बंगाल को कब्ज़े में करने की कोशिश ! अमित शाह की पस्चिम बंगाल का भगवाकरण करने की कोशिशको रोकना हर सेक्युलर नागरिक का कर्त्तव्य है ! अमित शाह के इरादे देश में में फुट डालो और राज करो की नीति कामयाब हो सकती है! गत कुछ दिनों से लगातार बीजेपी देश के किसानों के आंदोलन की अनदेखी करते हुए बंगाल के चुनावों को छ महीने बाद होने के बावजूद अभिसे उसे चुनाव की दंगल में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहे हैं !
और लगभग बंगाल के हर प्रकार के प्रतिको को भुनाना चाहते हैं ! खुदीराम बोस के घर में घुस कर, मायापुर के मंदिर से लेकर रामकृष्ण मिशन, शांतिनिकेतन से विवेकानंद के जन्मस्थल और वह भी कम पडा तो एक बाउल के घर से लेकर संथाल आदिवासियों के घरों में घुस कर खाना खाने जैसे हथकंडो !
के साथ बोलपूर मे रोड शो करने वाले और लगभग बंगाल के हर प्रकार के राजनीतिक दल के लोगों को बीजेपी में शामिल करने केलिए हर प्रकार के साम दाम दंड भेद निति के हथकंडो को अपनाकर अन्य सभी दलों मे सेंधमारी करने की होड़ लगी हुई है !
बंगाल हमारे देश के उन लहू-लुहान प्रदेशों में से एक है जोकि आजसे 73-74 साल पहले के बटवारे के जख्म सहलाने वाले मे से एक है ! हर तीन बंगाली के बाद चौथा अपना सोनार बांग्ला खोने का दर्द अपने मन में पाले हुए मिलता है !
मै 1990 मे बारासात नाम के कोलकाता से सटे हुए 24 परगना जिले के सबसे बडे शहर में भागलपुर दंगा (1989 ऑक्टोबर) के बारे में बोलने के लिए विशेष रूप से सीपीआई बारासात इकाई के सेक्रेटरी के निमंत्रण पर गया था ! श्याम को मेरे भाषण के बाद मुझे वापस अपने कोलकाता के घर वापस आना था लेकिन ऑर्गनायझर सेक्रेटरी साहब ने विशेष रूप से आग्रह किया कि आप आज रात को हमारे घर ठहर कर कल वापस जाना ! मुझे लगा कि मेरा भाषण आच्छा लगा होगा इसलिए इतना आग्रह हो रहा है और मैं ठहरा !
घर पर आने के बाद चाय पीने के समय उन्होंने कहा कि आपका भागलपुर के दंगे का वर्णन बहुत ही हिला देने वाला था ! और उसी के कारण मुझे मेरे बंगाल के विभाजन के समय हमारे मूल घर जो अब बंगला देश में छुट गया है और बिलकुल आपका भाषण सुनते हुए मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ रहे थे हमारी राजमहल जैसी कोठी और शेकडो एकड जमीन छोडकर सिर्फ़ अंग के उपर के कपड़ों के साथ हमारे परिवार को जान बचाकर बडी ही मुश्किल से सब कुछ छोड़ कर आना पडा और आज हम यहाँ पर बस गये हैं !
बारासात जैसोर रोड पर है और यहां के लोगों मे 75%पूर्व बंगाल से आये हुए शरणार्थी बसे हैं ! और जब हम लोग यह बात कर रहे थे उस समय याने 90 के दशक में लेफ्ट फ्रंट की सरकार और उसी के प्रभाव क्षेत्र में बैठे हुए और लेफ्ट फ्रंट की सरकार के दूसरे नंबर के पार्टी की बारासात जिला ईकाई के सचिव के घर पर यह बात हो रही थी ! 24 परगना जिले के अंदर आता है !
