बिहार में नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्र वाले इलाकों में सुरक्षा बलों को पैठ नहीं जमाने देना चाहते हैं, इसके अलावा विकास परियोजनाओं से लेवी वसूलकर इसे बाधित कर रहे हैं. क्षेत्र के पुल-पुलिया, सड़क निर्माण पर भी नक्सली रोक लगा रहे हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में अगर सड़कें बनीं, तब आम लोगों के साथ-साथ सुरक्षा बलों की भी आवाजाही तेज हो जाएगी. यदि किसी एक संगठन ने ठेका लेने वाली कम्पनी से लेवी वसूल किया, तब दूसरे नक्सली संगठन भी ठेकेदार को घेर लेते हैं.
इसी तरह एक ठेकेदार से कई नक्सली संगठन लेवी वसूलने में लग जाते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि लाचार होकर ठेकेदार काम छोड़ देता है. 15 मई 2017 की रात को गया जिले के परैंया थाना क्षेत्र के कपसिया गांव के समीप मोरहर नदी पर दो पुलों के निर्माण कायर्ं में लगे ठेका कम्पनी के बेस कैम्प पर नक्सलियों ने हमला बोल दिया.
हथियार बंद नक्सली सैप जवान की वर्दी पहनकर बेस कैंप में घुस गए थे और चार मजदूरों को अपने साथ ले गए. नक्सलियों ने लेवी नहीं देने तक काम बंद करने की चेतावनी दी. तीन दिनों बाद शेष दो मजदूरों को छोड़ दिया गया. इस संबंध में स्थानीय लोगों ने बताया कि ठेका लेने वाली कंपनी एलएंडटी ने लेवी देकर मजदूरों को छुड़ाया.
वहीं पुलिस का दावा है कि उनके दबिश के कारण नक्सली मजदूरों को छोड़ गए. पीएलएफआई नामक नक्सली संगठन ने मजदूरों को अगवा करने की जिम्मेवारी लेते हुए कहा कि अगर लेवी नहीं दिया तो पुल-पुलिया का निर्माण कार्य बंद करना होगा. बताया जाता है कि मोरहर नदी पर इन दोनों पुलों के निर्माण कार्य पर चौथी बार नक्सलियों ने हमला कर लेवी की मांग की है.
हर बार नक्सलियों के अलग-अलग संगठनों ने इस निर्माणाधीन पुल को निशाना बनाया है. नक्सली संगठनों की धमकी के कारण इस पुल का निर्माण कार्य लंबे समय से बाधित रहा है. इसके बाद सुरक्षा बलों का एक कैंप पुल निर्माण स्थल के निकट स्थापित किया गया. इसके बावजूद नक्सलियों ने बेस कैम्प में घुसकर चार मजदूरों को अगवा कर लिया.
गया जिले में कई पुल-पुलिया व सड़कें नक्सलियों के आतंक या लेवी की मांग के कारण बंद पड़ी हैं. शेरघाटी अनुमंडल के चिताब गांव के पास मोरहर नदी पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य भी रुका है. नक्सलियों ने इस पुल का ठेका लेने वाली कंपनी से इतना लेवी मांगा कि कंपनी ने काम ही बंद कर दिया.
26 मार्च 2017 से इस पुल का निर्माण कार्य ठप है. हल्दिया से वाराणसी तक पाइप लाइन बिछाने वाली कम्पनी गेल इंडिया के मोहनपुर स्थित कैंप पर 15 मार्च 2017 को नक्सलियों ने हमला कर मजदूरों के साथ मारपीट की. यहां भी लेवी का नहीं दिया जाना ही मुख्य कारण था.
इसके कुछ दिन बाद ही इसी कम्पनी के गुरुआ स्थित कैम्प पर नक्सलियों ने हमला कर काम बंद करा दिया. इसी प्रकार उत्तर कोयल नहर परियोजना में गुरुआ के पास काम कर रहे ठेका कम्पनी के कैम्प पर नक्सलियों ने हमला कर पोकलेन मशीन जला दी. उन्होंने पर्चा छोड़ा कि लेवी नहीं देने के कारण यह कार्रवाई की गई है. आमस प्रखंड के अकौना के पास नहर पर पुल बना रहे ठेकेदार के लोगों पर भी नक्सलि यों ने हमला कर काम रुकवा दिया.
जीटी रोड पर शोभ से धनगई तक सड़क निर्माण कर रहे रनिया कंस्ट्रक्शन के कैम्प पर नक्सलियोें ने कई बार हमला कर काम रुकवा दिया. 24 मार्च 2017 को तीसरी बार नक्सलियों ने इस सड़क का निर्माण कार्य रुकवा दिया. यह कम्पनी जदयू की विधान पार्षद मनोरमा देवी के पति बिन्देश्वरी प्रसाद यादव उर्फ बिन्दी यादव की है.
मगध में चल रही कई विकास परियोजनाओं पर भी नक्सली संगठनों की लेवी ने ग्रहण लगा दिया है. मगध के पांच जिलों गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, अरवल में दो दर्जन से अधिक परियोजनाएं नक्सलियों के भय से अधूरी पड़ी हैं. यहां तक कि सुरक्षा व्यवस्था पर भी नक्सलियों की लेवी भारी पड़ रही है.