आज ही के दिन 2002, 27फरवरी को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस – 6 कोच को आग लगा दी गई थी ! जिसमें साठ के आसपास यात्रियों की जलकर मृत्यु हो गयी थी ! उस बहाने याद आई, वर्तमान प्रधानमंत्री के आपदा में अवसर की तलाश करने की सलाह ! कोरोना के समय राष्ट्र को संबोधित करते हुए, सुनी थी !
आपदा से अवसर की बात से, याद आया , गुजरात मे 7 अक्तूबर 2001को केसुभाई पटेलके खिलाफ चल रही बगावत के कारण ! बिजेपी ने नरेंद्र मोदी जी को क्रिकेट के मैदान में, श्याम के कुछ बचे हुए ओवर को खेलने के लिए अंतिम समय पर, भेजे जाने वाले बल्लेबाजको , क्रिकेट की भाषा मे ‘नाईट वॉचमन’ के रूप मे बोला जाता है , इन्हीं को भेजा जाता है ! उसी तरह, नरेंद्र मोदीजी को, मुख्यमंत्री पद पर भेजा गया था ! क्यौंकि ये महाशय, तब तक, ग्राम पंचायत का चुनाव मे भी ! भाग नहीं लिये थे ! और विधनसभा चुनाव तो बहुत दूर की बात थी !
गुजरात की डेमोग्राफी देखकर लगता नहीं कि, वर्तमान प्रधानमंत्रीकी उस समय गुजरात में कुछ राजनैतिक जमिन बनानेकी स्तिथी थी ! क्यौंकि वह जिस तेली जातिसे है ! वह गुजरातमे दो प्रतिशत भी नहीं हैं ! भारतीय राजनीति पर हर राज्य में कुछ खास जातियों का दब- दबा बना हुआ है ! वैसाही गुजरात में पटेल ! और ऊपर से केसुभाई जैसे जमीनी नेता को हटाकर, नरेंद्र मोदी जी को मुख्यमंत्री पद ! किसिभी थोडी बहुत राजनीती से परिचितोको यही लगता था कि, नरेंद्र मोदी एक आपातकालीन व्यवस्था हेतू, दिल्ली से भेजे गए थे !
लेकिन मेरे एक बुजुर्ग पत्रकार मित्र जो अब इस दुनियामे नहीं है, श्री. दिगंत भाई ओझा ने मुझे कहा कि “नरेंद्र मोदी के प्रथम प्रेस कांफ्रेंस में ही ! उन्होंने कहा था कि” मैं वन डे मैच नहीं खेलने आया हूँ ! मैं टेस्ट मैच का खिलाडी हूँ ! ” आपदा में अवसर की तलाश !
27 फरवरी 2002 की सुबह गोधरा स्टेशन पर, साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 कोच में आग लगा दी गई ! और 59 लोग मारे गए ! और नरेंद्र मोदी जी को मुख्यमंत्री पद पर आकर, सिर्फ सव्वा सौ दिन पूरे हो रहे थे ! हप्ते भर पहले ही वह राजकोट से उपचुनाव में बमुश्किल चुनकर आये थे ! क्योंकि, तिन विधानसभा की सिटो के उपचुनाव में, और दोनों सीटे कॉंग्रेस के पाले में चली गई थी ! जो पहले बिजेपी की थी ! और स्थानीय स्तर चुनाव पंचायत,जिला परिषद,नगर निगम अहमदाबाद और राजकोट छोडकर लगभग 75% कांग्रेसके पास थे ! मतलब 2001 में बीजेपी की हालत गुजरात में काफी पतली थी !
