भागलपुर दंगेकी संक्षिप्त जानकारी, 14 जुलाई 1990 के मराठी साप्ताहिक साधना में छपी थी ! साधना के संपादक विनोद सिरसाट ने काफी मेहनत से खोज कर मुझे यह भेजा है ! और वह 32 साल पहले के मेरे अपनेहि मराठी लेख को ! वह भी आज बाबरी मस्जिद के विध्वंसके 30 वे साल के दिन !
मै 1979 के जनवरी में विवाहबद्द होने के बाद, 1989 यानी गिनकर 10 साल ! हाऊस हज्बंड की भूमिका में था ! और मेरी सामाजिक गतिविधियोंसे मै, अपने खुद के घरेलू कामो (जो एक हौसवाईफ के होते हैं ! ) के कारण मजबूरी में व्यस्त था ! नहीं कोई पत्राचार करने के लिए समय था और नही रोज के अखबारों और पत्रिकाओं को पढ़ने के लिए ! घरेलू कामकाज में कितना समय देना पड़ता है ! यह अनुभव हुआ ! तब पता चला कि सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति इतनी कम क्यों है ! और तथाकथित बुद्धिजीवियों की जमात में भी ! खाना बनाने से लेकर घर की साफ-सफाई और बच्चों की देखभाल बारह महीनों और चौबीसों घण्टे का समय लगने वाले कामों में हजारों सालों से महीलाओ की उर्जा जिसकी कोई किमत नही है और प्रतिष्ठा भी ! किसी भी आयोजन में परिचय देते हुए कहा कि मैं हाऊस वाईफ हूँ तो दुसरे क्षण संवाद खत्म हो जाता है ! लेकिन वही महिला अगर कहे कि मैं शिक्षिका हूँ या पत्रकार या सामाजिक कार्यकर्ति तो फिर घंटों तक बातचीत हो सकती है ! लेकिन एक हाऊस वाईफ बोलने से बात आई – गई हो जाती है ! हालांकि हमारे सर्वोच्च न्यायालयाने घरेलू कामकाजी महिलाओं के लिए कुछ प्रतिष्ठा का निर्णय दिया है ! लेकिन सामाजिक स्तर पर इस काम की कोई किमत नही है !
लेकिन मेरे कलकत्ता के मराठी मित्र और बंगाली भाषा के मशहूर, मेगसेसे आवार्डी ! लेखक,पत्रकार, गौरकिशोर घोष ( जिनकी इस साल जन्मशताब्दी चल रही है )और विश्व भारती की मराठी भाषा की ! विभागप्रमुख, प्रोफेसर वीणा आलासे और गौर किशोर घोष इन दोनों मित्रों से ! कलकत्ता में 1982 के अक्तूबर में बसने के चंद दिनों में परिचय और शायद मेरे हाऊस हज्बंड के कामकाज के कारण कुछ ज्यादा ही नजदीक के मित्रों में शामिल हो गए थे ! इसलिए वह अक्सर हमारे घर आते – जाते रहते थे ! और एक मित्र, अशोक सक्सेरिया ! उनके और हमारे घर के बीच, सिर्फ कलकत्ता का मशहूर बिग्रेड परेड ग्राउंड का विशाल मैदान होने के कारण ! वह अक्सर चलते हुए आ जाते थे ! और उनके यहाँ कभी-कभी किशन पटनायक ठहरने के कारण वह भी उनके साथ अक्सर चलें आते थे ! हालांकि मेरे जैसे कभी सामाजिक कार्यकर्ता रहे आदमी को घरेलू काम में देखकर आपत्ति करने वाले लोगों में एक महिला मित्र ही हैं जो आजकल विकास की अवधारणा की लड़ाई की सबसे बड़ी नेत्रि बनीं हुईं हैं ! और वह इसलिए मेरे उपर नाराज भी है !
भागलपुर दंगेके बारेमे पिछ्ले छ महीने से सुन रहा था ! और कलकत्ता वासी होनेके कारण स्थानीय अखबारों में भी देख चुका था ! शायद मेरे जन्म के बाद ( 25 दिसंबर 1953 ! ) इन 37 सालों में आजादी के बाद शायद यह पहला दंगा होगा ! जो इतने बड़े पैमाने पर हुआ है !( भागलपुर, मुंगेर, बांका, गोड्डा, साहेबगंज, मतलब समस्त पूराने भागलपुर कमिश्नरी के क्षेत्र में ! ) साधना साप्ताहिक के तरफसे, मुझे बार – बार आग्रह हो रहा था ! कि तुम भागलपुर जाकर साधना के लिए रिपोर्ट लिखो !
