महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाक़ों में पानी की समस्या दूर करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस के मौक़े पर जलयुक्त शिवार अभियान की शुरुआत की. सरकार का दावा है कि इस योजना की मदद से महाराष्ट्र वर्ष 2019 तक सूखा मुक्त हो जाएगा. इस अभियान के तहत प्रतिवर्ष पांच हज़ार गांवों को हरित बनाने का लक्ष्य रखा गया है. ग़ौर करने वाली बात यह है कि इस अभियान में जन सहभागिता अधिक है. जल संरक्षण के इस अभियान में सिद्धि विनायक जैसे धार्मिक न्यास ने भी करोड़ों रुपये की आर्थिक मदद की है. मराठवाड़ा और विदर्भ के गांवों को सूखा मुक्त बनाने के लिए कई कॉरपोरेट घरानों ने भी सार्थक पहल की है. मराठवाड़ा समेत महाराष्ट्र के सभी सूखा प्रभावित ज़िलों में इन दिनों पुराने तालाबों, बावड़ियों, कुओं एवं नालों को पुनर्जीवित किया जा रहा है. वहीं कई गांवों में नए नालों, तालाबों एवं कुओं का निर्माण भी हो रहा है. जलयुक्त शिवार अभियान वास्तव में मराठवाड़ा के लिए एक भगीरथ प्रयास है. इस मसले पर प्रस्तुत है चौथी दुनिया की यह ख़ास रिपोर्ट…
माराठवाड़ा की दस दिवसीय सघन यात्रा के दौरान यह संवाददाता ऐसे दर्जनों गांवों में गया, जहां हाल में किसानों ने आत्महत्याएं की थीं. कई वर्षों से बारिश न होने, फसल नाक़ाम होने और क़र्ज़ की वजह से काश्तकार ख़ुदकुशी करने को मजबूर हो रहे हैं. उस्मानाबाद डाक बंगले पर चौथी दुनिया के इस संवाददाता की मुलाक़ात ज़िला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी दीपक चव्हाण से हुई. उन्होंने बातचीत में जलयुक्त शिवार अभियान के बारे में बताया. उस्मानाबाद ज़िले में इस अभियान से जुड़े कार्यों के विषय में अधिक जानकारी के लिए हम दोनों ज़िलाधिकारी आवास पर पहुंचते हैं. ज़िलाधिकारी डॉ. प्रशांत नारनवरे ने जलयुक्त शिवार अभियान के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं. लगभग दो घंटे की बातचीत में उन्होंने बताया कि जल संरक्षण की दिशा में इस अभियान की सफलता न स़िर्फ महाराष्ट्र के लिए फायदेमंद साबित होगी, बल्कि इससे राजस्थान जैसे उन राज्यों को भी प्रेरणा मिलेगी, जहां जल संकट की स्थिति गंभीर है. जलयुक्त शिवार अभियान के तहत क्या-क्या काम हो रहे हैं, यह देखने के लिए मैं उस्मानाबाद के उन गांवों में गया, जहां नाला खोलीकरण, बांध एवं तालाब निर्माण आदि काम चल रहे थे. मेरे साथ मराठी दैनिक लोकमत, सकाल, महाराष्ट्र टाइम्स, पुण्य नगरी के अलावा दैनिक भास्कर और दूरदर्शन के कई पत्रकार साथी भी थे. हम लोग उस्मानाबाद ज़िले से क़रीब 25 किलोमीटर दूर वाशी तालुका स्थित एक गांव पहुंचे. यहां महाराष्ट्र लोक निर्माण विभाग द्वारा जेसीबी और पोकलेन की मदद से नाला खुदाई का काम चल रहा था.
उस्मानाबाद समेत संपूर्ण मराठवाड़ा प्राचीन दक्कन के पठार पर मौजूद है. यहां की मिट्टी की ऊपरी परत, जिसे काली कपासी कहते हैं, वह बेहद उपजाऊ है. चार-पांच फीट के बाद बेसाल्ट, चूना-पत्थर और स्लेट की परतें शुरू हो जाती हैं. हालांकि, ये सभी का़फी मुलायम चट्टानें हैं और इनमें पानी सोखने की ज़बरदस्त क्षमता है. उस्मानाबाद के ज़िला कृषि अधिकारी शंकर तोटावार ने चौथी दुनिया से ख़ास बातचीत में बताया कि जलयुक्त शिवार अभियान में महाराष्ट्र सरकार के अलावा स्थानीय जनता भी आर्थिक सहयोग करती है. दरअसल, इस अभियान में जन सहयोग का तरीक़ा बेहद दिलचस्प है. मिसाल के तौर पर नाला खोलीकरण या नए नाले बनाने का कार्य चल रहा है. ज़ाहिर है, उसकी लंबाई पांच, छह, आठ या नौ किलोमीटर होगी. जेसीबी और पोकलेन की मदद से वहां मिट्टी की कटाई होती है. खेती के लिहाज़ से यह मिट्टी का़फी उपजाऊ है. जिन गांवों में यह काम हो रहा है, वहां मिट्टी लेने को इच्छुक किसान ट्रैक्टर की मदद से उस मिट्टी को अपने खेतों में डालते हैं. इसके बदले वे जलयुक्त शिवार अभियान को पैसा देते हैं. इस तरह मिट्टी के बदले पैसे देने से लाखों रुपये की आमदनी होती है. ज़िला कृषि पदाधिकारी के मुताबिक़, मानसून से पहले ज़्यादातर गांवों में नाला खोलीकरण और नए नालेे बनाने के काम पूरे कर लिए जाएंगे. बारिश के समय इन नालों और बांधों में वर्षा जल का संचय होगा, जिससे गांव और खेतों में भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी होगी. निश्चित रूप से जलयुक्त शिवार अभियान महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित ज़िलों में जल संरक्षण का एक बेहतरीन प्रयोग है. कम लागत में वर्षा जल को संचित करने का यह अनूठा प्रयोग आने वाले दिनों में मराठवाड़ा और विदर्भ की खुशहाली का कारण बनेगा. महाराष्ट्र सरकार ने इस वर्ष 26 जनवरी को सूखा प्रभावित मराठवाड़ा और विदर्भ के इलाक़ों में जलयुक्त शिवार अभियान की शुरुआत की. इस अभियान के तहत हर साल 5,000 गांवों में सिंचाई और पीने के लिए पर्याप्त जल की व्यवस्था जल संरक्षण के प्राकृतिक उपायों के ज़रिये की जाएगी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का दावा है कि जलयुक्त शिवार अभियान की मदद से वर्ष 2019 तक राज्य को सूखा मुक्त बना लिया जाएगा. जलयुक्त शिवार अभियान में स्थानीय ग्रामीण न केवल सकारात्मक भागीदारी कर रहे हैं, बल्कि इस काम में वे आर्थिक सहयोग भी कर रहे हैं. वर्षा जल को संचित करने के लिए मराठवाड़ा समेत प्रदेश के अन्य सूखा प्रभावित ज़िलों में पुराने तालाबों, बावड़ियों एवं नालों में जमा सिल्ट हटाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा का़फी संख्या में नए नालों, तालाबों एवं बावड़ियों के निर्माण का कार्य भी तेज़ गति से चल रहा है. मराठवाड़ा ख़ासकर उस्मानाबाद, लातूर, बीड, परभणी और जालना में जलयुक्त शिवार अभियान की प्रगति सबसे अधिक है, क्योंकि यहां भू-जल स्तर का़फी नीचे है. जलयुक्त शिवार अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने सूबे के बड़े उद्योगपतियों से इस कार्य में सहयोग करने की अपील की. महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास एवं जल संरक्षण मंत्री पंकजा मुंडे के अनुसार, राज्य सरकार हर साल पांच हज़ार गांवों को जलयुक्त शिवार अभियान के तहत हरा-भरा करेगी. वर्ष 2019 तक इस अभियान की मदद से सूबे के 25,000 गांवों को हरित बनाया जाएगा. उसके बाद इन गांवों में सिंचाई और पीने के लिए पानी की किल्लत नहीं रहेगी.
