आज जब कंप्यूटर और इंटरनेट के बिना जीवन असंभव सा लगता है, जब इंटरनेट टेक्नोलॉजी वर्ल्ड इकॉनमी की बैकबोन बन चुका है |
जब हर युवा मोबाइल व इंटरनेट में डूब कर अपनी अलग ही दुनिया सजा चुका है |
जब ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन मार्केटिंग, ऑनलाइन बिज़नेस, ऑनलाइन earning हमारी दिनचर्या में शामिल हो चुके हैं, जब अपने सवालों के जवाब जानने के लिए हम बढे बूढ़ों, या जानकार व्यक्तियों से संपर्क न करके गूगल बाबा की शरण लेने लगे हैं |
जब सोशल मीडिया का हमारा अवतार ही हमारी पहचान बन चुका है, उस दौर में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है पर इस अध्याय को अभी चंद ही लोग पढ़ और कढ़ पाए हैं| पर जिस तरह हम कंप्यूटर और इंटरनेट की क्रान्ति को रोक नहीं पाए, उसी तरह हम इस नयी तकनीकी क्रान्ति को भी अपने जीवन में बदलाव करने से रोक नहीं पाएंगे | इंटरनेट की दुनिया में जुड़ा यह नया अध्याय है ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेन्सी का | वैसे तो इसकी शुरुवात २००८ में हुई थी पर उस समय इसे समझ पाना और इस नयी तकनीक पर यक़ीन कर पाना लगभग ना मुमकिन सा था |
सबसे पहले क्रिप्टो करेंसी टर्म को समझ लेते हैं- crypto यानी की जिसे न आप देख सकते हैं न छू सकते हैं न बूझ सकते हैं , भौतिक रूप में यह मौजूद ही नहीं है, आभासी कह ले या गुप्त कह लें, अब करेंसी टर्म तो आप सब जानते ही हैं “मुद्रा” जिसका उपयोग लेन देन में होता है|
cryptocurrency को गढ़ने वाला कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में दक्ष व्यक्ति भी आभासी ही था , मतलब जिसके असल परिचय या शकल किसी को नहीं मालूम, इस व्यक्ति का नाम था “सतोषी नाकामोतो ” |
क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है | ब्लॉकचेन एक प्लेटफार्म है जहाँ न सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी भी चीज़ को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता यानि ब्लॉकचेन एक डिजिटल ledger है | ब्लॉकचेन तकनीक ऐसे काम करती है के मान लीजिये एक इलेक्ट्रॉनिक बही-खाता है जो की तमाम anonymous (गुमनाम) कंप्यूटर सिस्टम्स पर अंकित है और जिनपे ऑनलाइन होने वाले डिजिटल लेन देन को लिखा जा रहा है इन डिजिटल ledgers पर जिसको दुनिया के किसी भी कोने में बैठे प्रोग्रामर्स verify करते हैं| इन transactions को कण्ट्रोल करने वाला कोई एक इंसान, देश या सरकार नहीं है, बल्कि ऐसा जान ले के कोई भी नहीं है जो इन्हे control या manipulate कर सके, यह transactions हज़ारो लाखो anonymous systems के ledgers पर अंकित हो जाते हैं,जिन्हे बदल पाना या मिटा पाना किसी के हाथ में नहीं होता|
और जो anonymous computer programmers इन ट्रांसक्शन्स की complex अल्गोरिथम को क्रैक करके सिस्टम्स पर डिजिटल ledger में वेरीफाई करते हैं, उन्हें crypto miners कहा जाता है इनको हर algorithm को सोल्व करने के लिए क्रिप्टो करेंसी टोकन प्राप्त होते हैं | सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी “बिटकॉइन” है जिसकी तर्ज पर आज २००० से भी ज़्यादा क्रिप्टो currencies डिजिटल वर्ल्ड में मौजूद हैं और जिनका transaction अरबो डॉलर्स में हो रहा है |
बिटकॉइन पर बात करें तो बताते चलें के शुरुवात में २००८ में जब ये आई थी तब इसका मूल्य चंद पैसों से ज़्यादा नहीं था, या मान ले ये कौड़ियों की भी नहीं थी | सर्वप्रथम इसका लेन देन में इस्तेमाल २०१० में हुआ जब एक miner ने दस हज़ार बिटकिन्स के बदले में जापान के एक पिज़्ज़ा शॉप से अपने लिए पिज़्ज़ा आर्डर किया| यही से बिटकॉइन का प्रयोग लेन देन में शुरू हो गया |
