देशभर के संतों के जरिए गोरक्षधाम के महंत आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा का चुनावी चेहरा बनाने की पेशकश की जा रही है, ताकि राम मंदिर निर्माण के अभियान को तीव्रता मिल सके. गोरखधाम मंदिर में पिछले दिनों भारतीय संत सभा की चिंतन बैठक के जरिए यही चिंतन अभिव्यक्त हुआ. इस चिंतन बैठक में घर वापसी जैसे मुद्दे को भी सहमति मिली और संघ ने इस पर अपनी आधिकारिक मुहर लगा दी.
बैठक में महामण्डलेश्वर स्वामी चिन्मयानन्द महाराज ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आता है, तो जरूरी है कि उत्तर प्रदेश का नेतृत्व ऐसे व्यक्ति के हाथ में हो, जो युवा हो और राम मंदिर बनाने के लिए कृतसंकल्पित हो. यूपी में अगर सपा या बसपा की सरकार होगी, तो केंद्र में मोदी सरकार होने के बावजूद राम मंदिर निर्माण में अड़चन आएगी. प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव युवा हैं, इसलिए भाजपा को भी युवा मुख्य मंत्री ही प्रोजेक्ट करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव की तैयारी 2011 में ही कर ली गई थी.
2011 में अहमदाबाद और 2012 में कुम्भ में अयोजित संतों की खुली बैठक में संतों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने का प्रस्ताव किया था. इस पर अमल हुआ और दो तिहाई बहुमत से केंद्र में सरकार बनी. यूपी के लोग नरेंद्र मोदी को भाजपा नेता के साथ ही गोधरा के नायक के रूप में भी देखते हैं. इसी विचारधारा का व्यक्ति राम मंदिर के निर्माण के लिए जरूरी है. संतों की बैठक में जिस तरह उत्तर प्रदेश की कमान योगी के हाथों सौंपे जाने पर आम सहमति दिखी, उससे साफ लगता है कि संघ चुनाव के लिए प्रखर हिंदुत्व को ही हथियार बनाने के पक्ष में है.
भाजपा ने यूपी के विधानसभा उपचुनावों में सांसद योगी आदित्यनाथ को स्टार प्रचारक बनाकर पूरे प्रदेश में भ्रमण करने भेजा था, हालांकि इसका अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हुआ था. भाजपा में एक खेमा योगी आदित्यनाथ द्वारा उठाए गए मुद्दों को चुनाव में मिली असफलता का कारण माना था, लेकिन संतों की अभी की बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह कृष्णगोपाल ने घर वापसी जैसे मुद्दों पर मुहर लगाकर योगी आदित्यनाथ के अभियान को जैसे हरी झंडी दे दी.
कृष्णगोपाल ने यहां तक कहा कि वह बाहें फैलाकर अपने उन बंधु-बांधवों की घर वापसी का मार्ग प्रशस्त करें, जो एक कालखण्ड में तलवार के बल पर धर्मांतरण के लिए बाध्य किए गए थे. हम ऐसा नहीं करेंगे तो न हमारे पूर्वज हमें माफ करेंगे और न ही आने वाली पीढ़ी हमें क्षमा करेगी. गोरखनाथ मंदिर में महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में हुई इस बैठक में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में संघ के सरकार्यवाह ने योगी के घर वापसी के अभियान पर आधिकारिक मुहर लगा दी. लव जेहाद, घर वापसी और सीमा पर राष्ट्रविरोधी शक्तियों के अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर योगी आदित्यनाथ अपने अभियान से सुर्खियों में भी रहते हैं और अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं के निशाने पर भी.
देशभर के साधु-संतों एवं धर्माचार्यों को सम्बोधित करते हुए गोरक्षपीठ के महंत सांसद आदित्यनाथ ने कहा कि देशभर में 12 लाख से अधिक साधु-संत एवं संन्यासी हैं. देश के लोगों को संतों से अपेक्षा है कि वे सामाजिक पुनर्जागरण का अभियान फिर से प्रारम्भ करें. संत समागम कार्यक्रम और भारतीय संत सभा चिन्तन बैठक में प्रदेश के पूर्व मंत्री फतेह बहादुर सिंह, हिन्दू वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह व राकेश के सिंह पहलवान की अहम भूमिका रही.
इस संत सम्मेलन के पहले भी अलग-अलग समय में अलग-अलग खेमों से योगी आदित्यनाथ को भाजपा का प्रमुख चेहरा बनाने की बात उठती रही है. यहां तक कि अलीगढ़ में भाजपाइयों ने इस आशय का एक पोस्टर भी लगा दिया था, जिससे बाद में भाजपा ने अपना पल्ला झाड़ लिया था. वही मांग फिर गर्म होने लगी है कि पार्टी को तीखे तेवर वाले नेता की जरूरत है. लिहाजा, योगी को ही मुख्यमंत्री के चेहरे के बतौर प्रोजेक्ट किया जाए. यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रणनीति भी है कि लोकसभा चुनावों में हुए हिंदुत्व के ध्रुवीकरण को राज्य विधानसभा चुनाव में और मजबूती दी जाए.
इस दृष्टिकोण से योगी आदित्यनाथ से बड़ा और कारगर कोई दूसरा नाम भाजपा में नहीं है. यह उसी तरह का फॉर्मुला होगा, जैसा मध्य प्रदेश में कभी भगवा वेशधारी साध्वी उमा भारती को चेहरा बना कर भाजपा ने लाभ उठाया था. योगी आदित्यनाथ को न केवल संघ नेतृत्व, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी पसंद करते हैं. उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक आक्रामक चेहरे की जरूरत है, जो प्रदेश में राजनीतिक तेवर पैदा कर दे.
योगी आदित्यनाथ लगातार पूर्वांचल में न सिर्फ लोकसभा का चुनाव जीत रहे हैं, बल्कि वह उस गोरखधाम पीठ के पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी भी हैं, जिसकी मान्यता पूरे देश और विश्व में है. महंत अवैद्यनाथ राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख अगुआ संत रहे हैं. राजनाथ सिंह ने योगी आदित्यनाथ को केंद्रीय मंत्री बनाने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में बड़ा दायित्व सौंपे जाने की तैयारियों के कारण उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था.
जब पोस्टरों से फैली प्रदेश भर में सरगर्मी
अभी हाल ही अलीगढ़ में योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को प्रोजेक्ट करता हुआ पोस्टर लगा था, जिसने थोड़ी ही देर में प्रदेश भर में राजनीतिक गर्मी पैदा कर दी. अलीगढ़ के गांधी पार्क, खिरनी गेट पुलिस चौकी जैसे इलाकों में सड़कों पर लगे पोस्टरों में गोरखपुर के सांसद महंत आदित्यनाथ को यूपी में भाजपा का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की बात कही गई. पोस्टर में साफ लिखा था, मोदी देश में, योगी प्रदेश में.
इन पोस्टरों के लगाए जाने से भाजपा ने आधिकारिक तौर पर पल्ला झाड़ लिया, लेकिन यह संदेश तो चला ही गया कि योगी आदित्यनाथ केंद्रीय भूमिका अदा करने वाले संभावितों में हैं. होर्डिंग्स में उक्त संदेश के साथ योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री मोदी की फोटो भी लगी है. साथ ही पृष्ठभूमि में अयोध्या राम मंदिर की तस्वीर भी है. योगी आदित्यनाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी ने भी उनकी तरफ से ऐसे होर्डिंग्स लगाने से इंकार किया.