अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने! डोनाल्ड ट्रंप के व्टिटर अकाऊंट को हमेशा के लिए बंद करने के निर्णय की बीजेपी के अधिकृत प्रवक्ता अमित मालवीय और बंगलुरू साऊथ के युवा सांसद तेजस्वी सूर्या ने आलोचना की है कि इस तरह के प्रायवेट कंपनियों की एजेंसी का यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और शायद विश्व के एकमात्र सत्ताधारी दल के लोग होंगे जो डोनाल्ड ट्रंप के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए विशेष रूप से मोर्चा खोल दिया है ! और यह बात बीजेपी के लोग क्यों कर रहे हैं ? इस बात का जवाब मेरे हिसाब से बीजेपी के आईटी सेल यह काम खुद अपने सेफ्रोन डिजिटल आर्मी के द्वारा भारत में आजसे पंद्रह साल के भी पहले से कर रहे हैं और सोशल मीडिया के द्वारा अपने प्रचार अभियान शुरू करने का काम शायद भारत की पहली राजनितिक पार्टी है जिसने सोशल मीडिया के द्वारा अपने आप को मुस्तैद किया है और वर्तमान प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे उसी समय उन्होंने 2007 में थाइलैंड की प्रायवेट कंपनियों की एजेंसी हायर किया था और अपनी छवि बनाने के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल किया है और गुजरात माॅडल का प्रचार अभियान शुरू किया था और भारत के अन्य मुख्यमंत्रीयो के तुलना में 2002 के दंगे के बावजूद राजीव गाँधी फौडेंशन का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री का पुरस्कार प्राप्त करने मे कामयाब हुए !
और कांग्रेस के भी लोग कितने बावले है इसका यही सबसे बड़ा प्रमाण है और यही कारण है कि कांग्रेस की दुर्गति के कई-कई कारणोंमे से एक कारण कांग्रेस के अंदर विरोधाभासी प्रवृत्तियों की भरमार है और वह ऐसे निर्णय इतिहास में कई-कई बार ले चुकी है और वह आज इस स्थिति में आने के लिए खुद के कुछ भी गलतीयो के कारण आज राजनीतिमें हास्यास्पद बन गई है !
अपने खुद के प्रचार-प्रसार के लिए बीजेपी भारत की पहली राजनितिक पार्टी है जिसने सोशल मीडिया के द्वारा अपने प्रचार अभियान शुरू किया है ! और आज उसकी एक लाख से भी ज्यादा सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया के द्वारा अपने ढंग से प्रचार करने का काम करते हैं जिन्हें स्वाती चतुर्वेदी ने अपने आइ एम ए ट्रोल नाम की किताब मे दिया है कि बीजेपी ने अपनी वेबसाइट 1995 मे शुरू की है ! और नरेंद्र मोदी जी ने अपनी वेबसाइट 2005 मे ! शुरू की है और व्टिटर 2009 मे !
मोदी जी के व्टिटर फोलोअर पांच साल पहले दो करोड़ से भी ज्यादा थे ! और वह खुद 1375 लोगों को फाॅलो करते हैं ! और यह जानकारी राइट टू इन्फार्मेशन अक्ट के अंतर्गत प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा दि गई है !
यह देखकर नरेंद्र मोदी जी की जबरदस्त एनर्जी लगती है ! लेकिन नरेंद्र मोदी जी दुनिया के इस गतिविधि मे से एक अनबुझी पहेली है ! कि वह एक मात्र नेता है कि जो ऑनलाइन अब्यूस करने वाले और वह भी सेक्सुअली और डेथ थ्रेट देने वाले 26 अकाऊंटस को फाॅलो करते हैं ! और यह अब्यूस के शिकार हैं विरोधी दल के नेता, पत्रकार (जो नरेंद्र मोदी जी की गलत नीतियों की आलोचना करते हैं !),और उसमें भी विशेष प्राथमिकताओं में महिलाओं, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को और दलितों को लक्ष किया जाता है ! और वह भी गर्वित हिंदू, देश भक्त, नमोभक्त, भारत माता की जय, और वंदेमातरम जैसे नाम के साथ और नरेंद्र मोदी जी के फोटो के साथ ! और उनका दावा है कि वह नरेंद्र मोदी जी के आशीर्वाद प्राप्त अनुयायी हैं !
