नयी दिल्ली : फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ बुधवार को इतिहास रचते हुए भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट बनीं जिन्होंने लड़ाकू विमान में युद्धक मिशन पर जाने की अर्हता प्राप्त कर ली है।

वायुसेना अधिकारियों ने कहा कि कंठ ने दिन के समय मिग-21 बाइसन विमान से युद्धक अभियान को अंजाम देने के लिए अभियान का पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।

वायुसेना के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी ने कहा, वह दिन के समय लड़ाकू विमान से अभियान को अंजाम देने के लिए अर्हता हासिल करने वाली पहली महिला लड़ाकू पायलट बन गई हैं।

मौजूदा समय में भावना बीकानेर के नाल बेस पर तैनात हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि रात में अभियान के लिए प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें रात्रि अभियानों को अंजाम देने की इजाजद दी जाएगी।

भावना नवंबर 2017 में लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल हुई थीं और पिछले साल मार्च में मिग-21 बाइसन पर पहली बार अकेले उड़ान भरी थी। ग्रुप कैप्टन बनर्जी ने कहा, अपनी लगन, कठिन परिश्रम और दृढ़ता से वह यह सफलता हासिल करने वाली वायुसेना की पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। वह वायुसेना के महिला पायलटों के पहले बैच से हैं। उनके साथ अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने जुलाई 2016 में फ्लाइंग ऑफिसर्स के तौर पर वायुसेना में कमीशन लिया था।

पिछले साल, भावना एक फाइटर एयरक्राफ्ट में सोलो उड़ान भरने वाली भारतीय वायु सेना की दूसरी महिला पायलट बनीं थी। 25 वर्षीय ने यह उपलब्धि हासिल करने के लिए अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से एक मिग 21 बाइसन विमान में उड़ान भरी थी। ’ऑपरेशनल बाय डे’ घोषित करने के लिए, एक पायलट को अपने सिलेबस को पूरा करना होता है, जो उन्हें दिन के दौरान उड़ान भरने के लिए फिट घोषित करता है।

भारतीय वायुसेना के महिला फाइटर पायलटों के पहले बैच से स्नातक, भावना नवंबर 2017 में लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल हुईं थी। उनके साथ अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने जुलाई 2016 में फ्लाइंग ऑफिसर्स के तौर पर वायुसेना में कमीशन लिया था। बिहार के दरभंगा में जन्मी भावना बाद में अपने परिवार के साथ रिफाइनरी टाउनशिप, बेगूसराय आ गई थी। उनके पिता IOCL में इंजीनियर हैं और मां एक गृहिणी। उन्होंने बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग बैंगलोर से बीई (मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स) में की है।

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