ढिंढोरे से नहीं होती स़फाई , अर्धकुंभ से पहले गंगा-यमुना को प्रदूषण-मुक्त करने का लक्ष्य अधर में
प्रचारतंत्र और ढींढोरेबाजी से गंगा कभी प्रदूषण-मुक्त नहीं हो सकती. ‘नमामि गंगे’ योजना के तहत इलाहाबाद में दर्जनभर स्नान घाटों और आधा दर्जन से अधिक शवदाह गृहों का काम रोक दिया गया है. प्रशासन के इस कदम से अफरा-तफरी है, जबकि आधिकारिक तौर पर कुछ बताया भी नहीं जा रहा है. करीब 80 करोड़ की लागत से होने वाले काम शुरू करते समय शासन ने इलाहाबाद में गंगा के कायाकल्प की बात कही थी. निर्माण कार्य अर्धकुंभ तक होना था, लेकिन अब तक इसमें 10 फीसदी ही काम हुआ है. इसी साल काम शुरू हुआ, पर एक महीने पहले आए एनएमसीजी के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया. इससे अर्धकुंभ से पहले इलाहाबाद में गंगा के कायाकल्प की योजना पर ग्रहण लग गया है.
इलाहाबाद में 10 स्नान घाटों और आठ शवदाह गृहों का शिलान्यास 7 जून 2016 को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने किया था. इनके निर्माण की जिम्मेदारी इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को दी गई थी. इलाहाबाद में रसूलाबाद, फाफामऊ, श्रीनारायण घाट, अरैल, सरस्वती घाट, बरगद घाट, काली मां घाट, बलुआघाट, किलाघाट और गऊघाट में स्नान घाट बनाए जाने थे. फाफामऊ, रसूलाबाद, शंकरधाम घाट, दारागंज (इलेक्ट्रिक और लकड़ी), झूंसी, ककरहा और कन्हैया घाटों पर शवदाह गृह बनने थे. ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के एनएमसीजी के दिशा-निर्देश में इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था. इसमें इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को भी सलाहकार नियुक्त किया गया था. मकसद यह था कि अर्धकुंभ तक सभी घाटों और शवदाहगृहों का निर्माण हो जाए. इससे इलाहाबाद में गंगा और यमुना को प्रदूषणमुक्त किया जा सकेगा और श्रद्धालु स्वच्छ जल में स्नान कर सकेंगे. लेकिन नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) ने जुलाई महीने में काम बंद करने का गुपचुप आदेश जारी कर दिया.
घाटों और शवदाह गृहों के निर्माण से जुड़ी एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें एनएमसीजी से एक पत्र मिला जिसमें कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों को ध्यान में रखते हुए काम करने के लिए कहा गया. आदेश में सीधे तौर पर काम बंद करने को नहीं कहा गया, लेकिन संकेत साफ थे. इससे यह साफ हो गया कि सरकार ने दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाई है, जिससे उसे विरोध का सीधे सामना न करना पड़े. इस परियोजना से जुड़े काम के रुक जाने से गंगा की स्वच्छता को लेकर काम कर रहे समाजसेवी नाराज हैं और आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. ‘नमामि गंगे’ से जुड़ी परियोजनाओं की मॉनिटरिंग और कार्रवाई से जुड़ी गंगा प्रदूषण नियंत्रण ईकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर जेपी मणि का कहना है कि घाटों और शवदाह-गृहों का काम इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड की देखरेख में चल रहा था. इसलिए वे इस बारे में कुछ नहीं कह सकते.
क्या सचमुच बदलेगी काशी के घाटों की दशा!
केंद्र सरकार की ‘प्रसाद’ (पिलग्रिमेज रेजुवनेशन एंड स्प्रिचुअल ऑग्मेंटेशन) योजना में 500 करोड़ की लागत से काशी के ऐतिहासिक घाटों के साथ ही पर्यटन स्थलों के कायाकल्प किए जाने की भी तैयारी है. अस्सी घाट पर लाइट एंड साउंड का शो शुरू होगा और बनारस घराने के संगीत तीर्थ कबीर चौरा में कलाधाम बनेगा. पर्यटन विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक शहर के प्रमुख गोदौलिया चौराहे से दशाश्वमेध घाट तक जाने वाले मार्ग की 52 करोड़ रुपए से साज-सज्जा की जाएगी. कबीर चौरा में 43 करोड़ से काशी कलाधाम बनेगा. इसकी मांग बनारस घराने से जुड़ी नामचीन कला-हस्तियों से लेकर नवोदित कलाकार लंबे समय से कर रहे थे. संत कबीर उद्भव स्थल लहरतारा में हाईटेक कुटिया बनेगी. गुरुधाम मंदिर चरण पादुका के अलावा पंचकोसी परिक्रमा रूट की पुरानी तस्वीर भी बदल जाएगी. पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्र का कहना है कि इसमें ग्रीन बेल्ट, पाथ-वे के अलावा पर्यटकों के बैठने के लिए स्थान भी विकसित किया जाएगा. शहरभर में पर्यटन से सम्बन्धित दिग्दर्शिकाएं लगाने का भी काम होगा. इन सभी काम के लिए अर्द्धचंद्रकार श्रृंखला के 84 घाटों की मरम्मत के साथ-साथ लाइट की ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि घाट रौशनी से जगमगाएं. महिषासुर से लेकर श्रृंखला के अंतिम आदि केशव घाट तक चुनार के लाल पत्थरों से रीवर-फ्रंट बनाने की भी योजना है.