! यह फोटो हमारे पाकिस्तान के मित्र करामत अली की है ! जो कल कराची के आगाखान अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे ! लेकिन कल इलाज को जवाब दे गए !
हम लोग भारत – पाकिस्तान पीपुल्स फोरम फॉर पिस एंड डेमोक्रेसी के निर्माण से लेकर, समय – समय पर, कभी दिल्ली तो कभी लाहौर तो कभी जयपुर तो कभी कराची और कलकत्ता में मिलते रहे हैं ! करामत भाई नाम के अनुसार ही करामती थे ! शायद 2010-11 के दौरान हम ने पहला एशियाई कारवां पॅलेस्टाईन को लेकर नई दिल्ली से निकाला था ! और पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर से होते हुए, लाहौर से होतें हुए, पूरा पाकिस्तान के पंजाब और बाद में सिंध प्रांत से होते हुए, बलुचिस्तान के रास्ते, इराण के झायेदान नामके बलुच एरिया में प्रवेश करना था ! लेकिन पता नहीं क्या हुआ ? हम लोगों को तिनचार दिनों तक कराची में ही कराममतभाई के लेबर इंस्टीट्यूट में रुकना पड़ा !
तो करामतभाई उस इंस्टीट्यूट के हॉल में मुझे लेकर गऐ ! और उस हॉल की चारों दिवारों पर विश्व की विभिन्न हस्तियों की तस्वीरें टंगी हुई थी ! और उन्हें दिखाते – दिखाते एक महिला की तस्वीर के सामने रुककर मुझसे पुछने लगे कि “सुरेशभाई यह तस्वीर को शायद आप जरूर जानते होंगे!” तो मैंने भी तपाकसे कहा कि “यह तस्वीर निर्मलादीदी की है !” ( निर्मला देशपांडे ) जैसे ही मैने कहा तो करामतभाई ने गले लगाते हुए कहा कि यह हमरी रुह थी ! मैंने भी कहा कि “भारत – पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर भारत में जो भी लोग संजीदा थे ! उनमें से एक निर्मलादीदी भी एक थी !”
करामतभाई ने हमारे उनके इंस्टीट्यूट में रहने के समय का सदुपयोग करते हुए ! कभी फिलिस्तीन के एंबेसेडर को एक दिन हमारे साथ बातचीत के लिए बुलाया था ! और एक दिन कराची के प्रेसक्लब में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम का आयोजन किया था ! और जब बटवारे पर बातें होने लगी ! तो कुछ नौजवान पत्रकारों ने कहा कि “महात्मा गांधी की वजह से बटवारा हुआ ना ?” तो मैने तुरंत ही विस्तार से महात्मा गाँधी ने बटवारे को लेकर क्या भूमिका निभाई थी ! और अगर 30 जनवरी 1948 के दिन वह नथुराम गोडसे की गोली से नही मारें गए होते ! तो फरवरी 1948 में इसी कराची में आए होते ! क्योंकि उन्होंने उनकी कराची यात्रा की तैयारी के सिलसिले में, जहांगीर पटेल नामके सज्जन को यहाँ पर भेजा था !
और उन्हें गोली मारकर उनकी हत्या करने की खबर जहांगीर पटेल ने कराची के रास्ते में छाति पिटते हुए, जालीमोने महात्मा गाँधी को मार डाला-जालिमों ने महात्मा गाँधी को मार डाला ऐसा रोते बिलखते बोलते हुए ! किसी राहगीर के मुंह से जहांगीर पटेल को पता चला है ! और यह वाकया जहांगीर पटेल और मार्जरी साईक्स की गांधी नाम की किताब में खुद जहांगीर पटेल ने लिखा है ! तो तपाकसे करामतभाई बोले कि सुरेशभाई यह तफसिल मै पहली बार किसी से सुन रहा हूँ !
