केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और झारखंड से भाजपा सांसद महेश पोद्दार की सदस्यता रद्द हो सकती है. चुनाव आयोग ने झारखंड में 2016 में दो सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त एवं चुनाव को प्रभावित करने के मामले में मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार एवं राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए दोनों अधिकारियों को खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.
अगर चुनाव आयोग ने इन लोगों पर लगे आरोपों को सही पाया तो यह चुनाव रद्द हो सकता है और इसके कारण उक्त दोनों सांसदों की सदस्यता समाप्त हो सकती है. झारखंड में राज्यसभा का चुनाव हो और विधायकों की खरीद-फरोख्त न हो, यह असंभव है. 2016 के राज्यसभा चुनाव में भी यही हुआ.
सम्पूर्ण विपक्ष के प्रत्याशी शिबू सोरेन के बेटे बसंत सोरेन की हार हुई और विधायकों के गणित का आंकड़ा फिट नहीं होने के बाद भी भाजपा के दोनों प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार ने बाजी मार ली. विपक्ष ने चुनाव आयोग से इस संबंध में शिकायत की और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार और राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता पर विधायकों को धमकाने एवं लालच देकर विधायकों के खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया. इससे संबंधित सीडी भी चुनाव आयोग को दी गई.
चुनाव आयोग ने जांच के बाद अजय कुमार एवं पुलिस अधिकारी को दोषी पाया और इस मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा. दोनों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया. इस पर कोई कार्रवाई नहीं होते देख चुनाव आयोग ने 13 जून को मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को पुनः पत्र लिखा और जांच की कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया. अब मुख्य सचिव की स्थिति सांप छूछंदर वाली हो गई है. दोनों ही मुख्यमंत्री के काफी करीब माने जाते हैं.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपनी ताजपोशी के बाद एक स्थानीय समाचार-पत्र के संवाददाता अजय कुमार को राजनीतिक सलाहकार बनाया था. वैसे कुमार ने कभी राजनीतिक ककहरा नहीं सीखा था और न ही इनका कोई राजनीतिक कैरियर रहा है. ऐसी चर्चा है कि जब अजय कुमार को समाचार-पत्र ने भाजपा संबंधित खबरों के संकलन की जिम्मेवारी सौंपी, तो रघुवर दास ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के खिलाफ समाचारों के लिए अजय कुमार का सहयोग लिया.
गौरतलब है कि अर्जुन मुंडा एवं रघुवर दास राजनीति में एक-दूसरे के घोर प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. इनलोगों के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है. जब रघुवर दास मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो इन्हें तोहफा के रूप में राजनीतिक सलाहकार का पद दे दिया. चुनाव आयोग द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद पद से हटाकर अब अपना प्रेस सलाहकार बना दिया है. इधर अनुराग गुप्ता के स्वजातीय होने की बात कही जा रही है और यह माना जा रहा है कि इस कारण ये मुख्यमंत्री के सबसे पसंदीदा पुलिस अधिकारी हैं.
वैसे राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास हर हाल में इन दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने देने का हरसंभव प्रयास करेंगे. दोनों पर कोई आरोप सिद्ध न हो, इस बात की कवायद अभी से शुरू हो गई है. यही कारण है कि जहां अजय कुमार के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को दी गई है, वहीं अनुराग गुप्ता के खिलाफ गृह विभाग जांच करेगा. यह दोनों ही विभाग मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास है और दोनों के खिलाफ किस तरह की जांच होगी.
यह जगजाहिर है. इससे यह कहावत एक तरह से सही चरितार्थ होगा कि ‘सैंया है कोतवाल तो डर काहे का’. पर चुनाव आयोग के सख्त रूख को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री सचिवालय से जारी आदेश में अजय कुमार के खिलाफ सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी जांच करेंगे.
इस विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार हैं, जो मुख्यमंत्री रघुवर दास के भी प्रधान सचिव हैं. राज्यसभा चुनाव में हुए हॉर्स ट्रेडिंग की जांच का जिम्मा एंटी करप्शन ब्यूरो को दिया गया है. मुख्य सचिव कार्यालय ने इस संबंध में एंटी करप्शन ब्यूरो को पत्र भेजा है. एसीबी इस संबंध में शिकायत दर्ज कर उस सीडी की भी जांच करेगी, जिसमें राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के पति योगेन्द्र साव से बातचीत का ऑडियो रिकॉर्ड है.
2016 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने मुख्तार अब्बास नकवी एवं महेश पोद्दार को अपना उम्मीदवार बनाया था. नकवी की जीत के लिए तो आंकड़ा पर्याप्त था, पर महेश पोद्दार की जीत के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति करनी थी. इसके लिए राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को जिम्मेदारी दी गई थी. उसके बाद रणनीति बनी. कांग्रेस विधायक निर्मला देवी, जहां बड़कागांव गोलीकांड सहित कुछ अन्य मामलों में आरोपी थी, वहीं उनके पति योगेन्द्र साव पर भी कुछ गंभीर मामले दर्ज हैं. ऐसी चर्चा है कि अजय कुमार ने निर्मला देवी के पति से सम्पर्क साधा.
