भाजपा अपना आत्मविश्वास तो दिखा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं ढूंढ पा रही है. अब तो भाजपा ने कहना शुरू कर दिया है कि चेहरा हो न हो, भाजपा ही जीतेगी. पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से कहा, मुख्यमंत्री का कोई चेहरा हो या न हो, भाजपा की जीत तो पक्की है. मौर्य बोले कि भाजपा कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि अबकी बार भाजपा तीन सौ से अधिक सीटें जीतेगी. मौर्य ने यह कह कर झेंप मिटाई कि हमारे पास चेहरों की कमी नहीं है, हमारे पास सौ से भी ज्यादा चेहरे हैं. हमारा हर चेहरा उन पर भारी पड़ता है. विपक्ष के सारे चेहरे दागदार हैं. हमारी पार्टी बहुत मजबूत है. नरेंद्र मोदी के चेहरे को लेकर चुनाव लड़ने के सवाल पर मौर्य ने कहा कि मोदी दुनिया के सबसे ताकतवर नेता हैं. उन्होंने कहा कि ‘तमाम दल यह जानने को लगातार उत्सुक हैं कि यूपी चुनाव में भाजपा का चेहरा कौन होगा, लेकिन पार्टी ने तय किया है कि बिना मुख्यमंत्री उम्मीदवार के ही चुनाव लड़ा जाएगा. मुख्यमंत्री के बारे में बाद में संसदीय बोर्ड फैसला लेगा. भाजपा दिल्ली और असम में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के साथ चुनाव में उतरी थी, लेकिन असम में तो जीत मिली, पर दिल्ली में हम हार गए. हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में भाजपा बिना मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रखे चुनाव लड़ी और जीती.’
पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर मिले देशव्यापी समर्थन से उत्साहित भाजपा, अब परिवर्तन यात्रा के जरिए दलितों के बीच पैठ बनाने की रणनीति बना रही है. मोहनलालगंज के भाजपा सांसद कौशल किशोर को अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चे का प्रदेश अध्यक्ष बना कर नेतृत्व ने दलितों के बीच सार्थक संदेश दिया है. भाजपा में दूसरे दलों के नेताओं का आना भी उसका उत्साह बढ़ा रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भाजपा ऊपर से कुछ भी बोले, लेकिन अंदर ही अंदर असमंजस से भरी है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय मुस्लिम समाज के बीच तीन तलाक और बहुविवाह का मुद्दा भी छाया है. तीन तलाक के मसले पर मुस्लिम महिलाओं में जबर्दस्त तेवर है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि चुनावों के पहले सर्वोच्च न्यायालय की इस मसले में कोई गाइड-लाइन सामने आ जाती है, तो भाजपा को इसका लाभ मिलेगा.
भाजपा से बर्खास्त दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को महिला मोर्चे का नया अध्यक्ष बना कर भाजपा ने एक वर्ग को खुश किया है. वाराणसी के हैदर अब्बास चांद को अल्पसंख्यक मोर्चे का अध्यक्ष बना कर भी भाजपा ने मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करने का प्रयास किया है.
उत्तर प्रदेश को लेकर हाल में जो सर्वे आए हैं, उनमें भाजपा को अव्वल दिखाए जाने से कार्यकर्ताओं में जोश है. सर्वे के अनुसार, यूपी में मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद अखिलेश यादव हैं, वहीं मायावती दूसरे नंबर पर हैं. लेकिन सीटों के नजरिए से सबसे अधिक लाभ भाजपा को होता दिखाया जा रहा है. सर्वे में भाजपा को 31 प्रतिशत वोटों के साथ 170 से 183 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. जबकि बसपा 28 प्रतिशत वोटों के साथ 115 से 124 सीटों पर सिमटती दिख रही है. वहीं सपा को मात्र 25 प्रतिशत ही वोट मिलने का अनुमान है और उसे 94 से 103 के बीच सीटें मिलती दिख रही है. कांग्रेस व अन्य छोटे दल केवल 8 से 12 सीटों के बीच सिमटते दिखाए गए हैं. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश के मुसलमानों में समाजवादी सरकार व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता बरकरार है. लिहाजा, सर्वे बहुत भरोसा कायम नहीं कर पा रहा है. जबकि उत्साहित भाजपा ने अब चार दिशाओं से अपनी परिवर्तन यात्रा निकालने का निर्णय लिया है, जिसका समापन लखनऊ में पीएम मोदी की रैली से होगा. भाजपा की पहली परिवर्तन यात्रा पांच नवंबर को सहारनपुर से शुरू होगी. छह को ललितपुर, आठ को सोनभद्र और नौ को बलिया से यात्रा निकलेगी. चुनाव से पहले ही नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश में आठ चुनावी रैलियां होंगी. भाजपा अगले माह पिछड़ा वर्ग सम्मेलन भी करने जा रही है. इसके साथ ही युवा और महिला सम्मेलनों के आयोजन की भी तैयारी हो रही है. धम्म चेतना यात्रा के साथ ही भाजपा कांशीराम की संदिग्ध मौत को भी मुददा बनाने जा रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कांशीराम की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग तक कर डाली है.