वैसे तो समय-समय पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने बयानों को लेकर केंद्र में काबिज नेरंद्र मोदी की सरकार पर हमलावर तो रहती ही हैं, लेकिन इस बार उन्होंने अपने अयोध्या दौरे से पहले पहले बेहद प्राचीनतम लहजे में हमला किया है. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव को नजदीक आते देख बीजेपी पर सरकार को आगाह करते हए कहा कि पहले मंदिर फिर सरकार.
गौरतलब है कि शिवसेना प्रमुख कि आगामी 24 व 25 ताऱीख को अयोध्या की यात्रा प्रस्तावित है. जिसे लेकर लेकर इस समय सियासी प्रक्षकों के मध्य सियासी चर्चा उबाल पर है. इसी बीच ठाकरे ने अयोध्या जाने से पहले अपने दल के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर बैठक की. इतना ही नहीं, इस बैठक में तो महाराष्ट्र के बाहर के भी नेता शिरकत करने को पहुंचे.
इस दौरान शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने केंद्र में काबिज नरेन्द्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार तीन तालाक पर प्रतिबंध लगाने के बाबात अध्यादेश ला सकती है. तो आखिर राम मंदिर के निर्माण के बाबत सरकार अध्यादेश क्यों नहीं ला रही है. इससे केंद्र की मोदी सरकार की मंदिर ना बनवाने की इच्छा जगजाहिर होती है.
हालांकि, राम मंदिर व बाबरी मस्जिद को लेकर जो अक्सर बीजेपी समेत अन्य उसके सहयोगी दलों पर जो ये आरोप लगते रहते हैं कि ये मंदिर, मस्जिद का इस्तेमाल करके सियासी रोटिया सेंक रही है. ठाकरे ने इसका बचाव करते हुए कहा कि हम राम मंदिर या फिर बाबरी मस्जिद का इस्तेमाल करके किसी भी प्रकार की कोई सियासी रोटिया नहीं सेंकना चाहते हैं. हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो जाए.
इस दौरान ठाकरे ने बीजेपी के सहयोगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी अपील की कि जिस बीजेपी की आपने 2014 में केंद्र में सरकार बनाने में मदद की थी. अब आपको चहिए की आप उसी सरकार को सत्ता से उखाड़ फैंकों, क्योंकि ये राम मंदिर निर्माण को लेकर उदासिन मालूम पड़ती है.
बता दें कि अब ऐसे में जब पांच राज्यों को विधानसभा का चुनाव सिर पर हो और तो और लोकसभा चुनाव में कुछ ही दिन शेष बचे हों तो कहीं न कहीं ठाकरे का ये बयान बीजेपी को आघात पहुंचा सकता है. हालांकि, अब तो फिलहाल ये आने वाला वक्त ही बताएगा कि किसको कितना सियासी नफा व नुकसान हुआ है.