यह भी चर्चा है कि अजय विधायक पति से मिले और उन्हें भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कराने का प्रलोभन दिया. उन पर एवं विधायक निर्मला देवी पर चल रहे मामलों को हटा लेने का प्रलोभन दिया गया, साथ ही अन्य तरह के भी लालच दिए गए. अजय कुमार के साथ हुई बातचीत के बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता को इस काम में लगाया गया. विधायक पति के साथ अजय कुमार एवं अनुराग गुप्ता की बातचीत को योगेन्द्र साव ने टैप कर रखा था. जब इनलोगों का काम नहीं बना, तो राज्यसभा चुनाव के बाद बातचीत का ऑडियो टेप सीडी सार्वजनिक कर दिया गया.
इस चुनाव में विपक्ष के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जबकि दो विधायक अनुपस्थित रहे थे. झामुमो के चिमरा लिंडा और कांग्रेस विधायक बिट्टू सिंह को पार्टी के आला नेता मतदान के दिन खोजते रहे, पर ये दोनों भूमिगत हो गए थे. ऐसी चर्चा है कि इन दोनों विधायकों को अनुपस्थित रहने के लिए भाजपा ने मोटी राशि दी थी. इस संबंध में चुनाव आयोग ने चमरा लिंडा एवं निर्मला देवी के लिखित बयान लिए थे. इन विधायकों के लिखित बयान के आधार पर चुनाव आयोग ने इन दोनों अधिकारियों को प्रथम दृष्टतया दोषी माना था.
चुनाव आयोग को सौंपे गए सीडी में निर्मला देवी के पति के साथ इन दोनों अधिकारियों को बातचीत करते हुए दिखाया गया. सीडी में यह साफ सुना जा सकता है कि अजय कुमार निर्मला देवी के पति योगेन्द्र साव को पुलिस अधिकारी के आवास पर जाकर मुलाकात का दबाव बना रहे हैं. साथ ही यह भी लालच देते हुए दिख रहे हैं कि सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. योगेन्द्र साव पर दर्ज मामलों को उठा लेने एवं अन्य तरह के प्रलोभन भी दिए गए.
राज्यसभा चुनाव में हार के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा ने हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था. विपक्षी दलों ने यह आरोप लगाया था कि चुनाव से ठीक पहले जान-बूझकर झामुमो विधायक चमरा लिंडा, कांग्रेस विधायक निर्मला देवी और बिट्टू सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था, ताकि तीनों वोट नहीं दे सकें. झाविमो सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने चुनाव आयोग से चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत की थी. एडीजी अनुराग गुप्ता एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार एवं अन्य के खिलाफ चुनाव को प्रभावित करने और चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए थे.
उन्होंने आयोग को इससे संबंधित सीडी भी उपलब्ध कराई थी, जिसमें टेलीफोन पर की गई बातचीत का ब्यौरा था. दरअसल इस चुनाव में सम्पूर्ण विपक्ष द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशी की जीत बिल्कुल पक्की मानी जा रही थी. इस कारण विपक्ष ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के पुत्र बसंत सोरेन को इस चुनाव में उतारा था. इस चुनाव में नकवी को 29 मत एवं महेश पोद्दार के पक्ष में 26-66 मत पड़े थे और दूसरी वरीयता के आधार पर महेश पोद्दार की जीत हुई थी.
चुनाव आयोग द्वारा संज्ञान लिये जाने के बाद राजद सुप्रीमो ने चुटकी लेते हुए कहा कि भाजपा शासित राज्यों में तो हॉर्स ट्रेडिंग होता ही है. उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग करते हुए कहा कि नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए. राजद सुप्रीमो ने कहा कि दोषियों के खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं होना, इस बात का संकेत है कि पूरे मामले को रफा-दफा कर देनी की साजिश रची जा रही है. वहीं इस मामले को चुनाव आयोग तक ले जाने वाले झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी का कहना है कि राज्यसभा चुनाव मामले में मैंने जो खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था, उसे चुनाव आयोग ने अपनी जांच में सही पाया है.
इस चुनाव को तत्काल रद्द करना चाहिए और उस चुनाव में जीत कर गए लोगों की सदस्यता रद्द करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, लेकिन इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग की और कहा कि मुख्यमंत्री अगर इस्तीफा नहीं देते हैं तो राज्यपाल को चाहिए कि वे मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर दें.
विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ है. चुनाव आयोग के पत्र से यह साफ हो गया है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त हुई है और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ है. हेमंत ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग के साथ ही दोनों सांसदों की सदस्यता रद्द करने की भी मांग निर्वाचन आयोग से की है.
इधर भाजपा नेताओं ने कहा कि हेमंत अपने भाई की हार को पचा नहीं पा रहे हैं, भाजपा प्रवक्ता जेबी तुबीद ने कहा कि झारखंड को थैलीशाहों का अड्डा बनाने वाले हेमंत को अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए. अब यह देखना है कि चुनाव आयोग के पत्र के बाद राज्य सरकार आगे क्या करती है?