( लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों को यही सवाल 1907 के प्लेग की बिमारी को लेकर उनकी तरफसे की जा रही जादतियों के खिलाफ अपने मराठी अखबर केसरी के संपादकीय संबोधन में यही सवाल किया था ! कि सरकारचे डोके ठिकाणावर आहे का?)
हिजाब से लेकर लवजेहाद और कश्मीर से 370 हटाने की कृतियों से लेकर समान नागरी कानून लादने की बात हो या तथाकथित नागरिक संशोधन कानून तथा बाबरी मस्जिद ढांचे के उपर मंदिर बनाने की कृतियां, तथाकथित धर्मसंसदो के माध्यम से जिस तरह की धमकियों के साथ अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंदुत्ववादी तत्वो द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम चलाए जा रहे ! जो कि हमारे संविधान में अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारो की रक्षा के लिए स्पष्ट निर्देश दिए हैं ! लेकिन उसकी अनदेखी कर के बहुसंख्यकवाद के अंतर्गत भयभीत करने की मुहिम गत 25-30 सालों से लगातार जारी है ! मंदिर – मस्जिद, गोहत्या, नागरिकत्व से लेकर कोरोना जैसी महामारी, शादी ब्याह और अब हिजाब के साथ चल रही राजनीति हा बिल्कुल संकीर्णता वाली राजनीति ! जो फासीस्ट तानाशाही आजसे सौ साल पहले इटली और जर्मनी में हुई थी ! आज उसीके तर्ज पर संघ के विभिन्न संघठन के द्वारा बदस्तूर जारी है ! और सबसे हैरानी की बात तथाकथित सेक्युलर लोगों में भी जो बुद्धिभ्रम जारी है ! उन्हें लगता है कि जो मांग हमारे हमिद दलवाई आजसे पचास साल पहले शुरूआत किया गया समान नागरी कायदा लागू करने के लिए की गई कोशिशों के कारण हमारे सेक्युलर मित्रों को लगता है कि इस बहाने मुस्लिम औरतों की भलाई हो रही है तो हमें भी इस कदम का स्वागत करना चाहिए और वही बात वर्तमान समय में कर्नाटक में चल रहे हिजाब के विवाद में काफी सेक्युलर मित्र हिजाब के खिलाफ खड़े हो गए हैं ! मैं खुद बचपन से ही समान नागरी कायदा और नकाबपोश या औरतें के साथ किसी भी तरह के ड्रेस कोड लागू करने के खिलाफ रहा हूँ ! लेकिन वर्तमान समय में संघ की अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ चल रही मुहिम की अनदेखी कर के सिधे हिजाब के खिलाफ चल रही बदनामी की मुहिम में शामिल होना संघ की अल्पसंख्यक समुदायों को दोहरी नागरिकों की भुमिका में ले जाने के षडयंत्र में शामिल होने की गलती जाने अनजाने में कर रहे हैं ! और इसी तरह भ्रम पैदा करके परीस्थिति का फायदा उठाकर सांप्रदायिक तत्वों की बांखे खिल रही है ! क्योंकि जिस संघठन के सौ से अधिक सालों से अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंदुत्ववादी तत्वो द्वारा चलाए जा रहे द्वेषपूर्ण प्रचार प्रसार करके ही भागलपुर, गुजरात जैसे जधन्य कांडों को अंजाम दिया है ! और आजादी के बाद भारत के सभी सांप्रदायिक दंगे में और गुजरात के दंगों के भीतर सबसे बड़ा फर्क है ! गुजरात के दंगों में मुस्लिम महिलाओं के साथ विडियो रेकॉर्ड करके अत्याचारों की जांच-पड़ताल महाराष्ट्र की महिलाओं के जांच दल जो एस एन डी टी की व्हाईस चांसलर सुमा चिटणीस और समाजवादी नेत्री मृणाल गोरे के नेतृत्व में की गई है ! और बिल्किस बानो जैसे उदाहरण मानवता के नाम पर कलंक करने वाले लोगों को मुस्लिम समुदाय के महिलाओं के साथ कितनी सहानुभूति है यह देखकर भी सेक्युलर मित्रों को इन सभी मुद्दों पर भुमिका लेने की गलतीयो को देखकर मुझे और हैरानी हो रही है ! क्योंकि गत आठ साल के केंद्र सरकार के सभी निर्णय सिर्फ और सिर्फ अल्पसंख्यक समुदायों को डराने के लिए लिए गए हैं ! इस विषय में मेरे मन में कोई शक नहीं है ! कर्नाटक में पिछले साल के नवम्बर के अंत में हसन जिले के बेलुर गांव में एक चर्च के हमले से लेकर वर्तमान हिजाब के खिलाफ चल रही मुहिम में दक्षिणी भारत में कुछ भी कर के हिंदुत्ववादीयो को अपनी जमीन बनाने की कोशिश का हिस्सा है ! और कर्नाटक में संघ को काफी कामयाबी हासिल हो रही है ! और उनका लक्ष्य तमिलनाडु, केरल तथा आंध्र, तेलंगाना राज्य में अपनी जगह बनाने का है ! और इसलिए केरल माडल की आलोचना करने वाले लोगों को संपूर्ण भारत में गुजरात माडल लागू करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं ! फिर शबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर देश के गृहमंत्री पद पर का आदमी भारत के सर्वोच्च न्यायालय को कहता है कि भविष्य में न्यायालय ने बहुसंख्यक लोगों के भावनाओं को देखते हुए निर्णय लेने चाहिए ! और इसी कारण आयोध्या के मंदिर बनाने के लिए निर्णय लिया गया है ! और बिल्कुल इसके विपरीत 370, नागरिकता वाले केसेस सालों से प्रलंबित पडे हुए हैं !