इस आपदा को अवसर में बदलनेके लिए ! नरेंद्र मोदीजी ने कोई कसर नहीं छोड़ी ! उन्होने गोधरा की कलेक्टर जयती रवि के मना करने के बावजूद, सभी मारे गए, लोगों के शवोकी, बगैर पोस्टमार्टम किये ! विश्व हिंदू परिषद के हवाले कर दिया ! जबकि उस समय यात्रियों के किसी भी रिश्तेदारों ने अपने मारे गए लोगों के शवों को देने की मांग नही की थी ! तो नरेंद्र मोदी या विश्व हिंदू परिषद कौन से कानून के तहत उन सभी अधजली बॉडिज के कब्जे में कर के, और उन शवोका एक खुले ट्रक में प्रदर्शन कर अहमदाबाद के सडको पर जुलूस निकाला गया ! क्या इसमें भी आपदाकी अवसर की तलाश थी ?
2001 के 7 अक्तूबर को शपथग्रहण में, “मै नरेंद्र दामोदर दास मोदी आज से गुजरातका मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए ! यह अश्ववस्त करता हूँ ! कि आजसे मै गुजरातमे रहनेवाले हर नागरिक के साथ, किसि भी तरह का भेद भाव ना करते हुए ! भारतीय संविधान के अनुसार काम राज्य में करूंगा ! क्या हुआ उस शपथ का ? क्या यह भी आपदा में अवसर की तलाश में भूल गए ?
28 फरवरी के श्याम से ही, भारत के स्थल सेना प्रमुख जनरल पदमनाभन जी ने, गुजरातकी कानून और व्यवस्था बनाये रखने के लिए, लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह के नेतृत्व में, 3000 जवानोको भेजा था ! लेकिन उन जवानोको तिन दिन तक, कोई भी लॉजिस्टिक दिया नही गया ! इस वजह से उन्हें अहमदाबाद एयरपोर्ट के बाहर नहीं आने दिया गया ! क्या यह भी आपदा में अवसर की तलाश के लिए ?
28 फरवरी की आधी रात बीतने के बावजूद ! चीफ सेक्रेटरी से लेकर मुख्यमंत्री जमिरुद्दींन साहब के फोनका जवाब नहीं दे रहे थे ! तो एक लोकल गाईड को साथमे लेकर, अपनी साथ लाये जिप्सी पर, गाँधीनगर मुख्यमंत्री आवास पर, पहुँच कर देखते हैं ! रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज और नरेंद्र मोदी खाना खा रहे थे ! तो फर्नांडीज खुश होकर बोले कि “बहुत ही सही समय पर आप आये हैं ! अब आप गुजरातको सम्हालो !” तो जमिरुद्दींन साहब ने कहा की “मैं मेरे 3000 जवानोको लेकर, श्यामसे अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरे हुए हैं ! लेकिन हमे जबतक लोजेस्टीक प्रोव्हाईड नहीं किया जा सकता है ! तो हम कैसे सह्माल सकेंगे ? हमने ऊपर से विमान से देखा है, पुरा गुजरात जल रहा है ! और इतनी देर हो चुकी है ! पर मुख्यमंत्री से लेकर यहाका कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति फोन तक नहीं उठा रहे ! इसलिये आखिर मै अपनी साथ लाये जिप्सी पर बैठकर, लोकल गाईडकी मदद से अभि यहाँ पर पहुँच पाये ! “तो जॉर्ज फर्नांडीज ने नरेंद्र मोदीजी को कहा कि” नरेंद्र भाई इनको क्या चाहीये, वह सब दिजीये ! ” और उसके बावजूद तिन दिन तक हमारे देश के सेना के 3000 जवान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर ही पडे रहे ! क्यो ? उन्हे दंगा रोकने के लिए क्यो रोका गया ? आपदा को अवसर में तब्दील करने के लिए ?
गोधरा की कलेक्टर जयती रवि के मना करने के बावजूद ! नरेंद्र मोदी जी ने 58 शव जिनका पोस्टमार्टम चल रहा था! लेकिन वह सब रोक कर ! उन अधजले शवो को विश्व हिंदू परिषद के लोगों को सौपना और उन्हें खुले ट्रकों के उपर जुलूस निकालनेके लिए देनेवाला ! उस राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति का पालन करने की शपथ लिये हुये ! मुख्यमंत्री खुद कानून व्यवस्था बिगाड़ना चाहता था इसलिए ?