दुसरी बात उन्होंने मुझे पुछा की “आप लोगों को कराची से आगे बलुचिस्तान से होते हुए ईरान के झायेदान में पाकिस्तान सरकार सड़क के रास्ते से क्यों नहीं जाने दे रहे हैं ?” तो मैने कहा कि “सुरक्षा के वजह से !” तो करामतभाई बोले कि “किसकी सुरक्षा ? आप लोगों की या पाकिस्तान की ?” मैंने कहा कि “पाकिस्तान की सुरक्षा की क्या बात है ?” तो उन्होंने कहा कि ” बलुचिस्तान के राजधानी क्वेट्टा में एक लाख से अधिक लोग आप लोगों के स्वागत के लिए आने वाले हैं !” मैंने कहा कि “हमें तो भारत में हमारे पडोसी भी ढंग से पहचानते नही है ! और बलुचिस्तान में इसके पहले तो हम लोग कभी भी नहीं गए ! और नही किसी बलुच के साथ आपके जैसे दोस्त या जान पहचान तक नहीं है ! और रही बात मशहूर शख्सियत की तो हमारे साथ के लोगों में नही शाहरूख खान है ! और नहीं सचिन तेंदुलकर ? तो फिर इतना बड़ा स्वागत-सत्कार किसलिए ?”
तो करामतभाई ने कहा कि ” यह सब आप के फिलिस्तीन के लिए जा रहे कारवां के तरफसे, बलुच लोगों को पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र बलुचिस्तान की मांग को आप के कारवां का समर्थन चाहिए ! और फिलिस्तीन के साथ- साथ, आप लोग बलुचिस्तान के भी आजादी के लिए समर्थन देने के वास्ते, क्वेट्टा में जबरदस्त तैयारी चल रही है ! और पाकिस्तान सरकारने इस लिये फैसला किया है, कि आप लोगों को जमीन के रास्ते से नहीं जानें देने का फैसला किया है ! अब आप लोगों को कराची से झायेदान हवाई जहाज से भेजने का फैसला किया गया है ! कल सुबह नाश्ते के बाद आप लोगों को तैयार होकर हवाई अड्डे पर पहुंचना है !”
उस हिसाब से हम लोग दुसरे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद सिधे कराची हवाई अड्डे पर पहुंचे और चेकिंग के बाद मेरे लगेज जमा करने की फॉरमॅलिटी तथा बोर्डिंग पास तक हाथों में आ चुका था ! उतने में हमारे किसी अन्य साथी के पासपोर्ट को देखने के बाद एक मोहतरमा चिल्लाकर बोली की “इन्होने पुलिस रिपोर्टिंग नही की है !” और अन्य लोगों को बोर्डिंग पास देना बंद कर दिया ! तो हमने पुछा की अभी क्या करना होगा ? तो बोली की हवाई अड्डे के बाहर पुलिस स्टेशन में जाकर यह फॉरमॅलिटी कर के आईए ! तो हम लोग बाहर आकर पुछा की पुलिस स्टेशन कहा है ? तो पता चला वह पांच – छह किलोमीटर दूर था !
कैसे तो भी एक टैक्सी पकडकर हम पुलिस स्टेशन पहुंचे ! तो वहां हमारे पासपोर्ट साईज के चार- चार फोटो मांगा गया ! अब हरेक के पास तो जेब में फोटो थे नही ! तो घबराहट में हमारे बीच से किसी ने करामतभाई को फोन कर दिया ! और पांच मिनट के अंदर पुलिस खुद ही जल्दी किजिए, आपके लिए कराची – झायेदान फ्लाइट हवाई अड्डे पर रोकी हुई है ! हम पुलिस स्टेशन से उसी टेक्सी से भाग कर कराची हवाई अड्डे पर पहुंचे !
तो हवाई अड्डे के मॅनेजर खुद बाहर खड़े होकर हमें जल्दी करो – जल्दी करो कहते हुए, उन्होंने मेरी शबनम बैग खुद ही अपने हाथ लेकर हमारे साथ-साथ फ्लाईट तक दौडते हुए आए ! और हम लोग जैसे ही फ्लाईट के अंदर अपनी – अपनी सिटोपर बैठे तो हटात मेरे मुंह से निकल गया कि “यह करामतभाई की करामत के वजह से ही संभव हुआ है !” ऐसे हमारे जिंदादिल दोस्त आज हमारे बीच नहीं रहे ! और अब जब भी कभी पाकिस्तान की यात्रा पर जायेंगे और उनके कराची शहर में जाने के बाद बरबस याद आऐंगे ! करामतभाई की स्मृति को विनम्र अभिवादन !
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