यही बात मै कल इसी समय देखते ही पोस्ट किया है कि लाल किले से अंदर के छोटी सीढियां चढकर जाने वाले कौन हो सकता है ? जो की कुछ देर पहले प्रधानमंत्री वही से झंडा फहरानेजवानोने बाद उस जगह पर सेना के जवान तैनात रहते हुए चारों तरफ चहल-पहल करते हुए देखा हूँ ! क्या बात है हमारे जवान और किसान की मिसाल देखकर जय जवान जय किसान का नारा कामयाब होता हुआ दिख रहा है !!!!!!
इसी तरह के आईटीओ की घटना ! जहाँ पर दिल्ली पुलिस का मुख्यालय है ! और उसके आस-पास किसानों के नाम पर पहुँच कर हंगामा करने वाले कौन लोग थे ? और उनको भी वहा तक पहुँचे इसलिए कौन तत्व जिम्मेदार है इसकी जांच होनी चाहिए लेकिन इस देश में महात्मा गांधी के हत्यारों को भी इसी दिल्ली में पूरे जनवरी 1948 के दिनों में कितने बार बिडला हाऊस के लिए आने-जाने के अवसर पर दिल्ली पुलिस ने क्या किया था यह बात मनोहर मळगावकर की द मैन हूँ किल्ड गाँधी नाम की किताब मे महत्वपूर्ण दस्तावेजोके साथ दिया है !
उसी तरह से लाॅक डाऊन के बाद निजामुद्दीन मरकज मे अटक गये जमाते उल उलेमाओं के प्रकरण के लिए कौन जिम्मेदार है यह तो आखिर मे कोर्ट के तरफसे साफ होता है लेकिन उसके बिचमे इस देश की एकता-अखंडता को तार तार करने के लिए विशेष रूप से संघ परिवार ने और उसके गुर्गे मिडिया ने देशभक्ति और देशद्रोही के कशिदे पढ-पढकर एक विशेष समुदाय के लोगों को बदनाम करने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाया गया और उससे बुंद से गई वह हौदसे क्या होने जैसे ही है और कल की घटना के बाद बिल्कुल गत कई दिनों से किसान आंदोलन के उपर आंख गडाये हुए लोगों को पेल पडने के लिए तुरंत मौका मिला है और यह भी सब कुछ होने के बाद फिर निकलेगा कि यह भी कोई षड्यंत्र का काम किया है !
लेकिन गोध्राकांड के बाद गुजरात का दंगा हो या अयोध्याकाण्ड के 6 दिसंबर की बात हो या अभिके कोविद के आडमे देशभर में एक विशेष समुदाय के लोगों टारगेट करने की बातें हो या दिल्ली का फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में दंगा हो सबको बाद मे पता चलता है कि असली गुनाहगार कौन है ? लेकिन वह गुनाहगार तबतक राजनीतिक हैसीयत पा लेता है जैसे वर्तमान समय में सरकार के सबसे महत्वपूर्ण पदपर बैठे हुए लोगों को ही देख लीजिये ! और यह बात मैंने उदाहरण के साथ कई-कई बार लिखा बोला हूँ !
मुझे रह-रह कर हमारे देश के सभी सभ्य समाज के लोगों के बारे मे हैरान-परेशान करती है कि क्या हमारी संवेदनशीलता खत्म हो गई? किस तरह के लोगों के हाथ में देश चला और दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही इस तरह के उटपटांग घटना पर कोई अपनी प्रतिक्रिया क्यों नहीं देते हैं? एक तो सुविधाजनक मौनव्रत धारण कर लेते हैं या अपनी पीठ फेर लेते है ! बदमाश लोगों को इसीतरह की अकर्मण्यता का फायदा मिलता है !
वहां पर भी जो हंगामा काफी समय तक जारी रहा और मिडिया इन दोनों जगहों के लाइव टेलीकास्ट कर रहे हैं और लाखों की संख्या में किसानों के आंदोलन की नौ जगहों से निकली हुई ट्रैक्टर रैली की एक भी न्यूज़ चैनल नहीं दिखता है ? यह कुछ सवाल कल से बार-बार मेरे जेहन में आ रहे हैं !
पिछले साल के एन आर सी के खिलाफ चले आंदोलन में भी उसे बदनाम करने के लिए क्या-क्या नहीं किया गया है और फरवरी के अंतिम सप्ताह में दंगा ! करने के बाद लाॅक डाऊन मे सब कुछ लाॅक कर दिया गया ! फिर कृषी बिल के खिलाफ आज छ महीने से भी ज्यादा समय हो रहा है जबकि पंजाब में रेल जाम से शुरू हुआ आंदोलन 26 नवम्बर संविधान दिवस के अवसर पर दिल्ली में पहुचने के हिसाब से देशके विभिन्न क्षेत्रों से किसान निकलना शुरू हुए और एक लाख से अधिक ट्रैक्टर और सव्वा करोड से भी ज्यादा संख्या में किसानों के दो महीने से भी ज्यादा समय हो रहा है और फिर उस बिचमे दस वार्ताओके दौर!सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और तथाकथित कमिटी की स्थापना !
