पटना में पाकिस्तानी झंडा फहराने तथा पाकिस्तान समर्थित नारा लगाए जाने के मामले को बिहार पुलिस ने कितनी गंभीरता से लिया, यह तो शासक-प्रशासक ही जानें. लेकिन केन्द्रीय जांच एजेसिंयों द्वारा की गई जांच में यह प्रमाणित हो गया है कि पाकिस्तानी झंडा लहराने वालों के ताल्लुकात न केवल पीएफआई (पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया) से हैं, बल्कि बिहार में इस संगठन की बढ़ती गतिविधियां इस बात का संकेत हैं कि बिहार भी आतंकी साए की जद में है. इंडियन मुजाहिद्दीन की तरह पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया का विभिन्न जिलों में फैलता स्लीपर सेल कहीं किसी आतंकी वारदात का कारण न बन जाय, इसे लेकर आईबी ने सरकार के साथ-साथ पुलिस को भी ताकीद कर दिया है. हालांकि पीएफआई ने फिलवक्त किसी वारदात को तो अंजाम नहीं दिया है, लेकिन आईबी की खुफिया रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्यों को रेखांकित किया गया है. हालांकि केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा पहले भी बिहार के कई इलाकों से आईएम के स्लीपर सेल व स्लीपर सेल तैयार करने वाले सरगनाओं को दबोचा जा चुका है. एनआईए और आईबी की संयुक्त टीम द्वारा पूर्व में दबोचे गए इंडियन मुजाहिद्दीन अर्थात आईएम के स्लीपर सेल के कई सरगनाओं ने भी कई सनसनीखेज खुलासा किया था. आईबी की खुफिया रिपोर्ट तथा गिरफ्तार किए गए सरगनाओं के बयान को आधार मानकर शासक-प्रशासक ने कितनी महत्वपूर्ण कार्रवाइयां कीं, शायद राजनीतिक अथवा सुरक्षा कारणों से इसे बहुत अधिक कुरेदा नहीं जा सके. हालांकि बिहार में पाकिस्तानी झंडा फहराने का मामला पहली बार सामने नहीं आया है.
बिहार में पाकिस्तान समर्थित नारे लगाने व पाकिस्तानी झंडा बरामदगी के मामले को कुछ देर के लिए अगर नजरअंदाज कर भी दिया जाए तो भी बिहार के कटिहार, मधुबनी, किशनगंज, दरभंगा तथा अररिया जिले के साथ-साथ कुछ अन्य इलाकों में पीएफआई अर्थात पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया का फैलता जाल शासन-प्रशासन के लिए चिंता का विषय है. आईबी की खुफिया रिपोर्ट से हुए खुलासे के बाद यह प्रमाणित तो हो ही गया है कि आतंकी संगठन की बढ़ती गतिविधियां अब किसी ठोस योजना को अंजाम देने की तैयारी में हैं, साथ ही यह भी प्रमाणित होने लगा है कि समय रहते अगर आतंकियों के नापाक इरादों को कुचला नहीं गया तो बिहार व यूपी भी आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन जाएगा. आईबी द्वारा सरकार को दी गई खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार तथा यूपी में फैलते मॉडयूल द्वारा फिलवक्त किसी तरह की वारदात को तो अंजाम नहीं दिया गया है लेकिन अगर इस तरह की गतिविधियां होती रहीं तो बिहार तथा यूपी में किसी भी वक्त आतंकी घटनाएं हो सकती हैं. हैदराबाद तथा महाराष्ट्र के बाद अब बिहार व यूपी में आतंकी संगठनों के फैलते जाल की बारीकियों को रेखांकित करते हुए आईबी द्वारा कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी सरकार के साथ-साथ पुलिस को दी गई हैं. हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आईबी की खुफिया रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि राज्य में पीएफआई का स्लिपर सेल जैसा मॉडयूल भी तैयार किया जा सकता है. इतना ही नहीं पीएफआई की बढ़ती गतिविधियों की जांच पर बल देते हुए केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि गहन जांच के दौरान स्लिपर सेल के कई मॉडयूल सामने आना इस बात के प्रमाण हैं कि बिहार में आतंकी गतिविधियां खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई हैं. आठ-दस साल पूर्व बिहार से मुख्य मॉडयूल को गिरफ्तार कर इंडियन मुजाहिद्दीन के कई स्लीपर सेल को खंगालने के दौरान सामने आई जानकारी के आधार पर अगर स्थानीय स्तर पर ऑपरेशन चलाया गया होता तो शायद कई स्लीपर सेल को तैयार किए जाने की स्थिति पैदा नहीं होती. 2006, 2008 एवं 2009 में सीतामढ़ी, दरभंगा तथा मधुबनी से एनआईए व आईबी द्वारा तीन-तीन आतंकियों को तो दबोचा गया लेेकिन गिरफ्तार आतंकियों द्वारा बनाए गए संभावित स्लीपर सेल पुलिस की नजरों में नहीं आए, जबकि आईएम के लिए सबसे अधिक स्लीपर सेल तैयार करने वाला मुख्य सरगना यासिन भटकल पुलिस की गिरफ्त में था.
दरभंगा से सलाउद्दीन, सीतामढ़ी से सोनू सहित मधुबनी से गिरफ्तार किए गए यासिन भटकल व अमीर रजा खान में सबसे अधिक खतरनाक मॉडयूल तैयार करने के मामले में यासिन भटकल को चिन्हित किया गया था. यासिन भटकल जहां आईएम के लिए स्लीपर सेल तैयार करने वाला सरगना साबित हुआ था वहीं अमीर रजा खान तथा सलाउद्दीन पीएफआई के लिए स्लीपर दस्ता बनाने का आरोपी निकला. वैसे पीएफआई के किसी भी दस्ते के सदस्य आपस में नए नहीं हैं. समझा जाता है कि पीएफआई के लगभग सभी सदस्य आपस में इसलिए घुलेे-मिलेे हुए हैं क्योंकि सिम्मी, इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद प्रतिबंधित संगठन के लीडरों द्वारा पहले तो धीरे-धीरे नए संगठन का ढांचा तैयार किया गया, फिर संयुक्त रूप से पीएफआई अर्थात पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया नामक संगठन का गठन कर प्रतिबंधित संगठनों के अहम सदस्यों को अहम जिम्मेवारी दे दी गई. केरल में 2006 में गठित इस संगठन का धीरे-धीरे विस्तार करते हुए हैदराबाद तथा महाराष्ट्र के बाद अब बिहार तथा उत्तर प्रदेश में भी गतिविधियां बढ़ रही हैं. केरल में छापेमारी के दौरान पीएफआई के ठिकानों से कई बार भारी मात्रा में गोला-बारूद, अत्याधुनिक हथियार सहित कई आपत्तिजनक सामानों की बरामदगी इस संगठन के खौफनाक इरादे को बेनकाब करने के लिए काफी है. अब देखना है कि बिहार में पसरते आतंकी साए पर किस हद व कब तक काबू पाया जा सकता है!