ऐसे में जब राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन शेष बचे हों और तो और वहां पर देश के सबसे बड़े व मुख्य सियासी दल कांग्रेस और बीजेपी के बीच में कांटे की टक्टर हो. इतना ही नहीं, जब कांग्रेस बिना सीएम उम्मीदवार के चुनाव लड़ रही हो तो ऐसे में किसी भी नेता के द्वारा कहा गया कोई भी बयान खासा मायने रखने लगता है. जी हां, बिल्कुल, अब इसी कड़ी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कह दिया कि मेरे लिये पद कोई प्राथमिकता ही नहीं है.

बता दें कि संवाददाताओं से बातचीत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैं तो अपनी सियासी पारी के सफर संतुष्ट हूं. अगर मुझे मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं भी मिलता है तो मुझे इसका कोई मलाल नहीं होगा क्योंकि मैं तो इससे पहले भी प्रदेश में दस सालों तक मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यरत रह चुका हूं. इतना ही नहीं पांच बार लोकसभा चुनाव जीता, तीन बार केंद्र में मुख्यमंत्री रह चुका हूं. कुल मिलाकर बात ये है कि मेरा मकसद मुख्यमंत्री बनना नहीं बल्कि कांग्रेस कि सियासत को बढ़ाना है.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का जो भी आदेश होगा मैं उसको मानने के लिए तैयार रहुंगा. अब मैं केवल इतना चाहता हूं कि कैसे कांग्रेस पार्टी देश की सत्ता पर काबिज हो और इसके साथ साथ ही साथ प्रदेशों में अपनी पैठ को कैसे मजबूत बनाए.

साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व मुझे जो भी कार्य देंगे. मेरा उदेशय रहेगा कि मैं उसे कैसे पूरी कर्मठता और ईमानदारी से करु. गौरतलब है कि प्रदेश में आगामी 7 दिसबंर को विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में अभी प्रदेश का सियासी पारा उफान पर चढ़ा हुआ है.

बता दें कि इससे पहले भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा था कि कांग्रेस बिना दुल्हे के ही बरात ले जा रही है. अब ऐसे में सियासी प्रयेक्षकों समेत आम जनता जनार्दन के लिए ये देखाना काफी दिलचस्प हो चुका है कि आखिर अगर कांग्रेस जीतीती है तो प्रेदश का मुख्यमंत्री कौन होगा.

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