इस बात पर नरेंद्र मोदी जी को पूछने के बाद वह चुप हो गये थे ! लेकिन उन लोगों को कुछ कहने की जगह उन्होंने उनमेसे 150 लोगों को प्रधानमंत्री आवास पर 7,रेसकोर्स रोड (अब उनके आने के बाद उस मार्ग को लोक कल्याण मार्ग !) मे 1 जुलाई 2015 के दिन डिजिटल संपर्क के लिए विशेष रूप से बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख श्री अरविंद गुप्ताजी ने इन्हें प्रधानमंत्री के आवास पर उन्हें यौध्दा बोलकर प्रधानमंत्री के सामने पेश किया था ! और इनमें से कुछ लोगों ने दुसरे ही दिन इस घटना की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया के द्वारा पोस्ट किया है ! और यह बात मैंने स्वयं स्वाती चतुर्वेदी की किताब आइ एम ए ट्रोल के पेज नंबर 15 से लेकर 20 तक से कोट किया है ! और इन पन्नों पर बहुत ही आपत्तिजनक व्टिटर है जो मै नहीं देना चाहता हूँ ! अगर आप को उत्सुकता हो तो आप लोग इस किताब को देख सकते हैं !
बीजेपी के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने क्या है ? और डोनाल्ड ट्रंप जैसे भडकाने वाली हरकतें लगातार करने वाले और वह भी सोशल मीडिया के द्वारा अपने प्रचार अभियान में और उनके भी भक्त रंगभेद और तथाकथित अमेरिका फर्स्ट के नारे के साथ ! देखिये ट्रंप के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के वकालत करने वाले तेजस्वी सूर्या से लेकर अमित मालवीय के आज के इंडियन एक्सप्रेस में जो स्टेटमेंटस है और वह इस तरह के प्रायवेट कंपनियों की एजेंसी की आलोचना कर रहे हैं और भारत में 2014 के मई मे सत्ता में आने के बाद भारत में कितने सार्वजनिक क्षेत्र प्रायवेट कंपनियों को बेचने वाले लोगों को क्या कहेंगे ?
और बीएसएनएल,रेल्वे, एअर इंडिया, रक्षा क्षेत्रों से लेकर अब ऑल इंडिया रेडियो की बारी आई है! उसपर बीजेपी के प्रवक्ताओं से लेकर किसान-मजदूरों के पार्टी के संघटन चुप हैं ! राजधानी के चारों तरफ जमा डेढ महीने से लगातार बैठे हुए किसानों के लिए दर्द जताने का समय नहीं है पर हजारों किलोमीटर दूर बंगाल में जाकर किसानों के लिए दर्द जताने का समय नड्डा जी की इस कृति को क्या कहेंगे ?
यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लेकर किसान-मजदूर के और देश अन्य सवालों पर गत साडे छह साल से भी ज्यादा समय हो रहा है लगातार हमले हो रहे हैं ! जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात डोनाल्ड ट्रंप के बहाने बीजेपी कर रही है क्या वह मैंने शुरूआत में ही स्वाती चतुर्वेदी की किताब आइ एम ए ट्रोल के हवाले से जो शुरू किया है ! क्या यही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने है जिस लिए आप बीजेपी के प्रवक्ताओं की प्रतिक्रिया डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने खुद के बचाव के लिए विशेष रूप से कोशिश जारी है और एक मिनट के लिए आप लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति कुछ बदलाव हुआ है ऐसा कुछ समय के लिए मान लू तो गये छ साल से भी ज्यादा समय भारत में नाटक, सिनेमा, कथा साहित्य से लेकर चित्रों, गाने और जीवन के जितने भी अभिव्यक्ति के आयाम है उनके उपर हमला करने से लेकर कला कृतियां नष्ट करने वाले लोगों को क्या कहेंगे और यह लोग कौन लोग है ?
भारत के मेनस्ट्रिम मीडिया को कुछ अपवादों को छोड़ कर पूरा संघ परिवार का भाँट बनाने के लिए विशेष रूप से कौन जिम्मेदार है ? अगर आप लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने समझ में आये है तो भारत में पहले कुछ प्रमाणित करना होगा !
डॉ सुरेश खैरनार 10 जनवरी 2021, नागपुर