मैंने बहुत ही पेशंस से उनकी बात सुनकर कहा कि दुनिया के किसी भी कोने में आपका अनुभव पाये हुए लोगों को अपना जन्मस्थल मजबूरी में छोडने का दिन नहीं आना चाहिए इस विचार का मै बचपन से ही हूँ ! लेकिन इस बात की चर्चा अब पचास साल बाद बारासात मे करने का मतलब अगर भागलपुर और बारासात के मुसलमानों को वही सजा देना क्या जायज है ?
तो वह हडबडाते हुए बोले कि मेरा वह मतलब नहीं था!तो मैंने कहा कि आपका मतलब नहीं होगा लेकिन आजादी के बाद भारत में जितने भी दंगे हुए हैं उन सभी मे यही भावना काम करती है !और संघ परिवार अपनी शाखाओं में बखूबी इस भावना को हवा देने का काम कर रहा हैं !
और उसके परिणाम भागलपुर के दंगे मे झलकते है ! गुजरात ऊसके तेरह साल बाद हुआ ! जिसमें से भारतीय राजनीति में अमित शाह-नरेंद्र मोदी की जोड़ी पैदा हुईं हैं ! और संपूर्ण राजनीति का केंद्र बिंदु मे सिर्फ सांप्रदायिकता आकर बैठ गई है ! वर्तमान किसान-मजदूर के आंदोलन के बाद भी देश में जो प्रचार प्रसार जारी है वह इस बात का प्रतीक है!
मैंने मेरी चर्चा में उन्हें कहा कि दुनिया के किसी भी कोने में किसी को भी अपना वतन सांप्रदायिक और वंश, लिंग, भाषा और भी कई-कई तरह के भेदभाव के कारण छोडने की नौबत नहीं आनी चाहिए इस विचार के हम लोग है और इसी कारण आने वाले समय में भारत जैसे बहुलतावादी संस्कृति के देश में सांप्रदाईकता पर राजनीति करने का मतलब इस देश की एकता-अखंडता के लिए खतरा मोल लेना है !
1940 के बाद भारत-पाकिस्तान का बनना यह दोनों साम्प्रदायिकता वाले लोगों की रजनिति के परिणामों के कारण है ! और आज दोबारा यह लोग सक्रिय होकर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया तेज करने की कोशिश कर रहे हैं !अमित ओवेसी यह आज उसी राजनीति के प्रतिनिधियों मे से है! और यह बात मै आज से तीस साल पहले बोले-लिख रहा हूँ !
और यह बात मैंने सैयद शहाबुद्दीन और खलिस्तानके समर्थन कर रहे थे सिमरजित सिंह मान की उपस्थिति में कलकत्ता के मुस्लिम इंस्टीट्यूट के हाॅल मे कहीं थी कि मेरी दाहिनी तरफ मुस्लिम अडवाणी और बाई तरफ सिख बाल ठाकरे बैठे हैं! और दोनों की रजनिति के परिणामों के कारण है बी जे पी जैसे हिंदू साम्प्रदायिक दल का फलना-फूलना !
मै जब बंगाल में रह रहा था उसी समय 1991 साल के विधानसभा चुनाव में मुंबई से मेरे एक मित्र जो कभी जेपि आंदोलन मे रहे हैं वह इंडियन एक्सप्रेस के लिए रिपोर्टिंग करने के लिए कोलकता मेरे घर पर ठहर कर रोज घूमकर वापस आकर अपनी रिपोर्ट लिखने के बाद फॅक्स करने के पहले मुझे दिखाते थे! तो एक रिपोर्ट मे मैने देखा कि वह बीजेपी को रायझिंग फोर्स बता रहे थे !
तो मैंने कहा कि यहाँ अभी तक दो पर्सेंट भी वोट अबतक नहीं मिला है और एक आप हैं कि बीजेपी ने अभि तक विधानसभा-लोकसभा तो छोड़ कलकत्ता के कार्पोरेशन में भी खाता नहीं खोला और तुम रायझिंग फोर्स बता रहे हो ? तो उसने कहा कि मेरे मालिक चाहते हैं कि उनके जीवन मे बीजेपी को देश की सत्ता में देखना चाहते हैं !