लेकिन मेरे पत्नी के स्कूल की छुट्टियाँ ! मई के प्रथम सप्ताह में शुरु होने के कारण ! ही मुझे भागलपुरके लिए निकलना संभव हूआ ! वह भी छ महीने से भी ज्यादा समय हो रहा था ! 5 मई से 12 मई तक ! हम सभी लोग भागलपुर के दंगाग्रस्त क्षेत्र में! लगभग सौ से अधिक गांवों में गये थे !
एक सप्ताह के लिए, शांतीनिकेतन के कुछ छात्र-छात्राओं का भी समावेश था ! प्रोफेसर, वीणा आलासे के कारण ! और गौरदा,बानीदी,शामलीदी इन सब के साथ भागलपुर आये थे ! और लौटने की ट्रेन में, जो कुछ एक सप्ताह के प्रवास मे, विभिन्न दंगाग्रस्त गावोके अंदर देखा था ! वहीं नजारा आखें बंद करने के बाद मेरे आंखों में दिखाई देता था ! ( दिवारों के उपर खून के फौवारे ! अधजले मकान या लूम ! तथा मारे गए लोगों के, रिश्तेदारों के आक्रोश या विलापिता !) उससे मेरी निंद गायब हो गई थी ! और यह बिमारी जींदगी भर के लिए शुरु हो गई ! जो की उसके पहले मुझे ऐसी कोई भी बिमारी नहीं थी ! और उस समय मेरी उम्र सिर्फ 37 साल की होने के बावजूद ! मैं इन्सोमिनीयका(निंद नही आने वाली बिमारी का ), और बी पी का पेशन्ट बना हूँ ! और उसी कारण आज हृदयमे तिन स्टेन्स, डालकर बैठा हूँ ! ( 23 फरवरी 2018 ! )
उस दिन वापसी की ट्रेन में, मेरी साईड बर्थ होनेके कारण ! मुझे रातके अंधेरे मे चलती ट्रेन की खिडकी के बाहर देखते हुये, बैठा हुआ देखकर गौरकिशोर घोष बोले “की सो नहीं रहे ?” तो मैंने कहा “कि मैं आखे बंद करते ही भतोडिया, लोगांव, नया बाजार तथा चंदेरी की घटनाएं मेरे आंखों के सामने आने के कारण, मै सो नहीं पा रहा हूँ !”
गौरदा,मनिषा बनर्जी,मंदीरा चटर्जी यह मेरे अगल बगल के सह प्रवासी भी यह सुनकर जाग गए ! और मेरे पास साईडबर्थ पर, आकर बैठ गये थे ! और मैने कहा की यह दंगा साधरण दंगा नही है ! इस दंगे की तिव्रता देखकर लगता है कि” आने वाले पचास साल की भारतीय उपमहाद्वीप की रजनितिका केंद्र बिंदु सांप्रदायिकताही रहने की संभावना है ! ( 1990 के मई प्रथम सप्ताह में, यह बातचीत चल रही थी ! ) तो गौरकिशोर घोष ने कहा, ” कि हम लोग क्या कर सकते है ?” मैंने कहा “कि आप आनंद बाजार पत्रिका में एक रिपोर्ट लिख देंगे ! और शायद मैं भी मराठी में लिख दुंगा ! लेकिन इतने से यह काम नहीं होगा ! यह बटवारे के बाद भारत का सबसे भयानक दंगा है ! और इस दंगे की इंटेनसिटि देखने के बाद ! मुझे लगता है! कि भविष्य में आने वाले कम-से-कम पचास साल की राजनीति ! सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिकता के इर्द-गिर्द ही चलेंगी ! जिस तरह बटवारे के समय, महात्मा गाँधी ने कलकत्ता, बिहार और नोआखाली के दंगों के दौरान अपनी संपूर्ण ताकत लगा दी थी ! वैसे ही हमें आगे की योजना बनाकर, हम लोगोने इसके लिए पहल करनी चाहीये ! सिर्फ आप बंगला मे, और मै मराठी भाषा मे, एक लेख लिखकर क्या होगा ? ” और यह बातचीत लगभग संपूर्ण रात भर चली !
