bjp congressउत्तराखंड में हरीश रावत सरकार राज्य के 16वें स्थापना दिवस के जश्‍न में डूबी है. जबकि भारतीय जनता पार्टी परिवर्तन यात्रा के जरिए सरकार की असफलता की कहानी लोगों तक पहुंचा रही है. हालांकि भाजपा की परिवर्तन यात्रा का भी आम जनता में कोई खास प्रभाव नजर नहीं आ रहा है.

विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट का कहना है कि यह जश्‍न हरीश सरकार की विदाई का कारण बनेगा. राज्य के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाली भारतीय जनता पार्टी इस बार सरकारी जश्‍न से नदारद रही.

राजधानी देहरादून स्थित तेल भवन के अतिथि-गृह को अपना बसेरा बना कर धर्मेन्द्र प्रधान जिस तरह हरीश सरकार को माफिया सरकार बता कर उसकी हवा निकालने में लगे दिखे और हरिद्वार के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक जिस तरह हरीश रावत को असफल जनसेवक बता कर केदार घाटी में मिले नर कंकाल के लिए उन्हें दोषी ठहराते रहे, उससे भाजपा के दिग्गजों की रणनीति का पता चलता है. कांग्रेस से आए दस विभीषणों पर अब कम भरोसा करते हुए भाजपा कुछ कठोर कदम उठाने का संकेत भी दे रही है.

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जिसमें विनिंग-गेटिंग फार्मूला अमल में लाने का कदम शामिल है. इससे कांग्रेस के बागियों की हालत खराब होती दिख रही है. भाजपा में मुख्यमंत्री के आधा दर्जन से अधिक दावेदार हैं, फिर भी भाजपा मोदी सरकार की नीतियों एवं उनके चेहरे के बल पर चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रही है.

हिमालयी राज्य का निर्माण जल, जंगल एवं जमीन के मुद्दे पर जन्मे आन्दोलन के बल पर हुआ था. इसके गठन में उत्तराखंड क्रान्ति दल की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

राजधानी के सवाल पर जनता का सपना था कि राजधानी गैरसैण हो. लेकिन इसके साथ भाजपा ने छल किया. अस्थाई राजधानी के नाम पर नेताओं ने देहरादून को राजधानी बना दिया. राज्य के गठन के सोलह वर्ष हो रहे हैं. दो राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस को इस राज्य में सरकार बनाने का अवसर मिला.

बारी-बारी से सत्ता की मलाई चाटने वाली भाजपा और कांग्रेस ने मुख्य मुद्दे जल, जंगल, जमीन को इस कदर भुला दिया कि जनता उन्हीं मुद्दों पर पलायन के दंश से उबर नही पा रही है. उत्तराखंड क्रान्ति दल के दिग्गज नेता भी सत्ता के पिछलग्गू बन कर रह गए.

आम जनता के सुख चैन की सर्जरी

प्रधानमंत्री मोदी के अंतरंग मित्र, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा उत्तराखंड में शुरू की गई परिवर्तन यात्रा पर नोटबंदी की काली छाया इस कदर पड़ी है कि पूरी यात्रा पर जनाक्रोश का ग्रहण छाया हुआ है.

काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक जनता के सुख चैन पर सर्जिकल स्ट्राइक साबित हो रहा है. मजदूर-किसानों से लेकर आम आदमी तक परेशान है. इसका असर भाजपा की परिवर्तन यात्रा पर भी दिख रहा है. मुख्यमंत्री तो कहते हैं कि यह भाजपा का फ्लॉप शो है.

सत्ताधारी नेता मजाक में यह भी कहते दिखे कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अगर लोगों को छुट्टा देने या एटीएम खोलने का वादा करते, तो ज्यादा भीड़ आ सकती थी. देहरादून में परिवर्तन यात्रा रैली में जनता का रिस्पॉन्स ठंढा दिखा. अधिकांश लोग बैंक और एटीएम के सामने कतार लगाए मिले और रैली में भीड़ नदारद रही.

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