2013 में यहां पर हुए सीरियल ब्लास्ट में कई लोग घायल हुए थे. उस समय करीब 10 बमों को मंदिर परिसर के अंदर छिपाया गया था. उस घटना के बाद गृह मंत्रालय ने मंदिर की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ तैनात करने का फैसला किया था. लेकिन उस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. मंदिर के श्राइन बोर्ड ने सीआईएसएफ के जरिए सुरक्षा का खर्च उठाने में असमर्थता जताई थी और फिर अपने स्तर पर ही गार्ड तैनात करने का फैसला किया था. लेकिन 19 जनवरी को चार जिंदा बमों की बरामदगी ने एक बार फिर से सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
19 जनवरी की देर रात बोधगया से चार जिंदा बमों की बरामदगी ने 7 जुलाई 2013 के सीरियल बम ब्लास्ट की याद दिला दी, जब पूरा बोधगया दहल गया था. ऐसे धमाका तो इन बमों से भी हुआ, जब बोधगया से करीब ढाई किलोमीटर दूर निरंजना नदी में सुरक्षा बमों ने इन्हें डिफ्यूज किया, लेकिन उससे कोई हताहत नहीं हुआ. बमों को डिफ्यूज करने के दौरान एनआईए, एनएसजी, कोबरा और सीआरपीएफ के बम निरोधक दस्ते मौजूद थे. जैसे ही बम को डिफ्यूज किया गया, वैसे ही पूरे इलाके में एक जोरदार धमाका हुआ. गनीमत रही कि यह धमाका मंदिर परिसर में नहीं हुआ, वरना हजारों लोग इसके शिकार हो सकते थे.
लेकिन समय रहते ही सुरक्षाबलों ने आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया. जिस वक्त बमों को डिफ्यूज किया गया, उस वक्त गया-बोधगया मार्ग को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया गया था, ताकि किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं घटे. इस बारे में जानकारी देते हुए गया की एसएसपी गरिमा मलिक ने बताया कि पुलिस की सक्रियता के कारण एक बड़ी साजिश को नाकाम किया गया. बोधगया के महाबोधि मंदिर के समीप जो विस्फोटक बरामद हुए थे, उन सभी को निष्क्रिय कर दिया गया है और इसके साथ ही एक बड़े हादसे की आशंका टल गई है. गौरतलब है कि शुरू से ही महाबोधि मंदिर आतंकियों के निशाने पर रहा है. 2013 में यहां पर हुए सीरियल ब्लास्ट में कई लोग घायल हुए थे.
उस समय करीब 10 बमों को मंदिर परिसर के अंदर छिपाया गया था. उस घटना के बाद गृहमंत्रालय ने मंदिर की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ तैनात करने का फैसला किया था. लेकिन उस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. मंदिर के श्राइन बोर्ड ने सीआईएसएफ के जरिए सुरक्षा का खर्च उठाने में असमर्थता जताई थी और फिर अपने स्तर पर ही गार्ड तैनात करने का फैसला किया था. लेकिन 19 जनवरी को चार जिंदा बमों की बरामदगी ने एक बार फिर से सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
इन बमों की बरामदगी उस समय हुई जब महाबोधी मंदिर परिसर में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा मौजूद थे. इन दौरान दलाई लामा के साथ हॉलीवुड स्टार रिचर्ड गेरे भी मौजूद थे. गौरतलब है कि दलाई लामा भी आतंकियों की नजर में हैं. इसे देखते हुए ही दलाई लामा को जेड प्लस श्रणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है. दलाई लामा के एक माह के बोधगया प्रवास के दौरान किसी भी आतंकी कार्रवाई को रोकने के लिए फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. प्रवास स्थल तिब्बती मंदिर तथा मठ में सबसे उपरी तल्ले पर दलाई लामा का विशेष कमरा बनाया गया. इस कमरे तक पहुंचने के लिए तीन चक्रीय सुरक्षा व्यवस्था की गई.
दलाई लामा की जेड प्लस सुरक्षा व्यवस्था में 36 सशस्त्र सुरक्षाकर्मी हर समय तैनात रहते हैं. इसके अलावा उनकी सुरक्षा के लिए तिब्बती बौद्ध मठ के छत पर एनएसजी के कमांडों भी तैनात किए गए थे. दलाई लामा की सुरक्षा को लेकर गया की एसएसपी गरिमा मलिक ने कहा था कि ‘दलाई लामा की सुरक्षा प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है. बोधगया में 111 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और आयोजन स्थल कालचक्र मैदान को नो-व्हीकल जोन बनाया गया है. 300 से अधिक सशस्त्र बलों की प्रतिनियुक्ति तथा 30 से अधिक चेक पोस्ट बनाए गए हैं.
इसके अलावा बम डिस्पोजल, डॉग स्न्वॉयड और एंटी सबोटाज टीम की तैनाती भी की गई है. ट्रैफिक व्यवस्था के साथ-साथ किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु पर कड़ी नजर रखी जा रही है.’ खुफिया विभाग से ऐसी भी खबर आई थी कि तिब्बती मूल की कई बौद्ध महिलाओं व चीनी श्रद्धालुओं को खुफिया ट्रेनिंग के साथ आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भारत भेजा गया है. भारतीय खुफिया एजेंसियों को जब इस बात की खबर लगी, तो दलाई लामा के आसपास उपस्थित रहने वाले बौद्ध व चीनी श्रद्धालुओं पर कड़ी नजर रखी जाने लगी. दरअसल, दलाई लामा जब भी बोधगया आते हैं, तो उनके साथ बड़ी संख्या में तिब्बती महिला-पुरुष भी आते हैं.
इनके बीच घिरे दलाई लामा को सुरक्षा मुहैया कराना गया प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण होता है. 2017 की शुरुआत में हुई कालच्रक पूजा के दौरान भी आईबी सहित अन्य खुफिया एजेंसियों ने बोधगया में दलाई लामा की सुरक्षा को लेकर रेड अलर्ट जारी किया था. उससे पहले भी 2012 में गृह मंत्रालय ने भारत में बौद्ध मंदिरों व तिब्बत से जुड़े क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों की संभावना को लेकर एडवाइजरी जारी की थी. इन आशंकाओं के दौरान ही 2013 में अलकायदा ने अपने सहयोगी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की मदद से बोधगया में बम विस्फोट को अंजाम दिया था.