अमेरिका के नए राष्ट्रपति जोज़फ बाइडन ने शपथ लेते ही डोनाल्ड ट्रंप के 17 फैसलों को उलट दिया और बंटे हुए अमेरिकी दिलों को जोड़ने का संकल्प किया। उनके मंत्रिमंडल और प्रशासन में भारतीयों को जितना और जैसा स्थान मिला है, आज तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रशासन में नहीं मिला है। कमला हैरिस के तौर पर पहली महिला और भारतीय मूल के पहले व्यक्ति को उप-राष्ट्रपति का स्थान मिला है, यह एतिहासिक घटना है। कमला हैरिस अन्य पूर्व उप-राष्ट्रपतियों के मुकाबले अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाएँगी, इसमें जरा भी संदेह नहीं है।
बाइडन-प्रशासन की नीति चीन, रुस, यूरोप और मेक्सिको आदि लातीनी-अमेरिकी देशों के प्रति कैसी होगी, इसका विस्तृत विवेचन अलग से किया जाएगा लेकिन हमारी पहली जिज्ञासा यह है कि भारत के प्रति उसकी नीति कैसी होगी? इसमें शक नहीं कि बाइडन और कमला के लिए अमेरिकी राष्ट्रहित की रक्षा का महत्व सर्वोपरि रहेगा लेकिन इसी आधार पर भारत के साथ अमेरिका के संबंध पहले से भी बेहतर होंगे, इसकी पूरी संभावना है।
जब तक चीन के साथ अमेरिका का शीतयुद्ध चलता रहेगा, भारत और अमेरिका प्रशांत महासागर क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे लेकिन ट्रंप के विपरीत बाइडन ज़रा संयम से काम लेंगे। वे भारत को चीन के विरुद्ध उकसाने की कोशिश शायद ही करें। इसी तरह वे पाकिस्तान के साथ भी नरमी से पेश आएंगे ताकि अफगान-संकट को सुलझाने में वे कामयाब हो सकें। वे ईरान पर से भी ट्रंप के प्रतिबंधों को रद्द करेंगे और ओबामा की तरह बीच का रास्ता निकालेंगे।
ईरान से हुए परमाणु समझौते को फिर से जीवित करके बाइडन यूरोपीय देशों की सराहना अर्जित करेंगे और भारत-ईरान संबंधों को भी बढ़ावा मिलेगा। चाहबहार परियोजना और मध्य एशिया तक थल-मार्गों की राह खुलेगी। विश्व-स्वास्थ्य संगठन के बारे में ट्रंप-नीति को उलटने से भारत को विशेष लाभ होगा। वीज़ा नीति के बदलाव से अमेरिका में भारतीयों के रोजगार के मौके बढ़ेंगे।
यह ठीक है कि डेमोक्रेटिक पार्टी मोदी सरकार के कुछ फैसलों का विरोध करती रही, जैसे धारा 370 हटाने, नागरिकता संशोधन और मानव अधिकारों का उल्लंघन आदि मुद्दों पर लेकिन ट्रंप जब आंख मींचकर इनका समर्थन कर रहे थे तो ट्रंप-विरेाधी डेमोक्रेटिक पार्टी इनका विरोध क्यों नहीं करती ? वह मोदी से ज्यादा, ट्रंप का विरोध कर रही थी। यों भी मोदी ने बाइडन-प्रशासन का पहले दिन से ही जैसा भाव-भीना स्वागत किया है, उसका भी असर तो पड़ेगा ही।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक