इतिहास का विश्लेषण करना एक गंभीर और जिम्मेदारी का काम है ।ज्ञात तथ्यों ,शिलालेखों ,अवधारणाओं ,जन प्रचलित मान्यताओं का अध्ययन कर तत्कालीन सत्यों को खोजना तथा मूल्यांकन करना आसान नहीं होता ।इसके लिए तर्क संगत विचार और जीवन के प्रति वैज्ञानिक समझ बेहद जरूरी है ।

किसी भी व्यक्ति द्वारा इतिहास को देखने समझने की उसकी समझ तथा उसके दृष्टिकोण से ही उस व्यक्ति की प्रवृत्तियां भी अभिव्यक्त होती हैं । इतिहास में नफ़रत ,कटुता ,असहिष्णुता ,युद्धों के उन्माद और जातीय ,धार्मिक श्रेष्ठता के महिमा मंडन को खोजना अमानवीय तथा प्रतिगामी प्रवृत्ति है ।

इसके विपरीत इतिहास में मनुष्यों के विकास का तर्क संगत विचारों के साथ अध्ययन करना तथा एकता ,सदभाव ,भाईचारा ,सहिष्णुता ,अमन के तथ्यों को खोज कर उनका तत्कालीन परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन करना एक मानवीय और प्रगतिशील प्रवृत्ति है ।

आज फासीवादी ताकतें इतिहास की तर्क विहीन व्याख्या कर सत्ता के लिए नफरत ,अलगाव ,कटुता फैलाने का कारोबार कर रही हैं ।फासीवादी ताकतों द्वारा इतिहास के नाम पर जिस तरह जनता को भ्रमित किया जा रहा है ,उससे उनकी अमानवीय प्रवृत्तियों का भी पर्दाफाश हो रहा है ।

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