भोपाल। हर प्रदेश, हर शहर और यहां तक कि हर छोटे-बड़े गांव की भी एक खासियत होती है और उससे उस जगह की पहचान होती है। राजधानी भोपाल में सदियों पुरानी कल जरी-जरदौजी कहीं दुबकी हुई बैठी है। इस कला को उकेरा जाएगा और इसके सहारे शहर भोपाल की पहचान दुनियाभर में स्थापित की जाएगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को गौहर महल में आयोजन राग भोपाली के शुभारंभ मौके पर यह बात कही। उन्होंने अपने वायदे अनुसार कार्यक्रम की शुरूआत कन्या पूजन से की। उसके बाद वे एक स्टॉल पर पहुंचे और कलाकारों के बारीक जरी काम को बहुत बारीकी से देखा, उसे सराहा और उसकी तारीफ भी की। उनके साथ मंत्री विश्वास सारंग और सांसद प्रज्ञा ठाकुर के अलावा जिला भाजपा अध्यक्ष सुमित पचौरी भी मौजूद थे। राग भोपाली आयोजन की अवधारणा मुख्यमंत्री की मंशानुसार ही किया गया है। इसके लिए शहरभर के सभी जरी और जूट शिल्पियों को जमा किया गया है। जरी वर्क की स्टेट अवार्डी हुमा खान ने मुख्यमंत्री को इस काम की खासियतों और इसकी लोकप्रियता से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने जरी कला के पिछड़ते जाने की वजह भी गिनवार्इं। उन्होंने बताया कि जरी शिल्पियों को उचित बिक्री प्लेटफार्म न मिल पाने और कलाकारों को उनकी मेहनत का उचित पारीश्रमिक न मिल पाने से इसकी पहचान खोती जा रही है। मुख्यमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत की कड़ी में इस कला को जोड़ते हुए जल्दी ही जरी शिल्पियों के लिए योजना तैयार करने का आश्वासन दिया है।
कई दिनों से जुटे हैं लवानिया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मंशा के मुताबिक राग भोपाली बाजार तैयार करने के लिए कलेक्टर अविनाश लवानिया पिछले कई दिनों से मेहनत कर रहे थे। उन्होंने कई दौर की बैठकों में शिल्पियों से काम की बारीकियों को जाना और उनको आने वाली समस्याओं को भी अपनी जानकारी में रखा। कार्यक्रम आयोजन से कई दिनों पहले से लवानिया गौहर महल पहुंचकर कार्यक्रम की तैयारियों पर भी नजर रखे हुए थे। रविवार को आयोजन से पहले भी वे सुबह से ही गौहर महल पहुंच गए थे और जरूरी तैयारियों पर नजर रखे हुए थे।
राग भोपाली में भोपाली आयटम
चार दिन चलने वाले राग भोपाली कार्यक्रम के दौरान जरी और जूट के कई आयटम मौजूद हैं। इनमें भोपाली बटुओं से लेकर जरी सूट और सजावटी सामान शामिल हैं। इसके अलावा यहां खानपान के शौकीनों के लिए भोपाल की मशहूर शमा बार चाय भी मौजूद है। साथ ही राजधानी की पहचान शीरमाल, फिरनी, मीठा जर्दा, शाकाहारी कबाब के अलावा कलाकंद भी लोगों के लिए मौजूद है।
बदलता रहा कार्यक्रम का समय
पूर्व में कार्यक्रम का समय शाम साढ़े पांच बजे निर्धारित किया गया था। लेकिन बाद में इसे बदलकर दोपहर साढ़े तीन बजे कर दिया गया। तय समय के अनुसार मंत्री विश्वास सारंग और जिला भाजपा अध्यक्ष सुमित पचौरी पहुंच गए थे। कुछ समय बाद यहां सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने भी आमद दे दी। इस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सीहोर से लौटते समय यहां आने का कार्यक्रम था, लेकिन वे सीहोर से आकर मिंटो हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में चले गए। जिसके बाद उन्हें वहां से बंसल हॉस्पिटल किसी के कुशलक्षेम पूछने के लिए जाना पड़ा। होती देरी के बाद मुख्यमंत्री करीब पांच बजे कार्यक्रम में पहुंच पाए। कार्यक्रम आयोजकों ने सभी अतिथियों को जूट के शॉल और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया।
रिपोर्ट खान आशु