बांग्लादेश के रामकृष्ण मिशन आश्रम मठ को आईएसआईएस की तरफ से मिली धमकी को केंद्र सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है. ढाका स्थित रामकृष्ण मिशन मठ के संन्यासियों की हत्या करने की धमकी भारत में बेलूर मठ स्थित आश्रम के मुख्यालय भेजी गई है. इस वजह से भी इसे अधिक गंभीरता से लिया गया है. भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश सरकार को इस बारे में सतर्क किया है और मठ की सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त करने की ताकीद की है. आईएसआईएस के नाम पर बांग्लादेश में पसरती जा रही हिंसा को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में खास तौर पर सतर्कता बरती जा रही है. केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और सीमा की निगरानी के लिए लगे अर्ध सैनिक बलों और सैन्य इकाइयों को राज्य सरकारों के साथ बेहतर समन्वय बना कर काम करने को कहा गया है. बांग्लादेश के घटनाक्रम पर सतर्क निगाह रखी जा रही है.
इस्लामिक स्टेट पिछले कुछ समय से लगातार भारत को निशाना बनाने के अपने इरादे जाहिर करता रहा है और इसके लिए तरह-तरह के वीडियो बना कर उसे भी सोशल मीडिया साइटस पर डाल रहा है. पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार इसके प्रति काफी सतर्कता बरत रही है और इसे रोकने के कई कारगर कदम उठाने जा रही है. इसी सिलसिले में कुछ दिनों पहले सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को दिल्ली बुलाकर इस्लामिक स्टेट के खतरे को रोकने की योजना पर विस्तृत चर्चा की गई थी. देश के पूर्वोत्तर राज्यों और खास तौर पर असम में आईएसआईएस से जुड़ा कोई बड़ा मामला तो सामने नहीं आया, लेकिन कुछ दिनों पहले यह खुलासा हुआ था कि असम में बड़ी संख्या में लोग आईएसआईएस के बारे में इंटरनेट से जानकारी जुटा रहे हैं. असम के पुलिस महानिदेशक ने यह आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था और केंद्र सरकार को इसका पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराया था. असम में आईएसआईएस के बारे में इंटरनेट पर जानकारियां खोजने के मामले जम्मू कश्मीर से भी अधिक पाए गए. असम में हालिया विधानसभा चुनाव के बाद बदली राजनीतिक स्थितियों में इस तरह की गतिविधियां थमी हैं.
बांग्लादेश और मालदीव में आईएसआईएस के नाम पर बढ़ती साम्प्रदायिक कट्टरता से भारत की चिंता बढ़ी है. बांग्लादेश और मालदीव में हुए कई हमले यही बता रहे हैं. बांग्लादेश में सख्त सुरक्षा वाले राजनयिक इलाके में इतालवी राहत कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है, या प्रगतिशील लेखकों का गला घोंट दिया जाता है, या हिंदू पुजारियों की सरेआम हत्या कर दी जाती है और उसकी जिम्मेदारी फौरन आईएसआईएस के तथाकथित गुर्गे ले लेते हैं, यह आम होता जा रहा है. हाल यह है कि पश्चिमी देशों के कई दूतावासों ने बांग्लादेश और मालदीव में अपने राजनयिकों की गतिविधियां कम कर दी हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) भी कह चुकी है कि आईएसआईएस आने वाले समय में भारत विरोधी आतंकी समूहों से रिश्ते बढ़ा कर हमलों को अंजाम दे सकता है.