मैने कहा कि “यहां काफी एन जी ओ पुनर्वास तथा अन्य मदतकार्य कर रहे हैं ! हम एन जी ओ नही है ! और नही बनने की संभावना है ! लेकिन दंगा होकर छ महिने हो चुके हैं ! लेकिन हिंदू-मुस्लिम के बीच बर्फ जमी हुई है ! मुख्य बात हिंदु और मुस्लमान दोनोमे जबरदस्त अविस्वास होनेके कारणं ! दोनोमे संवाद नही के बराबर है ! और यह संवाद हिनता ही ! और अगले दंगेकी वजह हो सकती है ! और हमारी कोशिश दोनोमे संवाद प्रस्थापित करना होना चाहिए ! कमसे कम हमारी यह आखरी यात्रा नही होनी चाहिए ! हम लोगोने भागलपुर आने जानेका सिलसिला इसके बाद भी ! जारी रखना चाहिए ! और सबसे पहले, दंगे के असरग्रसत लोगों की दास्तान सुनने की आवश्यकता है ! ताकि उनके मनमें जमा हुआ दर्द, दुःख को बोलने से वह अपने आप को हल्का महसूस करेंगे ! क्योंकि राहत कार्य में बहुत लोग लगे हुए हैं ! लेकिन मन को राहत देने, जिसके घर के आठ – दस लोगों को मार डाला है ! और वह अकेले हैं ! मानसिक रूप से वह किस स्थिति से गुजर रहा होगा ? यह काम कोई नहीं कर रहा है ! जिसे हमने करना चाहिए ! सिर्फ उनकी आपबीती सुनना ! कोई उपदेश या प्रिचिंग नही ! सिर्फ सुनने की जरूरत है ! जो हम महिने में हप्ताह भर आकर करने की कोशिश करेंगे !
और यही रातभर बातचीत करते हुए आये थे ! और यही तय किया था ! कि भागलपुर के दंगेके बाद रिलीफ के काम करने के लिए, तो काफी एन जी ओ लगे हुए थे ! लेकिन दोनो समुदाय के लोगों मे जो फासला बढ गया था ! उसे कम करने के काम को कोई नही कर रहे थे ! तो मैंने कहा “कि हम लोग यही काम करने के लिए महीने में सप्ताह भर आना जाना शूरू करते हैं”! और फिर वह सिलसिला चलता रहा ! जब हमारे पुराने भागलपुर के जेपी के आन्दोलन के,साथीयोसे धीरे-धीरे परिचय और दोस्ती हुई तो ! अब वह यही काम लगातार जारी रखे हुए हैं ! और हम लोग कभी कभी जाते है ! और दोबारा अभितक दंगा नहीं हुआ !
उसकी सबसे प्रमुख वजह ! एक दिन सर्वोदय के नेता प्रोफेसर ठाकुरदास बंग भी भागलपुर आए हुए थे ! और कोइंसिडेंटली उस समय मैं भी था ! तो बंग साहब, मुझे अपने साथ, भागलपुर विश्वविद्यालय के स्टॉफ, और व्हाईऐचांसलर के साथ एक बैठक में ले गए थे ! तो बंग साहब प्रोफेसर लोगों को भागलपुर दंगे के कारण पुछ रहे थे ! और प्रोफेसर मे से कुछ ने कहा ! “कि क्या करे भागलपुर में क्रिमिनलों का राज है ? तो मैंने तपाकसे पुछा ” की टोटल भागलपुर की जनसंख्या में क्रिमिनलों की संख्या कितनी होगी ? पचास प्रतिशत ?” तो” “बोलेंनहीं ! तो मैंने कहा” पच्चीस प्रतिशत ? तो बोले कि नही “पचास- साठ की संख्या में होंगे !” तो मैंने कहा ” कि अगर तीन लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर पर ! पचास साठ या सौ – दोसौ भी क्रिमिनलों का राज है ! तो इस शहर के हर एक नागरिक ने चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए !
