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चुनावी मौसम में हर पार्टी आरक्षण आरक्षण का पासा फेंक रही है. अगड़ी जाति के गरीबों को दस फीसदी आरक्षण देने के बाद अब भाजपा ने पंचायत चुनाव में आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात कही है. सुशील मोदी ने कहा है कि पंचायत चुनाव में अभी पिछड़ों को 20 और एससी/ एसटी को 17 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. अगले पंचायत चुनाव तक आरक्षण की सीमा 13 प्रतिशत तक और बढ़ाई जा सकती है.

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वर्ष 2021 में भाजपा सरकार जाति आधारित जनगणना करवायेगी. उन्होंने कहा कि 1931 के बाद यह पहला मौंका होगा, जब देश में जाति आधारित जनगणना होगी. इसके आंकडों के आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए जरूरत पड़ी तो संविधान में संशोधन भी किया जाएगा.

भाजपा अति पिछड़ा वर्ग मोर्चा की ओर से रवींद्र भवन में आयोजित जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने राजद से सवाल किया कि 27 साल तक बिहार में पंचायत के चुनाव क्यों नहीं कराए गए ? 2003 में हुए पंचायत चुनाव में एससी/एसटी और अति पिछड़ों को आरक्षण से वंचित क्यों आधार पर दिए गए तीन प्रतिशत आरक्षण को 1992 से समाप्त क्यों किया गया ?

अतिपिछड़ों को पिछले विस चुनाव में भाजपा ने 25 तो राजद ने मात्र पांच टिकट क्यों दिया ? 10 साल तक केंद्र की सत्ता में रहने के बावजूद कर्पूरी फार्मूले के समान पिछड़ा वर्ग की सूची के वर्गीकरण का प्रसास क्यों नहीं किया ? उपमुख्यमंत्री ने कांग्रेस से पूछा कि 45 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद पिछड़े वर्गों के लिए आयोग का गठन क्यों नहीं किया गया ? पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया ?

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