किसी जन प्रतिनिधि द्वारा दल बदल करना जनता से विश्वासघात है ।इस विश्वासघात का प्रतिरोध करने हेतु दल बदलू जन प्रतिनिधियों का बहिष्कार करना ही चाहिए ।लोकतांत्रिक मूल्यों और नैतिकता की रक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है। जनता की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
किसी प्रत्याशी को वोट देते समय मतदाता की प्रतिबद्धता ,पक्षधरता ,सिद्धांत और विचारधारा भी एक प्रेरक के रूप में काम करती है ।यदि भाजपा को पराजित करने के लिए तथा संकीर्ण ,सांप्रदायिक ,प्रतिगामी , फासीवादी प्रवृत्तियों के खिलाफ वोट दिया गया है तो मतदाता की प्रतिबद्धता और विश्वास का सम्मान करना चाहिए ।इस विश्वास को तोड़ना अक्षम्य है।
दल बदल की सही साबित करने के लिए विकास को मुद्दा बनना एक तरह जा छल और पाखंड है ।विधायक के पास इतने अधिकार और सामर्थ्य होता है कि वह अपने क्षेत्र का समुचित विकास करने में सक्षम है ।इसके लिए सत्ता पक्ष में शामिल होना जरूरी नहीं है ।इससे जाहिर है कि दल बदल के लिए निजी लाभ ही मुख्य कारण है।यह राजनीतिक भ्रष्टाचार है ।इसका कड़ा प्रतिरोध होना ही चाहिए । इस हेतु जन शिक्षण बेहद जरूरी है ।
शैलेन्द्र शैली ।