श्रीनगर: भारतीय सेना के जवानों की जांबाजी की एक और मिसाल उस समय देखने को मिली जब जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ शुरू हुये एक अभियान में बिग्रेडियर हरबीर सिंह अपनी छुटि्टयां अधूरी छोड़कर सीधे मोर्चे पर पहुंचे थे। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सेना की 15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘जख्मी हुये बिग्रेडियर हरबीर सिंह, अपने घर में छुटि्टयां बिता रहे थे। जब उन्हें मध्यरात्रि में यह जानकारी मिली कि आतंकियों के खिलाफ आपरेशन शुरू किया गया है तो उन्होंने खुद से अपना अवकाश रद्द कर लिया और सेवा में फौरन हाजिर हो गए।
लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लन संवाददाताओं को उस आपरेशन की जानकारी दे रहे थे, जिसमें जैश के तीन आतंकियों को मार गिराया गया था। ये लोग 14 फरवरी को हुये पुलवामा आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार थे। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे।
उन्होंने कहा, ‘‘वह (ब्रिगेडियर सिंह) कश्मीर वापस आये और आपरेशन वाली जगह पहुंच गये। उन्होंने अपने जवानों को अग्रणी ढंग से नेतृत्व प्रदान किया। डीआईजी अमित कुमार (वह भी इस कार्रवाई में घायल हुये हैं) भी अपने जवानों को आगे बढ़ कर नेतृत्व प्रदान कर रहे थे। आप इन अधिकारियों के जख्मों को देख सकते हैं। यह दर्शाता है कि हमारे कमांडर आपरेशनों का अग्रणी ढंग से नेतृत्व करते हैं और वे सक्षम हैं कि किसी असैनिक की जान नहीं जाने दें।
उन्होंने कहा कि सेना के अधिकारी भविष्य में होने वाले आपरेशनों में भी मोर्चे पर जाकर जवानों को नेतृत्व प्रदान करेंगे।
सोमवार को पुलवामा जिले के पिंगलान में गोलीबारी में मेजर वीएस ढौंडियाल, सेना के तीन जवान शहीद हो गए थे और डीआईजी कुमार, ब्रिगेडियर सिंह, एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक कैप्टन घायल हो गये थे।
उन्होंने बताया कि घायलों का हालत स्थिर बनी हुई है और उनका इलाज चल रहा है।
इस कार्रवाई में अधिक लोगों की जान चले जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ इसकी दो या तीन वजहें हैं। हम नागरिकों को इसकी जद में आने से बचाना चाहते थे। आप जानते ही हैं कि केवल एक ही नागरिक इस दौरान मारा गया।’’
(Source_PTI)