अगर आप सोच रहे हों कि बैंकों और एटीएम से पैसे मिलने में हो रही परेशानी आगामी कुछ हफ्तों में दूर हो जाएगी, तो शायद आप गलत हैं. क्योंकि सरकार ने ऐसे संकेत दिए हैं जिससे लगता है कि यह परेशानी बनी रहेगी. दरअसल सरकार चाहती है कि अब ज्यादा से ज्यादा ट्रांजैक्शन कैश में हो. लोगों को कैशलेस व्यवस्था का आदी बनाने के लिए सरकार की मंशा है कि बाजार में कैश की किल्लत बरकरार रखी जाय.
ताकि लोग कैश की कमी के विकल्प में डिज्टिल ट्रांजैक्शन का रुख करें.
शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसके संकेत दिए हैं कि बाजार में कैश की कमी दूर होने वाली नहीं है. जेटली ने कहा कि बैन की गई करंसी के बराबर की रकम के नोट दोबारा से नहीं छापे जाएंगे. उन्होंने स्पष्ट किया, जरूरी नहीं है कि नोटबैन के कारण चलन से बाहर हुई 15.44 लाख करोड़ की करंसी को नए नोटों से बदला जाए. उन्होंने कहा, पैदा हुए गैप की भरपाई डिजिटल करंसी से की जाएगी. डिजिटल पेमेंट धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है. पिछले 5 सप्ताह में चीजें सुधरी हैं. साफ है कि सरकार की कोशिश अब कैशलेस इकॉनमी बनाने की है. ऐसे में डिजिटल करंसी और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों को बढ़ावा दिया जाएगा. हालांकि आगे उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक रोज नए नोट सप्लाई कर रहा है और जल्द ही मुश्किल खत्म हो जाएगी.
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वित्त मंत्री फिक्की की 89 वीं सलाना बैठक में को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने सरकार के नोटबंदी के फैसले को साहसिक बताया और कहा कि अर्थव्यवस्था बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. उन्होंने कहा, कुछ साल पहले तक भारत को दुनिया की पांच अस्थिर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था. लेकिन आज उभरती हुई शक्तियों में भारत को गिना जा रहा है.