अभी कुछ ही अर्से में बांग्लादेश में धड़ाधड़ कई हत्याएं हुईं, जिसने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. बांग्लादेश के उत्तरी पंचागढ़ स्थित हिंदू मंदिर में घुसकर 50 साल के पुजारी जनेश्वर राय की हत्या कर दी गई. इस पर प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने लिखा कि कट्टर इस्लामिस्ट बांग्लादेश में हिंदुओं को रहने नहीं देंगे. सुन्नी बहुल बांग्लादेश में हाल के महीनों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर सुनियोजित हमलों में दो विदेशियों सहित दर्जनों लोगों की मौत हुई है. मरने वाले विदेशियों में इतालवी नागरिक सीजर तावेला और जापानी नागरिक कुनीयो होशी शामिल हैं. इन सभी हत्याओं की आईएसआईएस ने जिम्मेदारी ली. बांग्लादेश के राजशाही यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर रेजौल करीम सिद्दीकी की सरेआम गला रेत कर की गई. इस हत्या ने पूरी इंसानियत को शर्मसार किया. आईएस ने इसकी भी जिम्मेदारी ली और बड़ी बेशर्मी से कहा कि प्रो. सिद्दीकी नास्तिकता के समर्थक थे, इसलिए उनकी हत्या की गई. इसी दरम्यान पश्चिमी बांग्लादेश के कुश्तिया में डॉक्टर सनाउर रहमान की हत्या कर दी गई. इस तरह बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथियों द्वारा धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यकों की लगातार हत्याएं की जा रही हैं. कई प्रसिद्ध लेखकों की बांग्लादेश में हुई हत्याएं दुनियाभर के अखबारों में सुर्खियों में रही हैं. 60 साल के संन्यासी नित्यरंजन पांडेय की हत्या भी इसी की कड़ी है. पांडेय पिछले 40 साल से अनुकूलचंद्र सत्संग परमतीर्थ केमायतपुरधाम आश्रम में स्वयंसेवी के तौर पर काम कर रहे थे. हमलावरों ने उनका गला काट डाला. आश्रम एक प्रसिद्ध हिन्दू संत के नाम पर है और वहां पूरे बांग्लादेश और भारत के श्रद्धालु भी आते हैं. पांडेय की हत्या से कुछ ही दिनों पहले एक हिन्दू पुजारी, एक ईसाई और एक आतंकवाद निरोधक पुलिस अधिकारी की पत्नी की हत्या कर दी गई थी. यह खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश का आतंकी संगठन जमीयतुल मुजाहिदीन आईएसआईएस के नाम पर हिंसा फैला रहा है. हिंदुओं, ईसाइयों समेत अल्पसंख्यकों और धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं पर हुए ज्यादातर हमलों में इसी संगठन का हाथ है. बांग्लादेश के हालात पर न केवल भारत बल्कि अमेरिका भी चिंता जाहिर कर चुका है.
बंगाल और पूर्वोत्तर में जहर फैलाने की कोशिश में अल कायदा
कुछ अर्सा पहले अल कायदा के मुखिया अयमान अल जवाहिरी ने भारत के खिलाफ बड़ी साजिश के संकेत दिए थे. इसके कुछ दिन बाद ही पश्चिम बंगाल में खुफिया एजेंसियों को मिले कुछ पैंफलेट इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अल कायदा ने भारत में पैर पसारने की पुरजोर कोशिश शुरू भी कर दी है. इसके लिए अल कायदा बांग्लादेश को जरिया बना रहा है.
अल कायदा बांग्लादेश में खलीफाशाही स्थापित करने के नाम पर मुस्लिमों को भड़का रहा है. इसके पीछे इरादा है बांग्लादेश को सीरिया और इराक की तरह तबाह करना ताकि उसके बाद भारत में जेहाद की जंग आसान हो जाए. भारत के खिलाफ अल कायदा का बड़ा गेम प्लान पश्चिम बंगाल और असम में खुला, जिसने खुफिया एजेंसियों को सतर्क किया. खुफिया एजेंसियों के हाथ पश्चिम बंगाल और असम में बांटे जा रहे सात पन्नों का ऐसा पर्चा मिला जिसमें अल कायदा की साजिश का जिक्र है. अल कायदा आईएसआईएस की तर्ज पर बांग्लादेश में खलीफाशाही की स्थापना करना चाहता है और वहां की सरकार को हटाकर शरिया का कानून थोपना चाहता है. इन सात पन्नों में लिखा है कि अगर हम बांग्लादेश में सीरिया जैसे हालात पैदा करने में कामयाब हो गए तो असम, आराकन (म्यांमार) और पश्चिम बंगाल के मुसलमान भी यहां हिजरत करने आ सकेंगे, इसके साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में भी विद्रोह की स्थिति पैदा कर सकेंगे. खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि पश्चिम बंगाल और असम में अलकायदा के मीडिया विंग की तरफ से जारी हुए पर्चों को बांटने में जमात का ही हाथ है. जमात इन पर्चों को बांग्लादेश से लाकर पूर्वोत्तर राज्यों में बांट रही है.