मुझको अपनी जिंदगी में आने दो
किसी के लिए जिया नहीं हूं, मुझे जीने दो
ऐसे ही तुम मुझे बुलाया करो, हम आयेंगे
मुद्दत से ऐसे किसी ने बुलाया नहीं, तुम बुलाया करो
बिना दस्तक दरवाज़ा तुम खोल देती हो
बरसों से मेरा ऐसा इंतजार हुआ नहीं, तुम किया करो
मुझको इन बांहों में सुकूं से सोने दो
सदियों से ऐसे सोया नहीं हूं, मुझे सोने दो
ऐसे ही प्यार से उठाया करो, हम जागेंगे
सालों से ऐसे जागा नहीं हूं, मुझे जगाया करो
ऐसे ही, बस ऐसे ही जीवन चलने दो
पलों को सदियाँ बनने दो, मुझे ऐसे ही जीने दो
गीतकार
जी वेंकटेश, भोपाल
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