आप लोग आज विश्वविद्यालय के प्रांगण में, अपने घर बंद कर के बैठने के बावजूद ! वह आपके भी दरवाजे पर दस्तक देंगे ! और आपके बहु-बेटी के साथ बद- मिजाज करने का दिन दूर नहीं है !” तो बोले ” हम लोग तो शिक्षक हैं और क्या कर सकते हैं ?” मैने कहा कि ” आप अपनी फ्रोफेसरी भूलकर अपने – अपने मोहल्ले में एक मौहल्ले की समिति बनाईये ! और उसमे आपके पडोसी प्यून से लेकर, रिक्षाचालक तथा डॉक्टर, वकील मतलब आप जितने भी इस क्षेत्र के रहवासियों ने मिलकर एक दस – पंधरा लोगों की समिति बनाकर ! आठ – आठ घंटे की गश्त लगाने की शुरुआत करनी चाहिए ! और इस तरह संपूर्ण भागलपुर शहर में यह मोहल्ला समितियों का गठन होना चाहिए ! जिसमें पुलिस – प्रशासन भी सहयोग करेगा ! और आश्चर्य की बात, उसके बाद भागलपुर में 115 मोहल्ला समितियों का गठन हुआ था ! और 6 दिसंबर 1992 के दिन ! मै खुद भागलपुर में कैम्प करके बैठा था ! और गांधी शांती प्रतिष्ठान मे शांतता समिती की स्थापना करके ! उसके द्वारा संपूर्ण भागलपुर में, मोहल्ला समितियों की गश्त शुरू की गई ! और भागलपुर में 6 दिसंबर 1992 से, एक हप्ते तक ! मै खुद रात में विभिन्न मोहल्ला समितियों के साथ जाकर बैठता था ! और आस्चर्य की बात है ! कि 6 दिसंबर 1992 की बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद ! देश के कई शहरों में दंगे हुए ! लेकिन भागलपुर में कंकड तक नहीं उठा ! और वह आज भी शांत है ! अगर सामान्य जनता खुद संकल्प करें ! तो क्या हो सकता है ! यह आजसे तीस साल पहले भागलपुर में, एक सार्थक पहल की गई है ! और उस बात का परिणाम ! आज भी जारी है ! 33 साल हो चुके ! भागलपुर के दंगों को ! लेकिन अभितक दोबारा दंगे की घटना नहीं हुई है !
जिसकी वजह हमारे सथियो का काम ! जो आज तिस साल से भी ज्यादा समय हो रहा है ! लगातार जारी है ! और मेरी अपनी राय है ! “कि इस तरह के मुस्तैद साथी शायद ही ! देश के कोई और जगह इतनी शिद्दत के साथ काम कर रहे हैं ?
इस लेख के कारण मुझे महाराष्ट्र में 90,91,92,93 को कई जगह बुलाया गया है ! उदहारण के लिए डॉ. नरेंद्र दाभोलकर ने सातारा,विकास देशपांडे और अजित सरदार के कारण पुणे तथा महाराष्ट्र के अन्य जगहों में उदाहरणार्थः मुम्बई,मालेगाँव,धुलिया,साक्रि,जलगाव,अकोला,अमरावती,वर्धा,नागपूरके मित्रो ने ! भागलपुर पर बोलने के लिए विशेष रूप से बुलाया था ! और कुछ-कुछ जगहो पर भागलपुर दंगाके प्रत्यक्षदर्शी ! और दंगा को रोकने के लिए ! अपने जान की परवाह किए बिना ! प्रयास किये हुये, मुन्ना सिहं को भी साथमे लेकर गया था ! और मै तथा मुन्ना सिहं की तरफ से जो भी कुछ हम कहते थे ! उससे कई जगह लोग रो पडे थे ! पुणे की स्नेहसदन की सभामे एक बुजुर्ग ने रोते हुये कहा ! “की बहुत ही भयंकर है ! कृपया और ज्यादा मत बताओ मेरे से सुना नही जा रहा !”