तो मैने कहा कि उनकी इच्छा लाख होंगी लेकिन लोगों की अभी फिलहाल नहीं लग रहा है ! तो उसने कहा कि मै तुम्हारे आकलन को लिख कर भेज रहा हूँ लेकिन पता नहीं हमारे अखबार में वह आयेगा या नहीं ! और यह बात दुसरे दिन उस अखबार में नहीं थी !
भारत के पूंजीपति वर्ग के लोगों को कितना पहले से ही लगता था कि अपनी नजदीक की कोई पार्टी है तो वह जनसंघ जो 1982 के बाद भारतीय जनता पार्टी नामसे जानीं जाती है ! और वह भी पूंजीवाद, सांम्प्रदायिक आधार पर भारत में अपना राज्य कायम करने के लिए विशेष रूप से राजाओं, जमींदारों, व्यापारी और औद्योगिक घरानों की मदद से शुरू की हुई पार्टी है !
जो चुनाव के लिए गरीबी और अन्य लोगों को लुभाने के लिए अलग-अलग जुम्लेबाजी करके अपनी पार्टी की सरकार बनाने के लिए विशेष रूप से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को विशेष महारत हासिल है ! और उनके दो नंबर के लेफ्टिनेंट अमित शाह को पडोसी बिहार के चुनाव में छुपा कर रखा था लेकिन बंगाल के लिए विशेष रूप से खुला छोड़ कर और राज्यपाल कि संपूर्ण मदद लेकर शायद भारत के सभी राजभवन बीजेपी के वाॅर रूम का काम कर रहे हैं और गैर बीजेपी सरकारो के नाकमे दम कर रहे हैं !
विजयवर्गिय, जेपी नड्डा के तुरंत बाद ही अमित शाह को भेजकर और ईडी, सीबीआई, जैसे महत्वपूर्ण विभाग के जरिए संसदीय राजनीति करने वाले लोगों को डरा धमकाकर या पैसे फेंककर अपने पार्टी की सरकार बना ने का मार्ग प्रशस्त करनेमे महारत हासिल अमित शाह को भेजकर तृणमूल कांग्रेस के लोगों को अपने पार्टी मे शामिल करना यही अमित शाह की विशेषताओंमेंसे एक है !
हालांकि ममता बनर्जी, जैसे वन वुमन पार्टी की मे केडर नाम की कोई भी बात दूर दूर तक संबंध नहीं है और वह सिर्फ अपने खुद के करिश्मा दिखा-दिखाकर गत पंद्रह बीस साल से भी ज्यादा समय हो रहा है राजनीति कर रही हैं और मेरी इस बात को मैंने बंगाल में कई बार लिखा और बोला हैं !
शुवेंन्दू अधिकारि का परिवार भी नंदीग्राम के इलाके में बाप लोकसभा में दोनों बेटों को स्थानीय निकायों के मुखिया और शुवेंन्दू तो ममता बनर्जी के मंत्रियों में सबसे ज्यादा पावर वाले लोगों मे शुमार थे ! लेकिन जिस तरह से उसने अपनी पार्टी बदलने की कवायद की है ! और यही परिवार के लोगों का कभी कांग्रेस के साथ संबंध रहा है और वह नंदीग्राम आंदोलन के बाद ममता बनर्जी के साथ हो गये थे और अब बीजेपी !
लेकिन सवाल सिर्फ शुवेंन्दूका नहीं है लगभग बंगाल की हर पार्टी के लोगों ने जिस तरह से अपने पुराने पार्टीयो को छोड़ कर बी जे पी का दामन थामना शूरू किया है उसमें सी पी एम, सी पी आई, फॉरवर्ड ब्लॉक, आर एस पी और कांग्रेस के भी लोग है ! जो लगातार बीजेपी मे शामिल हो रहे हैं !