26 जनवरी देश के इतिहास का 72 वा गणतंत्र दिवस पर अगर किसानों के आंदोलन के पार्ट के रूप में भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर सही मायने में गण यानी भारत के लोगों के तरफसे ट्रैक्टर रैली की बात कितनी बडी और एतिहासिक महत्व है कि अबतक 71 साल से लगातार सरकारी कार्यक्रम होते रहे हैं लेकिन पहली बार सही मायनों में भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों से किसान अपने अपने तरीके से झाँकियाँ बना कर अगर गणतंत्र दिवस की रैली में भाग ले रहे हैं तो इसमें आपत्तिजनक बात क्या थी ?
लेकिन जिस सरकार का राजनीतिक जन्म षड्यंत्र के कारनामे करते-करते ही हुआ है और वह इससे अलग क्या कर सकते ? पहले खालिस्तानी,नक्सलवादी,पाकिस्तानी और सबसे ज्यादा प्रिय देशद्रोही ! क्योंकि गत कुछ दिनों से भी ज्यादा समय हो रहा है संघ परिवार ने और उसके गुर्गे मिडिया ने देशभक्ति और देशद्रोही इन शब्दों के इस्तेमाल का पेटेंट करा लिया है और उनके हिसाब से समस्त विरोधियों को उन्होंने देशद्रोही के कैटिगरी में डाल दिया है !
और संपूर्ण देशभक्ति का ठेका उन्होंने खुद अपने उपर लेकर रखा है और वह भी एक एक सरकारी उद्योग बेचने से लेकर देश के संविधान को बदलने की शैने-शनै क्रमबद्ध तरीके से बदला जा रहा है और किसानों से संबंधित बिल उसके पहले एक साल हुए नागरिकता संबंधित बिल और रक्षा क्षेत्र से लेकर रेल्वे,संचार के सभी क्षेत्रों में प्रायवेट करने का काम देश भक्तिके नाम पर कर रहे हैं और उसका विरोध करने वाले देशद्रोही !
आज की बात है कि किसी भी आंदोलन को तोड़ने के लिए विशेष रूप से वर्तमान सरकार मे गृहमंत्री पदपर और प्रधानमंत्री पदपर बैठे हुए लोगों को विशेष महारत हासिल है ! 2001के अक्टूबर मे नरेंद्र मोदी जी मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके टोटल राजनीतिक सफर को देखते हुए उन्होंने क्या-क्या नहीं किया और आज की बात है कि वह 135-140 करोड की आबादी के दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में किस तरह से और किन लोगों की मदद लेकर यहाँ तक पहुँचे है यह बात अब
मै दोहराना नहीं चाहता हूँ कि आप सभी लोगों को मेरी इसके पहले कि पोस्ट से पता है !कल दिल्ली में हुए किसानों के गणतंत्र दिवस की रैली को बदनाम करने के लिए अपने ही गुर्गे को इस्तेमाल किया है और आज विभिन्न माध्यमों द्वारा वह फोटो और उसके बीजेपी के साथ के संबंध उजागर हो रहे हैं और उसके बाद ही गृहमंत्री की कल की बैठक के बाद आज से पैरा मिलिटरी को उतारने का निर्णय !
कश्मीर से लेकर संपूर्ण उत्तर पूर्व भारत,मध्य भारत के वनों से लेकर अब दिल्ली उत्तर प्रदेश,पंजाब,हरियाणा ! मतलब गणतंत्र के 72 साल के सफर में 75% से भी अधिक भारतीय प्रदेश में पैरा मिलिटरी को उतारने का काम भारतीय गणतंत्र का सबसे बड़ा अपमान करने वाले लोगों को क्या कहेंगे ?
बराबर आजसे नब्बे साल पहले जर्मनी तथा इटली में भी बिल्कुल इसी तरह के हथकंडे अपनाकर हिटलर और मुसोलिनी ने भी इस तरह के रास्ते चलने की कोशिश का क्या हश्र हुआ यह इतिहास में दर्ज है और जो भी कोई इतिहास में की गई गलतियों से सीखता नहीं है उसे वर्तमान कभी भी माफ नहीं करेगा यह डॉ बाबा साहब अंबेडकर जी की बात बहुत ही महत्वपूर्ण है !
सुरेश खैरनार