दो साल पिछले नागरिकता बिल के विरोधी आंदोलन को लेकर या, सालभर पहले ग्रेटा थनबर्ग के किसान आंदोलन पर ट्विटर प्रतिक्रिया के लिए बंगलूरू की 21 वर्षीय लड़की दिशा रवि को हिरासत में लेने की कृति !

सचमुच सरकार के दिमाग के दिवालिया पन की बात है ! कि अपने अन्नदाताओके भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे लंबे समय से चले आंदोलन की अनदेखी कर के, खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे कहावत के जैसे इस तरह के हास्यास्पद कृति करि है ! और वह भी कौन-सा जुर्म ? भारत के खिलाफ सामाजिक,सांस्कृतिक ,और आर्थिक युद्ध करने के जुर्म में !
गत आठ साल से जो सरकार खुद ही इन सब गुनाहो के लिए जिम्मेदार है ! और वह यही आरोप एक इक्कीस साल की लड़की के मथ्थे मढकर मुक्त होना चाहती है ?
नोटबंदी से लेकर, रिजर्व बैंक से लेकर देश की महत्वपूर्ण बैंकों के कामकाज में सरकार ने खुद बेवजह, और रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार हस्तक्षेप करने काम ! क्या आर्थिक विकास के लिए था ? या वह सीधा हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण बैंक के उपर, अपने पद का दुरुपयोग कर के डाका डालने का काम था ?
तथाकथित नोटबंदी से एक रूपये का भी काले धन के आने की बात तो दूर लेकिन कितने लोग मरे हैं ? और सबसे संगीन बात मझोले उद्योगों की कमर तोडने के गुनाहगार कौन है ? यह भी देश के सबसे बड़े आर्थिक,औद्योगिक अपराध में नहीं आता है ? हर साल दो करोड़ रोजगारों को देने का वादा किया था ! और उल्टा नोटबंदी की वजहों से ही लाखों लोगों को बेरोजगार करने के लिए विशेष रूप से कौन अपराधी हैं ?
और सबसे अहम बात देश की सामाजिक एकता के लिए खतरे की ! जिस रजनितिक दलने सिर्फ और सिर्फ देश के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का काम, करने के लिए विशेष रूप से अपने आप को गत तीस साल से भी ज्यादा समय से तथाकथित मंदिर-मस्जिद की लडाई शुरू करते हुए ! आज भारत के सत्ता सम्हलने का काम किया है ! और वह एक इक्कीस साल की लड़की के मथ्थे मढकर मुक्त होना चाहती है ?