और मैने अपनी तरफ से यह कहने की कोशिश की है ! “कि भारत के आजादी के बाद भागलपुर पहला दंगा है ! जो भागलपुर के अगल बगल के जिलो में भी फैला है ! और 300 से ज्यादा गावोके चुन चुन कर मुसलमानोंके घर ! और जानमाल की हानि इतने बड़े पैमाने पर हुई है ! 3000 लोगों को जानसे हाथ धोना पड़ा ! और भागलपुर का एक मात्र पुराना ! रेशमका ऊद्दोगके कपडे बुनने की मशीने जलाकर राख कर दिया था ! और बुनकरों के पक्का मकान छिन्न-भिन्न कर के ! और उनके प्रार्थना स्थलों, याने मस्जिदें भी धराशायी की गई थी ! और उनके मलबे पर माँ दुर्गा का मन्दिर,हनुमानजी का मंदिर ! इस तरह के कोलतार या गेरू से लिखा हुआ ! मैने अपनी आखोसे देखा है ! और मेरी अपनी समझ में आया कि !
भारत के बटवारे के बाद जो भी दंगे हुए हैं ! वह सब चंद गली-कूचो के दंगे हुए थे ! और भागलपुर का दंगा 300 से ज्यादा गावोके, चुन-चुन कर, मुस्लीम लोगों के घर,रेशम के कपड़े बनानेकी मशीने और मस्जिदें धराशायी करनेका ट्रेंड ! वह भी हजारो की संख्या में ! पारम्परिक हथियारो को लेकर युध्द के जैसा दंगा पहला ही है ! उसके तेरह साल बाद गुजरात का दंगा !
वह भी संपूर्ण रुपसे वर्तमान प्रधान-मंत्री ! जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदीजीने अपनी राजनितिक पकड बनाने के लिए और हिंदु रुदय सम्राट 56 इंच छाती की देन इसी 2002 के राज्य पुरस्कृत यह भी भारत के इतिहास का पहला दंगा है !
जो कि टोटली सरकार की शह पर हुआ है ! और उसके लिये वर्तमान प्रधान-मंत्री महोदय ! जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री के पदपर विराजमान थे ! तो बाकायदा उनके देखरेख में ही वह दंगा हुआ है ! भले कि तकनीकी आधारपर नानावटी आयोग ने उन्हे बरी कर दिया होगा ! और अभी कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने ! वह भी हमारे देश की न्यायव्यव्स्था का पतन का क्लासिकल उदहारण के रुप मे इतिहास मे दर्ज हो गया है !
क्योकि मै खुद मेरे वकील दोस्त मुकुल सिन्हा के साथ ! इस कमिशन की कारवाई को चार-पाँच बार ! खुद अहमदाबाद में दिनभर बैठकर बहुत गौर से देखा हूँ ! बनाना कोर्ट या मास्को ट्रायल्स यह शब्दों को सिर्फ सुनते आ रहा था ! गुजरात में उसका प्रत्यक्ष रूप देखने को मिला है !
और उसी समय मुकुल सिन्हा को बोला था ! ” कि नानावटी तो पुरा नरेंद्र मोदी जी को क्लिन चीट देनेके लिए विशेष रूप से कोशिश कर रहा है ! आप क्यो अपना समय बर्बाद कर रहे हो ?” तो मुकुल सिन्हाजी ने कहा कि “हा यह बात मुझे भी मालुम है ! लेकिन मै, सिर्फ क्लिन चिट दे देना का काम लंबा कर रहा हूँ ! क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधान-मंत्री बनने के लिए विशेष रूप से उतावले होकर ! कई लोगों को वह उनको मारनेके लिए आ रहे हैं ! ऐसा फैला कर और उन सभी के एन्कौटर किये जा रहे है ! अब तक 2003 और 2006 के बीच में 23 एंकाऊंटर जिसमें सोहराबुद्दीन उसकी पत्नी कौसर बी और उसका साथी तुलसी प्रजापति ! ताकी यह दिखाया गया है ! “कि नरेंद्र मोदी जी कितने महत्वपुर्ण व्यक्ति की, छवि तैयार करनेका काम ! अमित शाह,डी. जी. वंजारा कि विशेष रूप से मेहनत से हो रही थीं ! और सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ से, लेकर इशरत जहा, जैसे लोगों को बली चढ़ाया गया है !” हरेन पंड्या की हत्या को मिलाकर कूल 23 हत्या सिर्फ 2003 और 2006 के दौरान किए गए हैं ! यही है नरेंद्र मोदी – अमित शाह का गुजरात मॉडल ! दंगे और हत्याकांड !
