सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया है. कोर्ट ने माना है कि उसके आदेश के बाद भी लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें बीसीसीआई में लागू नहीं हुईं. इसके लिए अध्यक्ष और सचिव दोनों जिम्मेदार हैं. शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बीसीसीआइ और इसके राज्यों के संघ के अधिकारी आदेश का पालन करने में असफल रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच ने अनुराग ठाकुर को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि आखिर उनके अवमानना का केस क्यों न चलाया जाए? कोर्ट के इस फैसले पर जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश दूसरे खेल संघों के लिए एक नजीर की तरह होना चाहिए. यह क्रिकेट की जीत है. प्रशासक आएंगे और जाएंगे, पर इस फैसले से खेल का भला होगा.
बीसीसीआई के नए अधिकारियों की नियुक्ति के लिए कोर्ट ने सीनियर वकील फली नरीमन और गोपाल सुब्रमण्यम की दो मेंबर वाली कमेटी बनाई है. इससे पहले 15 दिसंबर को हुई सुनवाई में एमिकस क्यूरे गोपाल सुब्रमण्यम ने ऑब्जर्वर के तौर पर जीके पिल्लई, पूर्व सीएजी विनोद राय और फॉर्मर टेस्ट क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ का नाम सुझाया था. इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी.
गौरतलब है कि बीसीसीआई में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आर.एम. लोढ़ा की अगुआई में एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने बीसीसीआई को कई सुझाव दिए थे, जिन्हें लागू करने से बीसीसीआई ने मना कर दिया था. पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के फाइनेंशियल राइट्स पर बंदिेशें भी लगा दी थीं. बीसीसीआई की सभी फाइनेंशियल डील का रिव्यू करने के लिए लोढ़ा कमेटी नेे एक इंडिपेंडेंट ऑडिटर अप्वॉइंट करने को कहा था. जिसके लिए बीसीसीआई तैयार नहीं हुआ. अध्यक्ष अनुराग ठाकुर पर झूठा हलफनामा पेश करने का भी आरोप था.