आजसे दो सप्ताह बाद गुजरात के दंगे को बीस साल होने जा रहे हैं ! और उस समय वर्तमान प्रधानमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कौन-सा सामाजिक ताने-बाने को बचाने का काम किया है ? अपनी छप्पन इंची छाती का इस्तेमाल कितने बेगुनाहो की जान लेकर किया है और? यह बात जस्टिस कृष्णा अय्यर के नेतृत्व में क्राईम अगेंस्ट हुमानीटी नामसे प्रकाशित जाँच रिपोर्ट से संपूर्ण विश्व की जानकारी मे है ! और अलगसे राणा आयुब, आर बी श्रीकुमार, सिद्धार्थ वरदराजन, मनोज मित्ता, लेफ्टनंट जनरल जमिरूद्दिन शाह जैसे लोगों ने लिखी हुई किताबों के कारण ! अमेरिका से लेकर विश्व के कितने देशोकी सरकारोने अपने अपने देश में इन्हें आने के लिए विसा पर पाबंदी लगा दी थी ? यह बात सभी को मालूम है ! अमेरिका के विसा बंदी के ऑर्डर पर वर्तमान राष्ट्रपति जब उपराष्ट्रपति पद पर रहे हैं ! तब उनके ही हस्ताक्षर से वह पाबंदी लगा दी थी !


आठ साल से गोहत्या से लेकर लव-जेहाद तथाकथित नागरिकता कानून को लागू करने की कृति और अब हिजाब के पाबंदी लगाने के लिए चल रही कोशिश ! देश की एकता-अखंडता के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही है ?
शेकडो की संख्या में लोगों को तथाकथित गोमांस के संशय के आधार पर भारत में इसके पहले कभी भी नहीं हुई है ! ऐसी माॅबलिंचिग की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों के उपर अबतक क्या कार्रवाई हो रही है ? और अब लव-जेहाद और हिजाब की आडमे आप के दलके कितने राज्य सरकारों ने भारत के संविधान के विरुद्ध जाकर कानून बनाने की बात कौनसे सामाजिक सद्भाव के लिए मददगार साबित हो रहे हैं ? उल्टा आयें दिन नवपरिणीत जोडोको सताने और कहा कहा तो मारे जाने की खबर आ रही है ! और लगभग सभी कोर्ट लव-जेहाद शब्द की आडमे आप के दलके सरकारों को फटकारा है ! लेकिन मुझे याद नहीं है कि आप ने या केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने इस पर किसी सरकार को टोका है !
कौनसे सामाजिक सद्भाव के लिए मददगार साबित हो रहे हो ? और इसके अपराधीओ के उपर क्या कार्रवाई हो रही है ? और इससे भारत जैसे विभिन्न जातियों और संस्कृति के देश में इस तरह के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का काम करने वाले लोगों के उपर अबतक क्या कार्रवाई हो रही है ?


उल्टा विश्वविद्यालयों से लेकर देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं मे आजसे नब्बे साल पहले के जर्मनी की तर्ज पर संघी गुंडे पुलिसके भेस में गेस्टापो की तरह जेएनयू,जामिया,अलिगढ,विश्वभारती शांतिनिकेतन,हैदराबाद की सेंट्रल यूनिवर्सिटी से लेकर मद्रास आई आईटी मे जो हिंसा किये है ! जिसमें रोहित वेमुला से लेकर नजीब जैसे प्रतिभाशाली छात्रों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है ? और उनके ऊपर अबतक क्या कार्रवाई हुई है ?


