अमेरिकन संसदीय इतिहास में 206 साल पहले 24 अगस्त 1814 को ब्रिटिश सेना ने इसी तरह अमेरिकी संसद को आग लगा दी थी लेकिन वह विदेशी आक्रमण था ! शायद अअमेरिकी संसदीय इतिहास में इस बात का और उदाहरण बीचके 205 वर्षो मे अमेरिकी नागरिकों द्वारा और वह भी वर्तमान राष्ट्रपति पद पर बैठे हुए राष्ट्रपति के भडकानेसे कोई और उदाहरण नहीं है !
शायद दुनिया का सबसे पुराने लोकतंत्र के इतिहास में लोकतंत्रीय प्रक्रियाओं के कारण हारे हुए आदमी द्वारा यह हरकत से पता चलता है कि अमेरिका का वर्तमान राष्ट्रपति पद पर बैठे हुए व्यक्ति को लोकतंत्र के लिए कितना आदर है चुनाव के बाद शुरू हुई मतगणना के पहले दिन से ही डोनाल्ड ट्रंप चुनाव के धांधली का राग अलाप रहे हैं और खुद के प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले अधिकारियों पर ही इसतरह के आरोप लगाना कहा तक ठीक है ?
वैसे भी यह आदमी चार साल पहले अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के तुरंत बाद ही दक्षिणी अमेरिकी देशों के सीमाओं पर दिवार बनाने से लेकर अमेरिका मे जो भी लोग रोजगार के लिए विशेष रूप से गये हैं उनके खिलाफ लगातार पाबंदियां लागू करने की कोशिश वीसा के कानून मे बदलाव से लेकर सतत बाहरी लोगों द्वारा अमेरिका के लोगों को बेरोजगारी का संकट झेलना पड रहा है !
जैसे लोगो को भडकाने वाली हरकतें लगातार करते रहा और अफ्रीकन अमेरिकी नागरिकों को आये दिन गोरो की हिंसा के शिकार किया जाता रहा फ्लायड जाॅर्ज की मई 2019 मे जो हत्या के बाद संपूर्ण अमेरिका में नस्लवाद के खिलाफ हजारों लोगों ने उसके विरुद्ध प्रदर्शन कीये ! वैसे भी अमेरिका अमेरिकी लोगों के ट्रंप के नारे माना जाय है तो सबसे पहले जितनी भी गोरे, एशियन, लैटिन अमेरिकन से लेकर अफ्रीकन अमेरिकी नागरिकों को अमेरिका छोडनी चाहिए !
1492 को क्रिस्टोफर कोलंबस ने जब अमेरिका कि खोज करने के बाद यूरोपीय देशों के लोगों ने जिसमें सबसे पहले स्पैनिश लोगों ने बसने की शुरुआत की है! सोलवी शति के प्रारंभ में ब्रिटिश ! यानी भारत मे और अमेरिका में एक ही समय ! तो किसने अमेरिका छोडनी चाहिए ? क्योंकि अमेरिका की वर्तमान डेमोग्राफी को देखेंगे तो डोनाल्ड ट्रंप से लेकर ओबामा, बिडेन, दोनों बुश और जाॅर्ज वाॅशिग्टन से अब्राहम लिंकन, केनेडी तक मुल अमेरिकी लोग नहीं है !
14 जुलाई 1772 के दिन को अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस माना जाता है ! क्योंकि 15000 साल पहले के देश में इस तारीख के पहले कौन लोग रह रहे थे ? और उनके अस्तित्व का क्या हुआ ? वर्तमान अमेरिकी नागरिकों को इन सवालों के जवाब दिये बगैर तथाकथित मुल अमेरिकी नारे देने के पहले सोचना चाहिए ! वैसे यह बात कमधीक प्रमाणमे विश्व के सभी देशों के लिए लागू है क्योंकि मानव वंश के इतिहास में स्थलांतर के द्वारा शायद ही कोई देश होगा जिसमें तथाकथित मुल वासी वाली बात बेमानी लगती है खुद डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह बात बहुत ही मुश्किल में डालनेका काम कर सकती है !
लेकिन यह चर्चा तो बादमे होते 3 नवम्बर 2019 के बाद अमेरिकीराष्ट्रपति पद के हुए चुनावों के परिणाम आने शुरू हुए थे और डोनाल्ड ट्रंप ने शुरू से ही चुनाव के नतीजे देखने के बाद धांधली के आरोप लगाना शुरू कर दिया था और वह आये दिन जिस तरह से भडकाने वाली हरकतें लगातार करते आ रहा है कि कल उसके परिणाम संसद के अंदर घुस कर आग लगाने से लेकर तोडफोड के जो फोटो आज के अखबारों में देखने के बाद डोनाल्ड ट्रंप को अविलंब अध्यक्ष पद से हटा कर उसपर जनतंत्र के उपर हमला करने से लेकर हत्या के मामले में मुकदमा चलाया जाना चाहिए !
क्योंकि इस हमले में अब तक चार लोगों के मारे जाने की खबर है और इन चारों की मृत्यु के लिए ट्रंप को ही जिम्मेदार मानना चाहिए ! क्योंकि गत दो महीनो से लगातार भडकाने का काम कर रहा है ! और सबसे संगीन बात जार्जिया के चुनाव अधिकारी योको चुनाव में अफरा तफरी करने के लिए फोन करके चुनाव प्रक्रिया के उपर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करना वह भी देश के सर्वोच्च शिखर पर के पद पर बैठकर !
मैंने कई-कई बार डोनाल्ड ट्रंप का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है यह लिखा है ! लेकिन अमेरिकी नागरिकों मे एक मनोरुग्ण के लिए हजारों की संख्या में लोगों को उसके समर्थन में यह हरकत करने से लेकर तो मुझे कुछ अमरीकी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो रही है !
पागलपन यह एक बीमारी है और मै खुद एक डॉक्टर होने के नाते किसी और बीमारी की तरह मुझे मनोरुग्ण के लिए भी मेडिकल पाइंट ऑफ व्हूव से अगर देखा जाए तो ठीक है लेकिन वह समाज देश और दुनिया के मामले में दखलंदाजी कर रहा हो और चार सालों में उसने जो भी निर्णय और इराणके जनरल कासिम से लेकर मोहसिन जख्रदेह की हत्या और यह तो मशहूर लोगों की बात है पर हजारों की संख्या में लोगों को सीरिया, इराक, अफगानिस्तान, लेबनान, फिलिस्तीन और अफ्रीकन लोगों को मारने में भी इसी सिरफिरे ने अपने खुद के देश के अफ्रोअमेरिकन लोगों को भी मारने के लिए जिम्मेदार है !
क्योंकि इस पागल ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर आने के बाद ही वंशवाद की शुरुआत की है ! और कईयों कानूनों को बदलने से लेकर नई पाबंदियां लागू करने की कोशिश की है और हजारों लोगों को बेरोजगारी का संकट झेलना पड रहा है !
उसे अपने ऊलजलूल हरकतों के कारण पता चल गया था कि आने वाले चुनाव में उसे काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा तो नरेन्द्र मोदी को बुलवाया और हावडी मोदी से लेकर कोरोना के संकट के बावजूद अहमदाबाद के मोटोरा स्टेडियम में भीड़ इकट्ठी करने के हथकंडे करने की बात भी शायद अमेरिकी चुनावों के इतिहास में किसी बाहरी व्यक्ति की मदद से अपने चुनाव प्रचार के लिए यह भी बहुत ही संगीन बात है !
डॉ सुरेश खैरनार