मैंने 1990 के बाद मेरे अपने भाषणो मे ! जोर देकर कहा था ! ” कि आनेवाले 50 साल की भारतीय रजनितिका केंद्र बिंदु सिर्फ सांप्रदाईकता रहेगा ! बाकी सभी दोयम दर्जे के हो जायेंगे ! कोई लोगों के रोजमर्रे के सवाल पर विस्थापन,बेरोजगार,महंगाई,भ्रस्टाचार इत्यादि लोगों के मुद्दे ! गैरहाजिर होकर, सबसे ज्यादा सांप्रदाईकता हावी हो जायेगा ! लेकिन मुझे लगता है कि ! मैं अपनी बात को, ठीक से नहीं समझा पाया ! और इसिलिए किसने भी उसे नहीं माना ! और आज वर्तमान पिछ्ले आठ साल से भी ज्यादा समय हो रहा ! आप और हमारे सामने है वस्तुस्थिती बिल्कुल साफ है ! दंगेकी राजनीति करकेही वर्तमान प्रधान-मंत्री महोदय ने यह मुकाम हासिल किया है ! अब भले कोई भारत जोडो और कोई नफरत छोडो के साथ निकले हैं लेकिन कितने देर से ? नफरत का जहर लोगों के नस – नस में फैल चुका है ! लोगों के मन बट चुके है ! और इसी बात का फायदा उठाकर प्रज्ञा सिंह ठाकुर और नरोदा – पटिया के दोसौ से अधिक लोगों को जिंदा जला कर मारने वाले आरोपी की बेटी पायल को विधानसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से खड़ा कर के अमित शाह खुद चुनाव प्रचार में कहता है कि चिरशांति के लिए दंगा आवश्यक था !
और कल संपन्न हुए गुजरात के चुनाव प्रचार में, नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह ने खुल कर दंगों का समर्थन किया है ! और चिरशांति के लिए दंगे आवश्यक थे ! यह नरोदा – पटिया में ! नरोदा – पटिया के दो सौ से अधिक लोगों को जलाने वाले ! आरोपीयो में से एक आरोपी की बेटी को विधानसभा का टिकट देकर ! उसके चुनाव सभा में अमित शाह ने चिरशांति के लिए दंगों की वकालत की है ! और यही आदमी भारत की कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष रूप से बनाया गया, गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी का वहन कर रहा है !
बिस साल में पहली बार गुजरात दंगों के समर्थन में ! यह चुनाव प्रचार किया गया है ! हमारे चुनाव आयोग ने कानोमे शिशा डाल लिया है ! हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के दंगों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को तथाकथित क्लिनचिट देने के कारण ! आज यह दोनों, जिस बेशर्मी के साथ संपूर्ण चुनाव प्रचार में सिर्फ हिंदु – मुसलमानो को लेकर बोल रहे थे ! मतलब महंगाई, बेरोजगारी, और कुछ चंद उद्योगपतियों को प्रमोट करने की कृती को छुपाने के लिए ! सांप्रदायिकता के आधार पर ! संपूर्ण गुजरात का चुनाव – प्रचार इस बार किया जा रहा है !
यह बिल्कुल आजसे नब्बे साल पहले जर्मनी के, हिटलर के जिवन के आखिरी चुनाव की तर्ज पर किया गया चुनाव रहा है ! और सबसे हैरानी की बात हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग, मुकदर्शक बन कर, यह सब होने दिया है ! अब हमारे संविधानिक संस्थान सिर्फ दिखावा बन कर रह गए हैं ! सचमुच ही भारत नब्बे साल पहले का फासीस्ट जर्मनी हो चुका है !
