नीतीश सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करनेवालों की संख्या में आशातीत बढ़ोतरी हुई है. लेकिन शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण प्रदेश के अधिकतर कॉलेज नामांकन एवं प्रमाणपत्र वितरण का केंद्र बनकर रह गए हैं. प्राध्यापकों की भारी कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कपोल-कल्पना बनकर रह गई है. कुछ कॉलेेजों में तो कई विषयों में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं, फिर भी उस विषय में विद्यार्थियों का नामांकन हो रहा है और विद्यार्थी पढ़ाई किए बिना ही परीक्षा दे रहे हैं.
यूं तो प्रदेश के अधिकतर कॉलेजों में शिक्षा की स्थिति काफी चरमरा गई है. बानगी के तौर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के बेगूसराय जिले के अंगीभूत कॉलेजों की गिरती शिक्षा व्यवस्था को आप देख सकते हैं. बेगूसराय में उक्त विश्वविद्यालय के 5 अंगीभूत कॉलेज हैं.
इन कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की संख्या करीब 60 हजार है और प्राध्यापकों की संख्या मात्र 57 है. विद्यार्थी कॉलेज में पढ़ना चाहते हैं, लेकिन पढ़ाने वाले नहीं हैं. प्रयोगशालाओं में ताले लटके हैं. खेल मैदान वीरान हैं. पढ़ाई और खेलकूद के अभाव में असीम ऊर्जा से लबरेज छात्र-छात्राएं अपने लक्ष्य को हासिल करने में विफल साबित हो रही हैं.
उसी प्रकार नॉन टीचिंग स्टाफ भी मात्र 109 हैं. इन कॉलेजों में प्राध्यापकों के स्वीकृत पद 247 हैं, जिसमें 190 पद रिक्त हैं. नॉन टीचिंग के स्वीकृत पद 274 हैं, जिसमें 165 पद रिक्त हैं. नियमों से खिलवाड़ होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन मौन साधे है. नियमानुसार 75 प्रतिशत उपस्थिति वाले छात्रों को ही फाइनल परीक्षा के लिए भेजा जाता है, लेकिन इन 5 कॉलेजों मे कई विषयों में एक भी प्राध्यापक नहीं होने के कारण क्लास चलती ही नहीं हैं. ऐसे में 75 प्रतिशत उपस्थिति की बात तो शिक्षा व्यवस्था के साथ मजाक ही है.
गणेश दत्त कॉलेज बेगूसराय का सबसे पुराना एवं प्रतिष्ठित कॉलेज माना जाता है. यह पीजी सेन्टर है, जहां इन्टर से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई होती है. इस कॉलेज में छात्र-छात्राओं की संख्या 23 हजार है. प्राध्यापकों के 105 पद स्वीकृत हैं, जिसमें मात्र 28 कार्यरत हैं. 77 पद रिक्त हैं. उसी प्रकार नॉन टीचिंग के 74 पद स्वीकृत हैं, जबकि 33 कार्यरत हैं और 41 पद रिक्त हैं. कॉलेज में अर्थशास्त्र, गणित एवं भूगोल विषय में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं, फिर भी नामांकन एवं परीक्षा जारी है.
एसबीएसएस कॉलेज बेगूसराय में छात्र-छात्राओं की संख्या लगभग 18 हजार है. प्राध्यापकों के स्वीकृत पद 42 हैं, जबकि कार्यरत मात्र 10 हैं. 32 पद रिक्त हैं. यहां नॉन टीचिंग स्टाफ के 83 पद स्वीकृत हैं, जबकि कार्यरत 36 हैं. 47 पद रिक्त हैं. प्राचार्य का पद भी रिक्त है. इस कॉलेज में फिजिक्स, मैथ, अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, इतिहास, उर्दू, गृह विज्ञान, बांग्ला एवं कॉमर्स विषयों में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं. लेकिन सभी विषयों में नामांकन एवं परीक्षा जारी है.
जिले का एकमात्र अंगीभूत महिला कॉलेज है श्रीकृष्ण महिला कॉलेज. कॉलेज में छात्राओं की संख्या 10 हजार है. प्राध्यापकों के 27 स्वीकृत पद हैं. 7 पदों पर प्राध्यापक कार्यरत हैं और 20 पद रिक्त हैं. प्राचार्य का पद भी रिक्त है. नॉन टीचिंग स्टाफ के 30 पद स्वीकृत हैं. 15 कार्यरत हैं जबकि 15 पद रिक्त हैं. राजनीतिशास्त्र, मनोविज्ञान, उर्दू, संस्कृत, म्यूजिक, अर्थशास्त्र, रसायनशास्त्र एवं बॉटनी विषयों में एक भी प्राध्यापक नहीं हैं. इस कॉलेज की आर्थिक स्थिति भी नाजुक है.
सरकारी आदेशानुसार छात्राओं से छात्र कोष का शुल्क नहीं लेना है. सरकार उक्त मद की राशि का अनुदान देती है, जो कभी समय से नहीं मिलती है. यहां बिजली, टेलिफोन के बिल का भुगतान भी कई माह से लंबित है. वर्गकक्ष में पंखा तक नहीं लगा है. राशि के अभाव में परिसर की सफाई भी नहीं होती है. हालत ये है कि यहां दैनिक कार्यों के लिए कार्यालय में कागज, पिन, कार्बन तक उपलब्ध नहीं हैं.
अयोध्या प्रसाद सिंह स्मारक कॉलेज बरौनी बेगूसराय का चौथा अंगीभूत कॉलेज है. कॉलेज में छात्र-छात्राओं की संख्या 5 हजार है. प्राध्यापकों के 49 पद स्वीकृत हैं, जिसमें सिर्फ 4 पदों पर प्राध्यापक कार्यरत हैं. 45 पद रिक्त है. नॉन टीचिंग स्टाफ के भी 49 पद स्वीकृत हैं, मात्र 6 पदों पर स्टाफ कार्यरत हैं. 43 पद रिक्त हैं. यहां प्राचार्य का पद भी रिक्त है. कॉलेज में अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, मनोविज्ञान, इतिहास, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉटनी, जूलॉजी एवं उर्दू विषयों में एक भी प्राध्यापक नहीं है.
यहां एक यक्ष प्रश्न यह है कि मात्र 4 प्राध्यापकों के सहारे कॉलेज कैसे चलाया जा रहा है? सुशासन की पोल खोलने के लिए ये तथ्य काफी हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बजाय छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ इससे ज्यादा क्रूर मजाक भला और क्या हो सकता है. पांचवां अंगीभूत कॉलेज है रामचरित्र सिंह कॉलेज, मंझौल. यहां प्राध्यापकों के 24 पद स्वीकृत हैं, जिसमें मात्र 8 पर प्राध्यापक कार्यरत हैं. 16 पद रिक्त हैं.
नॉन टीचिंग स्टाफ के 38 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 19 पद पर कार्यरत हैं. इस कॉलेज में इतिहास, राजनीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, भूगोल, हिन्दी, बॉटनी, मैथ विषयों में एक भी शिक्षक नहीं है, जबकि कॉलेज में छात्र-छात्राओं की संख्या 7500 है. इसके बावजूद सभी विषयों में नामांकन एवं परीक्षा जारी है. बेगूसराय में अंगीभूत कॉलेजों की इस शैक्षणिक बदहाली के आधार पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के शिक्षा की स्थिति की कल्पना की जा सकती है, जहां छात्र-छात्राएं बिना पढ़े ही डिग्री प्राप्त कर रहे हैं.