और इसिलिए अहमदाबाद में जब प्रधान-मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को पत्रकारोने पुछा कि “आप क्या मेसेज देना चाहते हो ?” तो अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा, ” की मुख्यमंत्री ने राजधर्म का पालन करना चाहिए !” और नरेंद्र मोदी बगलमे ही बैठे थे ! और वह तपाक से बोले ” की साहब मै वही तो कर रहा हूँ ! मतलब आपदा में अवसर की तलाश !
वैसे तो गुजरात दंगों के दर्जनो रिपोर्ट के अनुसार, और राणा आयुब,मनोज मित्ता,आर. बी. श्रीकुमार,जमिरुरुद्दीन शाह और पूर्व न्यायमुर्ति कृष्णा अय्यर,पी. बी. सावंत,सुरेश होस्पेट तथा अन्य लोगों द्वारा बहुत ही मेहनत से तैयार किया गया “क्राईंम अगेन्स्ट हुमानीटी” नामक रिपोर्ट !
को बनाने के लिए, इन सभी लोगों ने काफी मेहनत की है ! और इसिलिये भारत के दंगों के इतिहास में इसे सबसे बेहतरीन रिपोर्ट कहा जाता है !
और गुजरात दंगों के दौरान कौन- कौन, क्या – क्या कर रहे थे ? और मुख्यमंत्री,गृहराज्यमंत्री,गृह मंत्रालय के सचिव से लेकर, गुजरात ए टी एस के प्रमुख,तत्कालीन अहमदाबाद के पुलिस अधीक्षक से लेकर, मंत्री डॉ. माया कोडाणी,हरेन पंड्या की विधवा पत्नी जागृति पंड्या, और शेकडो लोगों के ऑडियो-वीडियो इन्टरव्यू ! नौ महीने की जानजोखिम में डालकर की हुई मेहनत ! वह भी राना आयूब के जगह, मैथिली त्यागी नाम लेकर ! यह शोध पत्रकारीता का हाल के दिनों में अनूठा उदाहरण ! राणा आयुब ने, “गुजरात फाईल्स” नामकी किताब लिख कर, भारत के पत्रकारिता के ‘पतन पर्व में’ जो काम किया है ! वह यूएसए के वॉटरगेट से भी बढ़कर, किया हुआ शोध पत्रकारिता का, हमारे देश का सबसे अनुठा उदाहरण है ! और अब तो यह पुस्तक, लगभग भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवादित होकर, लाखो लोग पढ चुके हैं ! और मै पढ्नेके तुरंत बाद ही, एक तो राणा आयुब ने जो तथ्य प्रस्तुत किये हैं ! उनकी जांच करने की मांग कर रहा हूँ !
यह पोस्ट लिखने से पहले मैंने आज सुबह गुजरात के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक श्री. आर. बी. श्रीकुमार जी से ( Gujarat Behind The Curtain) किताबके लेखक से कई पहलुओं को लेकर एक घंटे तक बात की है ! मुख्य रूप से गोधरा में, दोपहर के बाद, मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने खुद अपने कुछ साथियों के साथ, अहमदाबाद से दो सौ किलोमीटर का सफर तय कर के, गोधरा जाकर, अधजले शवों को, विश्व हिंदू परिषद के लोगोको खुले ट्रको पर अहमदाबाद शहर में जुलूस निकालने के लिए दिया यह है ! आपदा प्रबंधन का जीता जागता उदाहरण ! भारत के किसी भी मुख्यमंत्री के कार्यकाल का सब से हैरान करने वाला उदाहरण है !
और उसी गोधरा कांड के बाद, नरेंद्र मोदी जी की 44 इंची बनियन पहनने वाले ! उनकी छाती 56 इंच होने के जुमले से लेकर, और ‘हिन्दुह्रदयसम्राट’ तक पहुचने के लिए, जो गोधरा कांड की आपदा ने जो अवसर, उन्हें गांधीनगर से उठाकर, दिल्ली तक पाहुचानेमे भी बहुत काम आया है !
