विधानसभा चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति रोचक मोड़ पर आ गई है. कुछ ही दिन पहले भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की बोली से मृतप्राय बसपा में जान आ गई थी, लेकिन दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाती सिंह ने अपने बूते पूरी राजनीति की दिशा मोड़ दी. महिला अस्मिता की रक्षा के लिए जिस तरह स्वाती सिंह मैदान में कूद पड़ीं, उसने मायावती को अचानक भौंचक्का कर दिया और उन्हें बैकफुट पर जाना पड़ा. अब जमीनी राजनीति की स्थिति यह है कि बसपा का ग्राफ नीचे और स्वाती सिंह का ग्राफ ऊंचाई पर जा रहा है. इसमें भाजपा भी हक्की-बक्की हालत में ही है, क्योंकि भाजपा नेतृत्व को यह सूझ नहीं रहा कि जिस मायावती से भय खाकर दयाशंकर सिंह को आनन-फानन पार्टी से निकाल बाहर किया गया, उसी नेता की पत्नी ने पूरी पार्टी को रेस्क्यू कर लिया. ऐसे में अब दयाशंकर सिंह का क्या किया जाए. बहुत संभव है कि दयाशंकर सिंह का निष्कासन जल्दी ही वापस ले लिया जाएगा.
दयाशंकर सिंह ने जमानत मिलते ही मायावती और नसीमुद्दीन समेत उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिस तरह ललकारा, उससे यही लगा कि इस मनोबल के पीछे पार्टी की ताकत काम कर रही है. मऊ की जेल से छूटकर लखनऊ पहुंचे दयाशंकर सिंह अपनी पत्नी स्वाती सिंह के साथ मीडिया से मुखातिब हुए. राजधानी के प्रेस क्लब में आनन-फानन में आयोजित प्रेस वार्ता में दयाशंकर सिंह ने आते ही सीधा हमला बसपा सुप्रीमो मायावती और नसीमुद्दीन पर बोला. दयाशंकर सिंह ने मायावती को चुनौती दी कि प्रदेश के किसी भी सामान्य सीट पर स्वाती सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ कर दिखाएं. उन्होंने दावा किया कि स्वाती सिंह निर्दलीय लड़कर भी मायावती को हराएंगी, यह चैलेंज है. मायावती ने इस चैलेंज को स्वीकार करने के बजाय कहा कि यह सवाल ही फालतू है और ऐसे सवालों का जवाब देने के लिए उनके पास वक्त नहीं है. राष्ट्र के काम में वे वैसे ही बहुत व्यस्त रहती हैं.
मायावती के खिलाफ की गई अमर्यादित टिप्पणी के सवाल पर दयाशंकर ने कहा कि उन्होंने अपने बयान पर फौरन ही माफी मांग ली थी. इसके बाद भी उन्हें सजा मिली, मुकदमा दर्ज हुआ और अपराधियों की तरह उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया. दूसरी तरफ बसपा नेताओं ने उनकी पत्नी, बेटी व मां के खिलाफ सार्वजनिक मंच से जो अभद्र टिप्पणियां कीं उस पर मायावती और नसीमुद्दीन ने आज तक माफी नहीं मांगी और न ही उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने कोई कार्रवाई की. नसीमुद्दीन समेत अन्य दोषी बसपा नेताओं की अभी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. दयाशंकर ने कहा कि वे इस बात पर फिर से जोर देकर कहते हैं कि मायावती टिकट बेचती हैं, टिकट बेचती हैं, टिकट बेचती हैं. इस आरोप की सीबीआई जांच कराई जाए तो सारा खेल स्पष्ट हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए वह कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे, क्योंकि मायावती को टिकट बेचकर दलितों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि मायावती देश की सबसे भ्रष्ट नेता हैं. उनकी सम्पत्ति की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए. साथ ही आम आदमी से करोड़पति बन गए उनके करीबी नसीमुद्दीन और सतीशचंद्र मिश्रा की सम्पत्ति की भी जांच होनी चाहिए. दयाशंकर यह भी बोले कि गेस्ट हाउस कांड के वक्त मायावती की इज्जत बचाने में भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी के साथ वह भी मौजूद थे.
दयाशंकर सिंह की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर बसपा नेता मायावती को गुस्सा आ गया. वे बोलीं कि कोई और सवाल पूछना हो तो पूछें. मायावती ने इस सवाल को फालतू बताते हुए कहा कि ऐसे सवालों का जवाब देने के लिए उनके पास वक्त नहीं है. उल्लेखनीय है कि बसपा प्रमुख मायावती पर दयाशंकर द्वारा की गई विवादित टिप्पणी के खिलाफ बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर दयाशंकर सिंह की मां, बहन और बेटी पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी. इसके बाद ही दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाती सिंह ने बिफर कर मोर्चा संभाल लिया और मायावती समेत बसपा नेताओं को रक्षात्मक रवैया अपनाना पड़ा. दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाती सिंह ने कहा कि मायावती ने अभी तक उनके सवालों का जवाब नहीं दिया है. वे एक सामान्य महिला की तरह मायावती से जवाब मांग रही हैं. स्वाती सिंह ने भी चुनौती दोहराई कि मायावती में नैतिक बल है तो वे प्रदेश की किसी भी सामान्य सीट पर उनके खिलाफ चुनाव लड़ कर दिखाएं.
राजनाथ के बयान के सियासी मायने
आम तौर पर मुलायम और अखिलेश के खिलाफ सार्वजनिक तल्ख टिप्पणियां देने से परहेज रखने वाले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अब अखिलेश सरकार पर खुल कर प्रहार शुरू कर दिया है. राजनाथ के बयान के गहरे राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं. भाजपाई भी यह कयास लगा रहे हैं कि आखिरी वक्त कहीं राजनाथ ही भाजपा का चेहरा तो नहीं बन रहे. बुलंदशहर की घटना पर राजनाथ ने अखिलेश सरकार की कानून व्यवस्था को आड़े हाथों लिया और कहा कि उन्हें अंदाजा नहीं था कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था इतनी खराब हो गई है. राजनाथ बोले कि जनता के मन में यूपी को लेकर इतने सवाल खड़े हो गए हैं कि यह अपने आप में प्रश्न प्रदेश बन कर रह गया है. राजनाथ ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को अराजक, बदतर और लचर कहा. राजनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक वर्ष में दुष्कर्म की घटनाओं में 161 फीसदी की वृद्धि हुई है. यह शर्मनाक है. ये आंकड़े खुद यूपी सरकार के राज्य अपराध ब्यूरो के हैं. राजनाथ ने उत्तर प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी प्रहार किया और कहा कि भ्रष्टाचार तो यहां संस्थागत हो गया है. प्रदेश में पिछले 15 वर्षों से सपा और बसपा की सरकारें रही हैं, लेकिन प्रदेश विकास के मामले में हाशिए पर पहुंच गया.