भोपाल। आम तौर मुस्लिमों, उर्दू जुबान और इस्लामी विचारधाराओं से विमुख माने जाने वाले आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के कदम मुस्लिमों की तरफ भी बढ़े हुए हैं और इसका उर्दू से भी प्रेम बढ़ने लगा है। मुस्लिमों को शामिल कर बनाई गई विंग के बाद कई मुस्लिम होनहार युवाओं को संघ से संबद्ध संस्थाओं में भागीदारी दिए जाने का क्रम जारी है। ऐसे में अब संघ प्रमुख मोहन भागवत की लिखी पुस्तक “भविष्य का भारत” का उर्दू संस्करण भी लांच किया जा रहा है।
राष्ट्रीय भाषा विकास परिषद (NCPUL) आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत की लिखी पुस्तक भविष्य का भारत का उर्दू संस्करण प्रकाशित कर रहा है। इसका विमोचन ५ अप्रैल को दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में किया जाने वाला है। कार्यक्रम की विशेषता यह है कि इसमें शामिल होने वाले मेहमान भी संघ के उच्चासीन पदाधिकारी हैं। जानकारी के मुताबिक दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में होने वाले कार्यक्रम में आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल पुस्तक का विमोचन करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक होंगे। संघ द्वारा, संघ पदाधिकारी द्वारा लिखित पुस्तक का उर्दू करण किया जाना कई सियासत से जुड़ा हुआ माना जा रहा है। इसको लेकर लोगों में कई तरह की जिज्ञासाएं भी पनपने लगी हैं।
मुस्लिम युवाओं की संघ में इंट्री
इधर पिछले कुछ समय से संघ ने अपनी विचारधारा में तब्दीली कर मुस्लिम युवाओं को संघ से संबद्ध संस्थाओं में शामिल करने की शुरुआत की है। इस दौरान राजधानी भोपाल के स्वयं सेवक सैयद इम्तियाज अली को आरएसएस के दीनदयाल शोध संस्थान में शामिल किया गया। संघ की बुनियाद के दौर में नानाजी देशमुख द्वारा इस संस्थान की नींव रखी गई थी। ये पहली बार है, जब इस संस्थान में किसी मुस्लिम युवा को शामिल किया गया है। गौरतलब है कि सामाजिक गतिविधियों से जुड़े इम्तियाज अली को इससे पहले जेएनयू के कोर्ट ऑफ मेंबर्स में भी शामिल किया गया था। वे मप्र के इकलौते सदस्य रहे हैं।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से भी जुड़े मुस्लिम
आरएसएस द्वारा तैयार की गई मुस्लिम विंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से भी देशभर में बड़ी तादाद में मुस्लिम जुड़े हुए हैं। संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार की अगुवाई में संचालित इस मंच के प्रदेश संयोजक एसके मुद्दीन ने प्रदेशभर में वंदे मातरम् का तर्जुमा पढ़ाने का अभियान शुरू किया था। मप्र मदरसा बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए उन्होंने मदरसों में भी इसका वाचन शुरू करवाया था। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच में कई मुस्लिम नेता आजीवन सदस्य के रूप में जुड़कर भी सेवा कर रहे हैं।
खान आशु