लेकिन भागलपुर दंगे के बाद ! देश के दूसरे हिस्सों में आये दिन ! संघ परिवार के लोगों द्वारा दंगोकी रजनिति जो शूरू हूई है ! वह सत्ता तक पहुंचाने में काम आई है ! गुजरात उसका प्रमाण है ! और यही कारण है कि ! 90 के बाद देश के असली सवालो की जगह ! सवाल आस्था का है ! कानुन का नहीं ! जो शूरू हूआ था ! तो वह रूकनेका नाम नहीं ले रहा है ! और वह खुद तथाकथित चुनावके कारण ! अब संपुर्ण देश को अपने कब्जे में ले कर ! 75 साल मे जो भी टुटे-फुटे कानून बने थे ! उन्हे बदलकर जल,जंगल और जमीन ! औने पौने दामौमे कार्पोरेट के हवाले कर रहे हैं ! और आज की तारीख में !
पंजाब,हरियाणा,ऊत्तरप्रदेश,तथा देश के अन्य हिस्सों में किसान-मजदुर और बेरोजगार युवक, सब अपने-अपने,, अस्तित्व की लडाई लड रहे हैं ! पिछ्ले साल इन्ही दिनोमे तथाकथित नागरिकता के कानुन के भी खिलाफ इसी तरह के आन्दोलन शुरु हुआ था ! और वह कोरोना और फरवरी के अंतिम सप्ताह में दिल्ली के प्रायोजित दंगेके कारण थम गया है !
और भिमा कोरेगाव के बहाने ! जिस तरह से असली गुनहगारों को छोडकर दूसरोको फसाकर जेलोमे डाला ! बिल्कुल दिल्ली के दंगेमे भी वही तरीका इस्तमाल कर के ! खुले आम गोली मारो सालो के नारे देनेवाले छोडकर ! दूसरोको फ़साना जारी है ! देखिए ना किसानोमे शिख भी शामिल है ! तो तुरंत खालिस्तान का हाथ जैसे गैरजिम्मेदार आरोप उनके ऊपर ! करके आंदोलन के बारे में भ्रम की स्थिति पैदा करने की बात ! देखकर लगता है ! “कि बिल्कुल आजसे 90 साल पहले के जर्मनी की याद आ रही है ! हिटलर की भी यही शैली थी ! जिसका संघ परिवार के लोगों द्वारा उसी तर्ज पर काम चल रहा है ! और वह वैसे भी उसे ही अपना आदर्श मानते हैं !
कश्मीर के 370 को हटाकर और कश्मीर के सब से पुराना अखबार कश्मीर टाईम्स को बंद कर को भी ! तीन साल होनेवाले है ! लेकिन हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय को 70 से ज्यादा याचिकाओं को, देखने के लिए समय नहीं है ! पर इन्ही बातों पर ! अगर किसिनेभी कोई टिप्पणी कि ! तो तथाकथित मानहानि का मुकदमा ! खुद ही चलाने की नई पद्दती शूरू हो गई है !
और लोगों के जान माल और जिनेके संसाधन छीने जा रहे ! लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के ! न्याय देवता की मुर्ती जैसे अंधे और बहिरे बनकर बैठी हैं ! हमने आपात्काल का भी दौर देखा है ! लेकिन यह उससे भी भयावह स्थिति में देश को लेकर जा रहे हैं ! और दूसरोको देशद्रोही करार देने का काम कर रहे हैं !
भागलपुर के दंगेसे शूरू हूई ! सांप्रदाईक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया ! और तेज करने के उदहारण ! 13 साल के बाद गुजरात और अभि लगभग पुरे देश में गाय,लव-जेहाद,मंदीर-मस्जिद, हिजाब, कॉमन सिविल कोड, जैसे गैरमामूली मुद्दो मे, लोगोको उलझाकर रख दिया है ! लेकिन हर बात की भी हद होती है ! जैसे हिटलर,मुसोलिनी के समय हुआ था ! और वह भी समाप्त हुआ है ! और यह भी समाप्त हो सकता है ! लेकिन उसके लिए सभी अपने आप को इन्सान समझने वाले लोगों ने ! इकठ्ठा होकर इन फासिस्ट ताकतोका विरोध करने के लिए विशेष रूप से ! अभि के किसान और युवाओं के आंदोलनों को सभिने समर्थन करते हुए ! एक व्यापक लडाई की तैयारी करने की आवश्यकता है ! और वह जितना जल्द से जल्द हो उतनाही अच्छा होगा !
डॉ सुरेश खैरनार 8 दिसम्बर, गुजरात के चुनाव के मतगणना के अवसर पर ! 2022 ,नागपुर !