सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद के सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि मस्जिद इस्लाम हिस्सा नहीं है। उसने कहा कि देश में शांति, सुरक्षा और एकता के लिए शिया समुदाय ने मस्जिद का मसला नहीं उठाया। शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विवाद को सुलझाना चाहते हैं। बोर्ड ने साफ कहा कि बाबरी मस्जिद का संरक्षक एक शिया था और इसलिए सुन्नी वक्फ बोर्ड या कोई और भारत में मुसलमानों के प्रतिनिधि नहीं हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
मुसलमानों और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश सीनियर ऐडवोकेट राजीव धवन ने कहा, ‘बामियान बुद्ध की मूर्तियों को मुस्लिम तालिबान ने नष्ट किया था और बाबरी मस्जिद को हिंदू तालिबान की ओर से ध्वस्त किया गया।’ सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि इस मामले में यूपी सरकार का हस्तक्षेप अनावश्यक है क्योंकि सरकार ने कहा था कि इस मामले सरकार न्यूट्रल रहेगी।
वहीं अयोध्या मामले पर एक बार फिर यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी का बयान आया है। उन्होंने कहा, ‘अयोध्या में विवादित स्थल पर मस्जिद नहीं थी, इसलिए वहां मस्जिद नहीं बन सकती। अयोध्या भगवान राम का जन्मस्थान है और यहां केवल राम मंदिर बनेगा। बाबर के प्रति सहानुभूति रखने वालों की किस्मत में हारना लिखा है।’