और यह बात मैंने अपने लेख की शुरुआत में ही लिखि है कि बंगाल बटवारे से लहूलुहान प्रदेशों में से एक है मेरी इस बात का मैंने बंगाल के लिए विशेष रूप से तीस साल पहले से भी ज्यादा समय हो रहा है और वह अब प्रकटीकरण के रूप में दिखाई देता है !
मशहूर पत्रकार कुलदीप नायर जी की मेरी आखिरी मुलाकात मे उन्होंने अपने टेबल पर से एक लिफाफे को मेरे तरफ बढाते हुए मुझे कहा कि तुम इसे पढकर मुझे बताओ कि मैंने क्या लिखना चाहिए ! वह लिफाफे को खोलकर देखा तो संसद के सचिवालयसे भारत की आजादी को 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्मे संसद की तरफ से एक विशेषांक प्रकाशित किया जाएगा और उसके लिए कुलदीप नायर जी का लेख मांगनेके लिए वह पत्र था !
मैंने कहा कि आप रोज भारत और भारत के बाहर भी इतने अखबरो मे काॅलम लिखते हो और मेरे जैसे कार्यकर्ता को पूछ रहे हो कि मै क्या लिखूं ? मुझे आप पहले बताये कि आप ने मेरे पहले यह चिठ्ठी पढकर कुछ तो सोचा होगा कि क्या लिखूं ? तो उन्होंने अपने बटवारे के समय सियालकोट छोडने की बात जो मै इसके पहले भी कई बार उनसे सुन चुका था!
और यह बात बोलते-बोलते वह पहली बार रो रहे थे!और मै भी भावविभोर होकर दोबारा सुन रहा था!और चुपचाप मेरे मोबाइल को रिकार्ड मोड़ पर कर दिया था ! और वह बात नायर परिवार को किसतरह से अपने अंगके कपड़ों के साथ पस्चिम पाकिस्तान के सियालकोट शहर से निकल ने कि हकीकत सचमुच ही बहुत ही हिला देने वाली बात उन्होंने सुनाई! तो वह नार्मल होनेके बाद मैंने पूछा कि आप यह लिखना चाहते हो ?
तो वह मेरे तरफ प्रश्नचिन्ह लगे हुए चेहरे से देखने लगे तो मैंने कहा कि आप ने मेरे पहले कि और मुलाकातों में भी यह बात बताई थी और सचमुच आपका यह अनुभव सुनने के बाद मै काफी विचलित हुआ हूँ ! लेकिन इस बात को अगर आप इस एतिहासिक मौके पर संसद के विशेष प्रकाशन मे छापनेके लिए अगर दोगे तो नरेन्द्र मोदीजी खुद अपने हाथ से टिप्पणी लिख कर पहले पन्ने पर छापेंगे और कहेंगे कि देखो मेरे भाई और बहनों कुलदीप नायर जी जैसे सेक्युलर संपादक और हमारे देश के मीडिया के भीष्म पितामह खुद पाकिस्तान से किस तरह से निष्कासित कर दिये गये हैं ? यह है पाकिस्तान की करतूत!
आज आप भारत-पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत के चंद लोगों मे से एक हो और मैंने अपने खुद के अपने अनुभव से देखा है कि पाकिस्तान में आपका कितना आदर-सम्मान है और उसी तरह भारत के मुसलमानों में भी ! लेकिन नरेंद्र मोदी के राजनीतिक हथकंडो के शिकार आप ना हो यही मेरी राय है बाकी रही बात आपके लिखने की आजादी का मै खुद पक्षधर हूँ तो आप अपने निर्णय के लिए मुक्त हो !
लेकिन मुझे खुशी है कि उनके घर से निकल ने के पहले उन्होंने कहा कि सुरेश तुम्हारे आज की मुलाकात ने मुझे बहुत बडे धर्म संकट से बचाने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद ! मैंने कहा था कि आप हो या गौर किशोर घोष आपके दोनो के अनुभवों को और जो भी और लोगों को अपनी मातृभूमिसे अलग होना पडा इसका दुख मै समझ सकता हूँ और दोबारा यह नौबत दुनिया के किसी भी औरत, आदमी के हिस्से में नहीं आनी चाहिए और उसके लिए संघ परिवार के लोगों द्वारा जारी द्वेष और नफरत फैलाने के लिए जाने अनजाने में भी हमारे तरफ से कोई भी गलती नहीं होनी चाहिये यही मेरी राय है और इसीलिए आपको मैंने कहा कि आप यह लिखना चाहते हो तो सोचिये !