उल्लेखनीय है कि चालू वर्ष में मराठवाड़ा के 1,682, नागपुर विभाग के 1,077, अमरावती विभाग के 1,200, पुणे विभाग के 900, नासिक विभाग के 951 और कोंकण विभाग के 200 गांवों को इस अभियान के लिए चुना गया है. वर्ष 2016 के गणतंत्र दिवस के मौक़े पर 2,500 गांवों में जल संरक्षण के कार्य शुरू होंगे. मौजूदा चालू वर्ष में राज्य भर में दस हज़ार छोटे बांध बनाए जाएंगे. इस अभियान के लिए छह से सात हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च किए जाएंगे. फिलहाल जलयुक्त शिवार अभियान के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक हज़ार करोड़ रुपये का विशेष कोष बनाया है. इसके अलावा केंद्र सरकार के एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार को क़रीब छह हज़ार करोड़ रुपये की राशि मुहैया कराई जाएगी. जलयुक्त शिवार अभियान के तहत होने वाले सभी कार्यों और उनकी गुणवत्ता से संबंधित जानकारियां उपग्रह के माध्यम से ली जाएंगी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने धार्मिक न्यासों और कॉरपोरेट घरानों से भी जलयुक्त शिवार अभियान में सहयोग देने की अपील की है. सरकार की इस अपील के बाद श्री सिद्धि विनायक मंदिर ट्रस्ट ने महाराष्ट्र के हर ज़िले को एक करोड़ रुपये की धनराशि देने की घोषणा की. इस प्रकार यह ट्रस्ट राज्य के 34 ज़िलों को 34 करोड़ रुपये देगा. यह राशि हर ज़िले में जलयुक्त शिवार अभियान में ख़र्च की जाएगी. ग़ौरतलब है कि वर्ष 2014-15 के बीच मराठवाड़ा के सभी आठ ज़िलों में भू-जल स्तर में औसतन दो मीटर की गिरावट दर्ज की गई है.
- जलयुक्त शिवार अभियान एक भगीरथ प्रयास की तरह है. प्राकृतिक रूप से वर्षा जल के संरक्षण का यह कार्य अद्वितीय है. लातूर ज़िला प्रशासन समय पर कार्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.-पांडुरंग पोले, ज़िलाधिकारी, लातूर
- पानी की समस्या हल करने के लिए राज्य सरकार ने जलयुक्त शिवार अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है. इस योजना में लोगों की सहभागिता भी ज़रूरी है. ज़िला प्रशासन इसमें अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर ज़ोर दे रहा है.-नवल किशोर राम, ज़िलाधिकारी, बीड
- मराठवाड़ा में सूखे की समस्या काफी गंभीर है. जलयुक्त शिवार अभियान से सिंचाई और पेयजल की कमी दूर होगी. इस अभियान की मदद से ज़िला प्रशासन उस्मानाबाद को सूखा मुक्त बनाने की मुहिम में जुटा हुआ है.-डॉ. प्रशांत नारनवरे,ज़िलाधिकारी, उस्मानाबाद
अभियान में शामिल गांव (ज़िला उस्मानाबाद)
तालुका गांवों की संख्या
उस्मानाबाद 129
तुलजापुर 123
उमरगा 96
लोहारा 47
कलंब 97
भूम 96
वाशी 54
परंडा 96
कुल गांवों की संख्या: 737
उस्मानाबाद ज़िले पर एक नज़र
- भौगोलिक क्षेत्र: 7.57 लाख हेक्टेअर
- खेती योग्य ज़मीन: 5.82 लाख हेक्टेअर
- ख़री़फ फसल का कुल रकबा: 3.93 लाख हेक्टेअर
- रबी फसल का कुल रकबा: 4.54 लाख हेक्टेअर
- बागायती खेती (बाग-बागीचे) का कुल रकबा: 0.98 लाख हेक्टेअर
- कुल सिंचित रकबा: 0.98 लाख हेक्टेअर
- गांवों की कुल संख्या: 737
- ग्राम पंचायतों की कुल संख्या: 622
- तालुकों/तहसील/प्रखंड की कुल संख्या: 08
- राजस्व अनुमंडल: 04
- राजस्व क्षेत्र: 42
अभियान में चयनित गांवों और जन-भागीदारी से हुए कार्यों पर एक नज़र
ज़िले का नाम चयनित गांव गांवों की संख्या नाला खुदाई कुल ख़र्च
औरंगाबाद 228 36 59 2.78 करोड़ रुपये
जालना 209 12 39 0.79 करोड़ रुपये
बीड 271 11 22 2.62 करोड़ रुपये
परभणी 170 99 334 5.38 करोड़ रुपये
हिंगोली 124 10 25 0.88 करोड़ रुपये
नांदेड़ 261 66 76 9.84 करोड़ रुपये
लातूर 202 99 194 28.08 करोड़ रुपये
उस्मानाबाद 217 119 85 0.82 करोड़ रुपये
कुल ज़िले: 08, चयनित गांवों की संख्या: 1,682, गांवों की संख्या, जहां जन-भागीदारी से कार्य हो रहे हैं: 452
नाला खुदाई, नाला स़फाई आदि कार्य: 834, कुल ख़र्च: 51.15 करोड़ रुपये