देखियेगा, कोरोना जैसी महामारी का अपनी राजनीतको फैलाने के लिए कैसे इस्तमाल कर रहे हैं ? ताजा मिसाल राजस्थान ! महाराष्ट्र में आधी रात को राष्ट्रपति राज खत्म कर के सुबह देवेन्द्र फडणविस को शपथ लेने का इन्तजाम ! और कलराज मिश्रा कोरोना का बहाना बनाकर टाल मटौल किसके इशारों पर कर रहे हैं ? मध्य प्रदेश के और कर्णाटक की सरकारे कौनसा अवसर का उदहारण है ?
फिर सरकार के प्रतिष्ठान रेल्वे,बैंक,डिफेन्स,खनन उद्योगोंको प्रायवेट उद्योगपतियोको बेचकर कौनसे अवसर का लाभ उठा रहे हैं ? और उसके पहले सूचना के अधिकार से लेकर पर्यावरण,मजदूर कानून को बदलना भी कौनसे आपदा से अवसर का लाभ उठा रहे हैं ? कई पत्रकारों तथा बुध्दिजीवियों तथा विद्यार्थियो और सामजिक,राजकीय कार्यकर्ताओ पर राष्ट्रिय सुरक्षा जैसे अंग्रेजो ने अपने साम्राज्यों के बचाने के लिए बनाये काले कानून का लाभ उठा रहे हैं ! और शेकडो लोग महामारी में भी कोई महिला प्रेगनेंट होने के बावजूद या वारवरा राव,साई बाबा जैसे बिमार और बुजुर्गो को जेलो में रखकर कौनसे आपदा से अवसर का परिचय दे रहे हैं !
इसे अवसर की जगह अवसरवादी राजनीति का क्लासिकल उदाहरण के सिवा कुछ नहीं बोला जा सकता है ! क्यौंकि आपने 10 साल के अपने सत्ता को देखकर लगता नहीं कि आप आपदा प्रबंधन को सही दिशा में अवसर प्रदान कर रहे हैं ? नोटबंदी से लेकर, कश्मीर के 370 को हटाना, बाबरी मस्जिद ध्वस्त कर के उस जगह पर राममंदिर बनाने ! और सबसे भयंकर तथकथित नागरिक कानून को बदलने की बात ! भारत की आबादी आज भी आधी से अधिक कृषि क्षेत्र में निर्भर रहते हुए किसानों के खिलाफ तीनों कानून क्या सोचकर लाएं थे ? और उस आंदोलन को पाकिस्तान की शह है ! और पगडी वाले किसानों को खलिस्तानी गाली देने का मतलब, भारत की अखंडताके साथ खिलवाड़ करने की घटना बहुत गंभीर है ! और इससे बडा राष्ट्रद्रोही काम कोई और क्या हो सकता है ? लगभग दुनिया के सभी धर्मों के लोग ईस देशमे हजारों वर्षों से रहते हुए ! उन्हें एक कानून को बदलकर बेवतन करने की बात भारत के बटवारे की तरफ ले जाने का गुनाह करने वाले लोगों क्या बोलेंगे ?
इसलिए आपदा के अवसर पर आपका प्रबंधन आप के राजनीति के लिए शायद आपको ठीक लगता होगा ! लेकिन इतने बहुलतावादी समाज जो भारत की पहचान भी हैं ! उसका ताना बाना उध्व्स्त करने का कोई अधिकार नहीं है ! और नाही हमारा संविधान उसकी इजाजत देता है ! और आप तो उस संविधान को बदलने पर तुले हुए हैं ! क्यौंकि नागरिकता का कानून आप संविधान को बदलने के बाद ला रहे हैं ! याने संसदमे आपका बहुमत है! इस अवसर का लाभ उठा रहे हों ? यह अवसरवादीता गत 30 वर्षों के अनुभव के आधार पर लगता नहीं कि देश का भला हो रहा है ! इसीलिए इसे तुरंत बंद किजीये यह बात मैं लगातार बोल लिख रहा हूँ !