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की यही खासियत है, की इसमें जितने ज़्यादा लोग जुड़ते चले जाए, इस्पे trust कायम करते जाएँ, ये मज़बूत होती जाती है और इसी के साथ इसकी वैल्यू बढ़ती जाती है | इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है के आज १२ साल के अंतराल में ही एक बिटकॉइन की वैल्यू ४२ लाख रूपए से भी ज़्यादा हो चुकी है | और उम्मीद यह भी जताई जा रही है के जिस तरह इसका प्रयोग बढ़ रहा है, इसकी वैल्यू आने वाले दिनों में करोड़ो रूपए की हो जाएगी | आज के समय में डिजिटल वर्ल्ड में बिटकॉइन डिजिटल गोल्ड कहलाता है , मतलब यह की यह एक डिजिटल एसेट है और कंप्यूटर की दुनिया में रहने वाले लोग इसमें इन्वेस्ट भी कर रहे हैं | इस समय कई बड़े उद्योगपति भी इसमें इन्वेस्ट कर रहे हैं साथ ही बड़ी ग्लोबल कम्पनीज भी इसके द्वारा पेमेंट accept करने लगी हैं, कुछ देशो में तो इसके ATM भी देखने को मिल रहे है |
२०१५ में एक और क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर लांच हुई “ethereum ” जिसका फाउंडर है russian और नाम है “वितालिक बूतरीन “
ethereum भी बिटकॉइन की तरह तेज़ी से पनप रही है, और इसे डिजिटल वर्ल्ड का डिजिटल oil माना जाता है, तमाम नयी क्रिप्टो इसी की तकनीक पे काम कर रही हैं, आगे जाकर इसकी भी वैल्यू में तेज़ इज़ाफ़ा की उम्मीद जताई जा रही है |
जापान, सिंगापुर, दुबई,अमेरिका आदि देश इस ब्लॉकचेन तकनीक पर तेज़ी से काम कर रहे हैं, व क्रिप्टो ट्रेडिंग को लीगल भी मान चुके है |
पर हमारे भारत में इस तकनीक को अभी सही से समझा नहीं है लेकिन इसपर चर्चा ज़ोरो में है| सन २०१८ में cryptotrading को भारत में अवैध घोषित कर दिया गया था, सं २०२० में सुप्रीम कोर्ट ने ये ban लिफ्ट कर लिया, और संसद में इसपर regulatory बिल लाने की चर्चा हो रही है |
हमारे प्रधान मंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी भी Blockchain Technology के स्कोप को समझते हैं, और एक एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, शेर ऐ कश्मीर यूनिवर्सिटी जम्मू में अपने वक्तव्य में उन्होंने इसके महत्त्व और उपयोग पर बात भी की है |
अब देखना यह है के भारत में इसपर किस प्रकार का प्रयोग होता है | इंडियन क्रिप्टो ट्रेडर्स इसका महत्त्व जान रहे हैं और घबराने के मूड में नहीं लग रहे हैं, उन्हें मालूम है यही फ्यूचर है, आगे जाकर digital करेंसी ही रह जाएगी, fiat करेंसी का महत्त्व घटने वाला है | decentralised finance ही फ्यूचर है जहाँ कोई भी देश का कण्ट्रोल करेंसी पर नहीं होगा जहाँ पैसो के नाम पर मैनीपुलेशन ख़तम हो जाएगा | जहाँ पैसा हर उस इंसान को मिलेगा जो काबिल होगा, हक़दार होगा, जानकार होगा | इसी थ्योरी पर एक वेबसाइट लांच हुई है ” mmmdefi ” जो की russian इकोनॉमिस्ट sergey mavrodi के आईडिया पर आधारित है |
सेर्गेय माव्रोडी ने ग्लोबल म्यूच्यूअल फण्ड की शुरुवात की थी | उनका मन्ना था, पैसा अनियोजित संचय न हो बल्कि सर्कुलेशन में रहे, जिसको ज़रूरत हो उसे मिले| यह एक मैजिक बॉक्स की तरह था जिसमे कोई भी व्यक्ति जिसके पास spare मनी हो वो इस बॉक्स में डाल दे और जिसको ज़रूरत हो वो इस मैजिक बॉक्स से निकाल के इस्तेमाल में ले आये फिर जब उसके पास हो जाए तो वो वापस इसमें डाल दे इस तरह हर किसी को मदद मिलती रहेगी कोई वंचित नहीं रहेगा |
mmmdefi कुछ programmers ने २०२१ में mavrodi के इसी आईडिया पर लांच की है | जिसमे लेन देन crypto currencies के माध्यम से हो रहा है |
इन सब टॉपिक्स पर अगर डिटेल में बात करें तो एक पूरी किताब लिखी जा सकती है पर यहाँ इस आर्टिकल में शब्दों की सीमा होती है इसलिए आसान शब्दों जान लें के यह क्रिप्टो ट्रेडर्स, माइनर्स , इन्वेंटर्स एक ऐसी दुनिया तैयार करने में लगे हैं, जहाँ किसी भी देश का बेवजह दखल न हो, जहाँ संपत्ति पर सबका समान अधिकार हो, जहाँ लेन देन की प्रक्रिया निर्बाध हो त्वरित हो , जहाँ किसी को भी अपनी असली पहचान ज़ाहिर करने की ज़रूरत न हो, जहाँ सब कुछ म्यूच्यूअल trust पर आधारित हो | यह दुनिया है तो आभासी प्लेटफार्म पर लेकिन असल दुनिया में फैलती जा रही है, और जल्द ही हम सब इसका हिस्सा बनेंगे यही भविष्य है !
डॉ सबा यूनुस
अंतर_राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त समाजशास्त्री