सागर ज़िले के गांव टीला बुजुर्ग निवासी 60 वर्षीय भागचंद ने कहा, इते की कई नदियन पर बांध बन सकत है, धसान नदी पे बांध बनने हतो, बीना नदी को बनने हतो, लेकिन अब तक कछु भओई नई. बस सर्वे हो जात है, बाके बाद बात जैसे आई, बैसेई चली गई. हम औरन को हाल जस को तस बनो है. पचास साल तो हमें जे सब देखत हो गए. अब लगत है मर जैंहें, लेकिन इते की हालत नई बदल पाई. संगठन के अध्यक्ष रघु ठाकुर कहते हैं, हम चाहते हैं कि हमें हर साल सूखे की समस्या के निदान के लिए मांग न करनी पड़े. तीन सालों से बुंदेलखंड सूखे की मार झेल रहा है, लेकिन सरकारों के पास इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है.
नदियों में पानी है, बावजूद इसके खेत सूखे पड़े हैं. सूखा राहत किसानों के लिए नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी और नौकरशाहों के लिए होता है. हर बार दिल्ली से जो पैकेज आता है, उसमें लीकेज हो जाता है, लीकेज से बचने के लिए पैकेज से बचना होगा. बकौल रघु ठाकुर, बुंदेलखंड के लोगों को कृपा और राहत नहीं चाहिए, बल्कि अकाल से मुक्ति चाहिए. सरकारें पूरे देश में सूखा-बाढ़ के नाम पर राहत का खेल खेलती रहती हैं. ग़ौरतलब है कि पिछले तीन सालों से बुंदेलखंड सूखे से जूझ रहा है. इस साल भी मानसून मेहरबान नहीं हुआ.
इस वजह से लाखों एकड़ भूमि पर कोई फसल नहीं है. खेती चौपट हो गई है और किसान आत्महत्या करने को विवश हैं. बेरा़ेजगारी के चलते मज़दूरों को पलायन करना पड़ रहा है. बुंदेलखंड के गांवों में पीने के लिए भी पानी नहीं है, सिंचाई के लिए पानी तो बहुत दूर की बात हो गई. बुंदेलखंड सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा पिछले कई सालों से मांग करता रहा है कि बुंदेलखंड सिंचाई विकास निगम बनाया जाए, जिसके लिए आधी धनराशि केंद्र सरकार मुहैया कराए और 25-25 प्रतिशत धनराशि का योगदान मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सरकारें करें.
लंबित सिंचाई परियोजनाएं
बुंदेलखंड के सागर ज़िले में बीना नदी सिंचाई परियोजना लंबित पड़ी है, उसे शुरू करने का ऐलान केंद्र सरकार को करना चाहिए. बुंदेलखंड की नदियों में पानी है, लेकिन खेत सूखे पड़े हैं. लंबित सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो जाने से हज़ारों एकड़ ज़मीन सिंचित हो जाएगी.
रेल सुविधाओं का अभाव
बुंदेलखंड रेल सुविधाओं के मामले में काफी पिछड़ा है. झांसी को छोड़कर आसपास के कई इलाकों में रेल नेटवर्क बेहद कमज़ोर है. रेलवे की कई परियोजनाएं सालों से लंबित पड़ी हैं. कई इलाकों में रेल नेटवर्क ही नहीं है. नेटवर्क है भी, तो अधिकांश ट्रेनें उन स्टेशनों पर रुकती नहीं हैं. बुंदेलखंड के इलाके उत्तर और मध्य भारत से तो जुड़े हैं, लेकिन दक्षिण भारत के लिए रेल यातायात की व्यवस्था नहीं है. दमोह-सागर को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए नई रेलगाड़ी का ऐलान इस साल के रेल बजट में किया जाना चाहिए.
डॉ. गौर और ध्यान चंद को मिले भारत रत्न
मध्य भारत के पहले विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने वाले डॉक्टर हरि सिंह गौर और हॉकी के जादूगर ध्यान चंद को भारत रत्न देने की मांग भी इस धरने में की गई. लोगों का कहना था कि बुंदेलखंड के उक्त दोनों सपूतों ने देश का नाम रोशन किया, लेकिन सरकार उनके योगदान को नकार कर उनका अपमान कर रही है. दोनों को सालों पहले भारत रत्न मिल जाना चाहिए था, लेकिन पुरस्कारों के राजनीतिकरण के चलते ऐसा नहीं हो सका.
पर्यटन विकास निगम बने
बुंदेलखंड को कुदरत ने खूबसूरती और विविधता से नवाजा है. झांसी, खजुराहो, ओरछा एवं पन्ना जैसी कई जगहें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, लेकिन पर्यटन के विकास के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना के अभाव के चलते पर्यटक वहां तक नहीं पहुंच पाते. इसलिए बुंदेलखंड पर्यटन विकास निगम का गठन किया जाए. इससे न स़िर्फ स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि रा़ेजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. यही नहीं, घाटे का सौदा बन चुकी खेती पर बुंदेलखंड के लोगों की निर्भरता कम होगी और दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों की ओर उनके पलायन में कमी आएगी.