अब बहुत जल्द संविधान की धारा 377 को खत्म किया जा सकता है. कांग्रेस पहले ही इसे खत्म करने पर हामी भर चुकी है, वहीं रविवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और सत्ताधारी बीजेपी के नेताओं ने भी इस कानून पर बैन लगाने की बात कही.
रविवार को हिमाचल प्रदेश में इंडिया फाउंडेशन की ओर से यंग थिंकर्स मीट का आयोजन किया गया था. इसमें बड़े-बड़े लोगों के अलावा बीजेपी के महासचिव राम माधव, सांसद अनुराग ठाकुर सरीखे नेता, प्रशासनिक अधिकारी, आइआइटी, आइआइएम, जेएनयू, दिल्ली विवि, मीडिया व अन्य कई क्षेत्रों से जुड़े करीब 90 युवा पहुंचे थे, और सभी ने एक सुर में कहा कि धारा 377 व्यक्ति की निजता पर हमला है. ऐसे कानून को खत्म करना चाहिए.
आईपीसी धारा 377 का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है और संवैधानिक पीठ ने इस पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. धारा 377 के मुताबिक, समलैंगिकता को गैर कानूनी माना गया है. इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है. आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 साल की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा. उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. यह गैर जमानती अपराध है.
LGBTQ समुदाय के तहत लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंटर और क्वीयर आते हैं. इस समुदाय की मांग है कि उन्हें उनका हक दिया जाए और धारा 377 को अवैध ठहराया जाए. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में सलाह मांगी है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में इसे अपराध के दायरे से हटा दिया था, लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला रद्द करते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रख दिया था. फिलहाल, ये मामला एक बार फिर देश की सर्वोच्च अदालत में है, जहां इस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब फैसला आना बाकी है.