भोपाल की जन्मदाता, खूबसूरती और समझदारी की मिसाल, निज़ाम शाह की हिन्दू रानी कमलापति का मुसलमान को भाई मानना और सरदार दोस्त मोहम्मद खाँ का रानी को माँ जैसा सम्मान देना, पवित्र रिश्तों का अभूतपूर्व उदाहरण है, जिससे की भोपाल की बुनियाद बनी|
रानी कमलापति
राजपूत रानी माँझी मामोला बीमार हुईं तब लोग बड़े तालाब के टापू पर शाह आली शाह के पास गए और माँझी मामोल का हाल बताया, हज़रत कहने लगे लाखों मर सकते हैं, लेकिन गरीबों की सच्ची हमदर्द, अक़्लमंद नहीं मर सकती, उसका ज़िंदा रहना मेरे ज़िंदा रहने से बेहतर है | मैं अपनी ज़िंदगी उसे देता हूँ, खुद दुनिया से रुकसात हो गए, उधर माँझी बिलकुल ठीक हो गईं|
बेगम अस्मत बीबी, नूरजहां की तरह हूकूमत करती थीं| बीबी ने ही भोपाल के सबसे बहादुर और होशियार अम्मी के परदादा वज़ीर मोहम्मद खाँ को दीवान बनाया, फिर नवाब बनकर भोपाल रियासत के 7 आक्रमण बचाए| एक आक्रमण मे दीवान गुलशन राय ने (बीस हज़ारी खिड़की) से ज़बरदस्त मदद की थी|
एक लड़ाई मे मोइज़ मोहम्मद खाँ के मुँह मे गोली लगी, वो गिर पड़े| उनकी माँ ने अपनी ओढ़नी घाव पर डाल कर बुर्ज पर चढ़ गईं, तोपची को ऑर्डर दिया और खुद भी बारूद की गोले उठा-उठा कर तोपची को देने लगीं| बीच-बीच मे बेटे के घाव धोती और पोंछती रहीं| दो घंटे तक फायर होते रहे, जब दुश्मन भाग गए तब नीचे उतरीं|
ज़र्रे को आफताब बनाने के लिए नवाब गौहर बेगम कुदसिया बोरबान फैमिली फ़्रांस, डेविड कुक स्कॉटलैंड और अब्बा के परदादा पीर सैयद अब्दुल्लाह बिन सुलेमान बगदादी को इराक़ से लाईं|
बेगम कुदसिया
भोपाल को क़ानूनी रियासत बनाने वाली स्टार ऑफ इंडिया, नवाब सिकंदर जहां बेगम थीं|
नवाब सिकंदर जहां बेगम
समर्पण, रचनात्मक और इनोवेशन से लबरेज़ नवाब शाहजहाँ बेगम थीं|
नवाब शाहजहाँ बेगम
औरतों को रानी बनाने वाली हरदिल अज़ीज़ शासिका सुल्तान जहां बेगम थीं|
सुल्तान जहां बेगम
इन बहादुर औरतों के जज़्बे को सलाम