डिजिटलीकरण की रट लगाते हुए प्रधानमंत्री जी को मालूम होना चाहिए कि ! आज की तारीख में जानकारी हासिल करने के लिए किसी एक लडकी को जिम्मेदार ठहराने जैसी बचकानापन की हरकतों से सरकार ने बाज आना चाहिए ! क्योंकी कुछ चंद क्लासिफाईड बातोको छोड़ कर कुछ भी गोपनीय दस्तावेज बचे नहीं है ! जुलियस असांज नाम के अमेरिकी डिजिटल मीडिया के विशेषज्ञ ने जगजाहीर कर दिया है कि आज की तारीख में विश्व के सभी देशों के राष्ट्र्प्रमुख अमेरिकी सर्विलांस एजेंसी के अंतर्गत बारह महीनों चौबीस घंटों निगरानी में हैं ! और वह भयंकर पेगासस के द्वारा भारत के कितने लोगो को सर्विलांस करने की कृतियों के बारे में जानकारी देने से क्यों मुकर रहे हो ?और सबसे हैरानी की बात ! नरेंद्र मोदी जी ने भारत के इतिहास में पहली बार थाइलैंड की प्रायवेट एजेंसी को भाड़े पर लेकर ! 2007 मे ही गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सायबर सेल बनाने की शुरुआत की है ! और अब वह भी एक लाख से भी अधिक संख्या में ! जिसे स्वाति चतुर्वेदी ने अपने” I AM A TROLL” नाम की किताब मे सेफ्रोन डिजिटल आर्मी शब्द का इस्तेमाल करते हुए इस डिजिटल आर्मी के द्वारा, विरोधीदल के नेताओसे लेकर, जो पत्रकार स्वतंत्र रूप से काम करते हुए, वर्तमान सरकार की गलतीयो को बताने का काम कर रहे हैं ! ऐसे राजदिप सरदेसाई,बरखा दत्त खुद स्वाति चतुर्वेदी और अन्य प्रमुख पत्रकारों में सबमें रवीशकुमार,विनोद दुआ,निखिल वागले, अभिसार शर्मा, पूण्य प्रसून वाजपेयी जैसे लोगों को इस सेफ्रोन डिजिटल आर्मी के द्वारा कितने गंदे शब्दों में ? और पोर्नोग्राफिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ! किस तरह से आये दिन ट्रोलींग का सामना करना पड़ता है ! और इन ट्रोलींग करने वाले लोगों को खुद वर्तमान प्रधानमंत्री फाॅलो करते हैं ! और यह बात स्वाति चतुर्वेदी ने अपने आई एम ए ट्रोल नाम की किताब मे फोटो और उनके ट्रोल करने के संदेश के स्केनिंग करके, लिए लिंक के उदाहरण के साथ दिया है ! और एक इक्कीस साल की लड़की के पीछे भारत की सुरक्षा से लेकर सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का काम करने के ! और आर्थिक गुनाहगारी के संगीन आरोप लगाकर उसे गिरफ्तार करती है ? कितनी हास्यास्पद बात है ?
और वह भी एक पचहत्तर दिवस से भी ज्यादा समय ! और जिस देश की ग्रेटा थूनबर्ग आती है ! उसके देश की जनसंख्या से भी ज्यादा लोगों के आंदोलन के उपर ! टिप्पणी करना ऐसा कौनसे गुनाहगार कानूनों मे आता है ? आप बलूचिस्तान से लेकर दुनिया भर की बातोपर टिप्पणियाँ करते रहते हुए, तब आप लोगों को दुसरे देश के अंतर्गत मामलो में दखलंदाजी नहीं लगती है ?


मैंने खुद डोनाल्ड ट्रंप के, और उसके भी पहले की विएतनाम युद्ध से लेकर इराक तक अमेरिका के आक्रमण के खिलाफ तथा फिलीस्तीन व इजरायल के बीच चल रही लड़ाई पर ! शेकडो बार लिखा बोला है ! और आज भी इसीस तथा तालिबान और किसी भी तरह की कट्टरपंथी तत्वों को पुष्ट करने वाले लोगों की आलोचना करते रहता हूँ ! और आगे भी किसी भी किसी भी प्रकार के और कीसी भी देश के तरफसे कीये गया ! अन्याय के खिलाफ लिखने बोलते हुए अपने अभिव्यक्तियों को अभिव्यक्त करने की कसम खा रखी है ! और मरते दम तक उसे निभाने की कोशिश करूंगा ! क्योंकि मेरे जीवन की सबसे आदर्श एक मराठी कविता है ! “अन्याय घडो शेजारी, की दुनियेच्या बाजारी, धावून तेथेही जाऊ, आणि स्वातंत्र्य मंत्र हा गाऊ !” (अन्याय हमारे पडोस मे हो या विश्व के किसी भी कोने में हम दौड़कर वहां पर जायेंगे और स्वातंत्र्य मंत्र गायेंगे !)
और आखिरी बात महात्मा गाँधी जी के द्वारा दिया हुआ तिलिस्मान की आपके मनमे जब भी किसी तरह का संभ्रम निर्माण हो तब – तब आप इस दुनिया के आखिरी आदमी को अपनी नजर के सामने लाओ तो उसकी मदद करना चाहिए !


डॉ सुरेश खैरनार 15 फरवरी 2022 ,नागपुर

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