संघ की स्थापना विधिवत 1925 के दशहरे के दिन कि गई है ! और गत 95 वर्षों से वह अपनी शाखाओं में कथा, गीत, खेल और अन्य पद्धतियां अपना कर हिन्दूत्वं और वह भी उच्च कुलीनता वाले हिन्दूत्वं के आधार पर भारत में अपना राज्य कायम करने के लिए विशेष रूप से सौ साल पहले से कोशिश कर रहे हैं इस काम में मराठी ब्राह्मणों के अलावा बंगाल के ब्राह्मण जिसमें एन के चटर्जी, श्यामाप्रसाद मुखर्जी जैसे लोग भी शामिल रहे हैं!
और वैसे भी बंगाल में हर प्रकार के अतिवादी इतिहास के क्रम में हमेशा ही रहे हैं और यह बात क्रमशः कांग्रेस, कम्युनिस्ट, ममता बनर्जी और अब भगवा ब्रिगेड की बारी आई है ! और गत कुछ दिनों से उन्हें जो भी कुछ कामयाबी मिली है वह सेक्युलर लोगों के बिखराव के कारण !
हर सेक्युलर को वही एकमात्र सेक्युलर है का दंभ होता है ! और इसी बात का फायदा संघ परिवार उठाते हुए अपने पंजे फैला रहा है और वह भी किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में ? 3-4 डिग्री सेल्सियस मे भी किसान भाई अपने 30 से ज्यादा साथीयो को खोने के बावजूद !
एक तरफ हन्नान मोल्लाह किसानों के नेतृत्व करने वाले बंगाल से ही है ! और इसी समय बंगाल में अमित शाह को हजारों की संख्या में लोगों को इकट्ठा होते हुए देखकर मै हैरान हूँ क्या यही बंगाल के किसानों को आज क्या हो गया है ? और सी पी एम और अन्य दलों के लिए सिर्फ ममता बनर्जी एकमात्र संकट लगती होगी !
तो यह इन सभी लोगों को मै चेतावनी देना चाहता हूँ कि अगर ममता बॅनर्जी के अंध द्वेष के कारण आप लोगों को पता ही नहीं चल रहा है कि आपका अपना कैडर और अब तथाकथित नेता भी शुवेंन्दू अधिकारि की तरह बीजेपी के लिए काम करने की कवायद शुरू कर चुके है ! और मैं माले के महासचिव श्री दिपंकर भट्टाचार्यजी के उस प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ कि आप सभी सेक्युलर दल फिलहाल बीजेपी को रोकने हेतु बंगाल में एक होकर आनेवाला चुनाव लढने के लिए काम करने की आवश्यकता है !
अन्यथा बाद मे आपको बंगाल में एक भी राजनीतिक, सामाजिक काम करने के लिए विशेष रूप से माहौल नहीं रहेगा ! राजनीति शास्त्र में लेसर इविल (कमसेकम शैतान) का सिद्धांत तो आप सभी लोगों को मालूम होगा ! तो वर्तमान में नरेंद्र मोदी-अमित शाह, नड्डा, विजयवर्गिय मिलकर और भारत का समस्त पूंजीपतियों की मदद से बंगाल में बीजेपी के लिए साम दाम दंड भेद निति के द्वारा जो कोशिश जारी है वह बटवारे से लहू लुहान बंगाल जहाँ आज भी भारत के सबसे ज्यादा मुसलमान सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार , दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को बचाने के लिए विशेष रूप से इकट्ठा होकर फासिस्ट शक्ति का मुकाबला करने के लिए लग जाना चाहिए !
डॉ सुरेश खैरनार