arvind-jadhav-karnataka-chiकर्नाटक के मुख्य सचिव अरविंद जाधव 30 जून को रिटायर हो रहे थे, लेकिन उनको अब तीन महीने का विस्तार मिला गया है. इस विस्तार से पर्यवेक्षकों को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. हाल के दिनों में कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कैबिनेट में फेरबदल के बाद असंतोष का सामना करना पड़ा था. सरकार में मंत्री पद न मिलने की वजह से नाराज विधायकों के समर्थकों ने गुस्से का प्रदर्शन किया था. मुख्यमंत्री ने नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण से पहले 14 मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था. विद्रोह का आलम यह है कि विभिन्न विरोधी गुट लगातार मुख्यमंत्री के खिलाफ हैं. इसके थमने का कोई संकेत नहीं दिखाई देता. इस पृष्ठभूमि में सिद्धारमैया ने सावधानी से चलने की कोशिश की है और अपने विश्वस्त मुख्य सचिव को बरकरार रखा है. जाधव, 1978 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वह सिद्धारमैया सरकार में दूसरे मुख्य सचिव हैं जिन्हें सेवा विस्तार प्रदान किया गया है. सूत्रों का कहना है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव के रत्नप्रभा उनकी जगह लेंगे जब उनका कार्यकाल सितंबर में समाप्त होगा.

सीएम के खास होने का खास फायदा

alok-ranjan-uttar-pradesh-cउत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के मुख्य सचिव आलोक रंजन, जो पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए को राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मुख्य सलाहकार नामित किया है.  मुख्यमंत्री शायद यादव परिवार के भीतर आम सहमति के अभाव की वजह से नए मुख्य सचिव के बारे में फैसला नहीं ले सके. अभी कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार को कार्यवाहक मुख्य सचिव बना दिया गया है. हालांकि, वे पूर्णकालिक मुख्य सचिव के पद की दौड़ में आगे हैं. कुमार की एक अच्छी छवि है लेकिन पर्यवेक्षक इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि वे इस पद को पा सकेंगे. हालांकि, कुमार को मुख्यमंत्री का विश्वास हासिल है. सूत्रों का कहना है कि अखिलेश जल्द ही नए मुख्य सचिव की घोषणा कर सकते हैं. लेकिन निर्णय में इसलिए देरी हो रही है, क्योंकि कई वरिष्ठ नेता इस शीर्ष पद के लिए अपने लोग चाह रहे हैं. जाहिर है, अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव अपने विश्वस्त बाबू दीपक सिंघल, सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव को मुख्य सचिव बनाना चाह रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अपने भरोसे के बाबू को इस पद पर लाना चाहते हैं. उम्मीद है ये सस्पेंस अल्पकालिक होगा और चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, इसलिए इसलिए जल्द ही नए मुख्य सचिव की घोषणा हो जाएगी.

बाबू बनाम नेता

netaहालांकि नेताओं और बाबुओं के बीच सीमांकन स्पष्ट है, लेकिन कभी-कभी यह धुंधला हो सकता है. केरल में राज्य के परिवहन मंत्री ए के ससिनन्द्रान और परिवहन आयुक्त टामिन जे थाचांकरे के बीच एक बाबू द्वारा आदेश के ऊपर सार्वजनिक विवाद हो गया. इससे सवाल खड़ा हुआ कि क्या बाबू को जनता से जुड़े मुद्दों पर स्वयं निर्णय लेने का अधिकार है. बाबू ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था कि ऐसे दुपहिया वाहन चालकों जो हेलमेट नहीं पहनते को पेट्रोल नहीं बेचा जाएगा. मंत्री ने कथित तौर पर इस आदेश को बेवकूफी भरा और अवैध कहा. हालांकि बाबू ने कहा वे ऐसा आदेश दे सकते हैं ताकि दोपहिया चालकों द्वारा हेलमेट का उपयोग सुनिश्चित हो सके. इस विवाद ने नौकरशाही को विभाजित कर दिया है. कुछ बाबू अपने सहयोगी के समर्थन में हैं. बाबू इससे भी नाखुश हैं कि मंत्री ने सार्वजनिक मंच पर परिवहन आयुक्त की निंदा की.

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